रांची: झारखंड के आयकर विभाग ने राज्य में विभिन्न जगहों पर 50 जगह छापेमारी की। इस कार्रवाई में कुल 2 करोड़ रुपये नकद, 100 करोड़ रुपये का बेहिसाब लेनदेन मिला है। इसके अलावा आयकर विभाग ने कुल 16 बैंक लॉकर पर निकासी पर रोक दी है। यह सभी छापेमारी कोयला छोटाले से जुड़ी हैं।
Jharkhand: IT dept raids unearth Rs 2 cr in cash, Rs 100 cr unaccounted investments, transactions
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— ANI Digital (@ani_digital) November 8, 2022
इन पर छापे मारे
जानकारी के मुताबिक ये छापे 4 नवंबर को कोयला व्यापार, परिवहन, सिविल अनुबंधों के निष्पादन, लौह अयस्क की निकासी और स्पंज आयरन के उत्पादन में लगे कुछ व्यापारिक समूहों पर किए गए थे। जिन लोगों की तलाशी ली गई उनमें दो राजनीतिक रूप से उजागर व्यक्ति और उनके सहयोगी शामिल हैं। यह छापेमारी रांची, गोड्डा, बेरमो, दुमका, जमशेदपुर, चाईबासा, पटना, गुरुग्राम और कोलकाता में फैले 50 से अधिक परिसरों में की गई।
कर चोरी के विभिन्न तरीकों का सहारा लिया
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक तलाशी अभियान में बड़ी संख्या में आपत्तिजनक दस्तावेज और डिजिटल साक्ष्य जब्त किए गए हैं। इस साक्ष्य के प्रारंभिक विश्लेषण से संकेत मिलता है कि इन समूहों ने कर चोरी के विभिन्न तरीकों का सहारा लिया है जिसमें खर्चों की मुद्रास्फीति, नकद में ऋण का लेनदेन, नकद में भुगतान और प्राप्तियां और उत्पादन का दमन शामिल है। तलाशी के दौरान यह भी पता चला है कि अचल संपत्तियों में निवेश किया गया है, जिसके स्रोत का पूरी तरह से खुलासा नहीं किया जा सका है।
अनुचित भुगतान किया गया
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के बयान के अनुसार तलाशी अभियान में यह भी पता चला कि सिविल अनुबंधों में लगे समूहों में से एक नियमित खाता बही का रखरखाव नहीं कर रहा था। समूह वर्ष के अंत में एकमुश्त कच्चे माल और उप-अनुबंध व्यय की खरीद के गैर-वास्तविक लेनदेन में प्रवेश करके अपने खर्चों को बढ़ा रहा है। जब्त किए गए सबूतों से यह भी पता चलता है कि अनुबंधों को सुरक्षित करने के लिए नकद में अनुचित भुगतान किया गया था।
लौह अयस्क का बेहिसाब स्टॉक मिला
सीबीडीटी के बयान में कहा गया है कि कोयला व्यापार, लौह अयस्क की निकासी आदि में लगे दूसरे समूह के मामले में, भारी मूल्य के लौह अयस्क का बेहिसाब स्टॉक पाया गया है, जिसकी मात्रा अभी निर्धारित नहीं की गई है। उक्त समूह ने मुखौटा कंपनियों के माध्यम से लेन-देन की परतें बिछाकर अपने बेहिसाब धन को असुरक्षित ऋण और शेयर पूंजी के रूप में पेश किया है। बयान में कहा गया है कि इस समूह से जुड़े पेशेवरों ने स्वीकार किया कि उन्होंने किसी भी सहायक दस्तावेज का सत्यापन नहीं किया था और समूह के लेखाकार द्वारा तैयार की गई ऑडिट रिपोर्ट पर बिना उचित परिश्रम के हस्ताक्षर किए थे।