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MP के इस शहर में गुरु पूर्णिमा पर दो दिन तक मिलता है सबकुछ मुफ्त, पूरा शहर करता है लोगों को स्वागत

Guru Purnima: अगर आप के जेब में पैसे भी ना हो तो चिंता की कोई बात नहीं खंडवा में चल रहे गुरुपूर्णिमा के पर्व पर आप मनपसंद खाना खा सकते है वह भी फ्री में। सिर्फ खाना ही नहीं खंडवा में चाय, नाश्ता, विभिन्न प्रकार के पकवान के साथ आने -जाने के लिए टेक्सी और […]

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Guru Purnima: अगर आप के जेब में पैसे भी ना हो तो चिंता की कोई बात नहीं खंडवा में चल रहे गुरुपूर्णिमा के पर्व पर आप मनपसंद खाना खा सकते है वह भी फ्री में। सिर्फ खाना ही नहीं खंडवा में चाय, नाश्ता, विभिन्न प्रकार के पकवान के साथ आने -जाने के लिए टेक्सी और स्वास्थ्य खराब हो जाए तो दवाइयां भी मुफ्त मिलती है। मुफ्त की यह व्यवस्था सरकार नहीं बल्कि खंडवा के निवासी आपसी सहयोग से करते हैं। क्योंकि गुरुपूर्णिमा के पर्व पर इस शहर का नजारा बेहद अलग होता है। गुरुपूर्णिमा पर खंडवा शहर में तीन सौ से अधिक भंडारे आयोजित किये जाते हैं। जहां बाहर से आने वाले दादाजी धूनी वाले के भक्तों के लिए पूरा शहर स्वागत के लिए तैयार रहता है। दो दिनों तक शहर में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। जहां सभी मिलकर यह आयोजन करवाते हैं।

दादाजी धूनी वाले आश्रम में होता आयोजन

मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में धूनी वाले दादाजी के आश्रम में देश भर से हजारों शिष्य उनकी समाधि पर माथा टेकने आते हैं। खंडवा में इंदौर रोड़ पर स्थित भगवान शंकर के अवतार कहे जाने वाले संत केशवानंद जी महाराज की भव्य समाधि स्थापित है। यहां उन्होंने सन 1930 में अपना देहत्याग किया था। केशवानंद जी महाराज यानि बड़े दादाजी अपने निकट हमेशा एक धूनी जलाए रखते थे। वो धूनी आज भी खंडवा में लगातार पिछले करीब 86 वर्षों से जलती आ रही है।

गुरु शिष्य की समाधि एक साथ

12 साल तक उनके शिष्य हरिहर नाथ जी महाराज ने उनकी समाधि की सेवा की। 1942 में इन्होने भी देहत्याग कर दिया, इनकी इच्छा स्वरूप हरिहर नाथ जी महाराज यानि छोटे दादाजी की समाधि भी बड़े दादाजी की समाधि के निकट स्थापित की गई। गुरु-शिष्य की इस अद्भूत मिसाल को देखने यहां देशभर से लाखों लोगों का गुरुपूर्णिमा के दिन जमावड़ा लगता है।

शहर में पहुंचते ही लोगों को होता है स्वागत

गुरुपूर्णिमा पर्व में शामिल होने के लिए भक्तजन सैकड़ों किलोमीटर की पैदल यात्रा करके यहां पहुंचते हैं। शहर में प्रवेश करते ही श्रद्धालुओं की आवभगत शुरू हो जाती है। यही वजह है की गुरुपूर्णिमा पर्व पर खंडवा आने वाले भक्तो की संख्या लगातार बढ़ रही है। खंडवा अवधूत संत केशवानन्द की तपोभूमि कहलाता है। हमेशा अपने सामने आग की धुनी रमाये रखने वाले संत की समाधि खंडवा में है। जिन्हें भक्त दादाजी धुनी वाले के नाम से याद करते है।

पैदल यात्रा करके आते हैं भक्त

हर साल गुरुपूर्णिमा पर देश भर के लाखो भक्त दादाजी के दरबार में माथा टेकने आते है। छत्तीसगढ़ से आऐ आर के शिवहरे पिछले पच्चीस वर्षो से गुरुपूर्णिमा पर्व पर खंडवा आ रहे है । वे खंडवा के नागरिको के सेवाभाव को देखकर इतना ही कहते है की पर्व के दो दिनों तक पूरा खंडवा दादाजी धाम हो जाता है। गुरु पूर्णिमा पर्व के दौरान खंडवा के दादा दरबार में शीश नवाने वाले भक्तों की संख्या लाखों में होती है। बैतूल से खडवा तक पन्दरह दिनों की पद यात्रा करके दादा दरबार पहुचने वाले नरेन्द्र सोनी और अश्वनी सैनी बताते है की देश में सिर्फ खंडवा ही एक एसा शहर है जहां के नागरिक अपनी तरफ से भक्तों की भरपूर सेवा करते है। खंडवा में ढाई सौ से ज्यादा भंडारे लगाए जाते हैं जिसने 50 से ज्यादा प्रकार की व्यंजन होती है। जैसे दाल बाटी, पूरी सब्जी, गुलाब जामुन, जलेबी तो तमाम प्रकार की मिठाइयां, चाय, काफी और आलू बेड़े, पोहा जेसी कई प्रकार की डिश खंडवा आने वाले भक्तोंओ के लिए भंडारे में रहती है। गुरु पूर्णिमा पर पूरा खंडवा शहर बाहर से आने वाले दादा जी के भक्तों की सेवा में लग जाता है। खंडवा से इमरान खान की रिपोर्ट


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