आदिवासी संस्कृति को सहेजने के प्रण के साथ झारखंड जनजातीय महोत्सव संपन्न
विवेक चंद्र, रांची: झारखंड जनजातीय महोत्सव के दूसरे दिन भी देशभर से आए जनजातीय कलाकारों द्वारा रंगारंग प्रस्तुतियां हुईं। इसके साथ ही इस विशेष महोत्सव का समापन हो गया। समापन समारोह के मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल रहे। महोत्सव में छाऊ और अन्य लोक नृत्यों की प्रस्तुतियों ने लोगों का मन मोह लिया। नृत्य और गीत संगीत की धुन पर दर्शक झूमते रहे। इस मौके पर आयोजित परंपरा वस्तुओं की प्रदर्शनी में भी लोगों की काफी भीड़ दिखी।
मुख्य अतिथि भूपेश बघेल का स्वागत जनजातीय संस्कृति की परंपराओं के अनुसार किया गया। इस मौके पर पारंपरिक वाद्य यंत्रों से उनका स्वागत किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि भूपेश बघेल ने दीप प्रज्ज्वलित कर की।
अधिकारों के लिए लड़नी है लड़ाई: भूपेश बघेल
झारखंड जनजातीय महोत्सव में लोगों को संबोधित करते हुए समापन समारोह के मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि आदिवासी नेतृत्व कभी पीछे नहीं रहा। हमारे आदिवासी नेताओं की बड़ी भूमिका देश को आजाद कराने में रही है।
उन्होंने आगे कहा कि केन्द्र सरकार हमें मदद नहीं कर रही है। हमारे अधिकारों को छीना जा रहा है। हमने नीति आयोग में इसकी मांग रखी है। ग्राम सभा का अधिकार वापस लिया जा रहा है। इसकी लंबी लड़ाई हमें लड़नी है। उन्होंने हेमंत सोरेन को जन्मदिन की शुभकामनाएं भी दीं। वहीं बीजेपी पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि झारखंड में सत्ता पलटने के लिए बाउंसर फेंका गया पर बिहार में सरकार बदल गई।
आदिवासियों को बचाने की हो चिंता: हेमंत सोरेन
वहीं झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कार्यक्रम में शामिल होने के लिए भूपेश बघेल का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि हमने जल-जंगल-जमीन बचाया है। आज लोग पेड़ और जानवर बचाने की चिंता तो करते हैं पर आज आदिवासी कैसे बचें, इसकी चिंता किसी को नहीं होती है। उन्होंने आगे कहा कि आज एक संकल्प का दिन भी है। हमारे पास चुनौतियां आएंगी पर हमें घबराना नहीं है बढ़ते जाना है।
कांस्य पदक विजेताओं को सम्मान
समापन समारोह के मंच से बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में कांस्य पदक विजेता टीम की सदस्य सलीमा टेटे, निक्की प्रधान और संगीता कुमारी को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सम्मानित किया।
बारिश में भी नहीं थमा उत्साह
तेज बारिश के बीच भी महोत्सव में लोगों का उत्साह कम नहीं हुआ। मौसम खराब होने के बावजूद लोग महोत्सव का आनंद लेने के लिए रात तक जुटे रहे। रंगारंग कार्यक्रमों के साथ झारखंड जनजातीय महोत्सव का भले ही समापन हो गया हो पर इससे न सिर्फ जनजातीय समुदाय को नया उत्साह मिला है बल्कि देश और दुनिया को जनजातीय संस्कृतियों के मूल मंत्र प्रकृति के साथ चलने बढ़ने की प्रेरणा भी मिली है।
Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world
on News24. Follow News24 and Download our - News24
Android App. Follow News24 on Facebook, Telegram, Google
News.