हरियाणा के चर्चित आईएएस अफसर रहे खेमका 30 अप्रैल यानी बुधवार को रिटायर होने वाले हैं। खेमका ऐसे अफसर रहे, जिन्होंने 33 साल की सेवा के दौरान 57 तबादले झेले। उनकी विदाई के मौके पर बुधवार शाम को राजधानी चंडीगढ़ में एक खास समारोह आयोजित होगा। इस समारोह का आयोजन हरियाणा आईएएस ऑफिसर्स एसोसिएशन ने रखा है। एसोसिएशन के सेक्रेटरी डॉ. अमित के अग्रवाल ने इसकी जानकारी शेयर की है। खेमका का आखिरी तबादला 5 महीने पहले किया गया था, जो 57वां ट्रांसफर था। वे हरियाणा परिवहन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव (ACS) के पद से सेवानिवृत्त होंगे। इससे पहले खेमका के पास प्रिंटिंग और स्टेशनरी विभाग की जिम्मेदारी थी।
रद्द कर दी थी लैंड डील
खेमका 1991 बैच के IAS अधिकारी थे, जिनको ईमानदारी और बड़े फैसले लेने के लिए जाना जाता है। खेमका 2012 में रॉबर्ट वाड्रा लैंड डील को रद्द करने के बाद सुर्खियों में आए थे। उन्होंने गुरुग्राम जमीन के सौदे से जुड़े म्यूटेशन को निरस्त कर दिया था। उस समय हरियाणा में कांग्रेस की सरकार थी और भूपेंद्र सिंह हुड्डा सीएम थे। खेमका ने DLF और रॉबर्ट वाड्रा के बीच हुए जमीन सौदे के म्यूटेशन को रद्द करने के ऑर्डर जारी किए थे। खेमका मूल रूप से पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के रहने वाले हैं।
10 साल बाद परिवहन विभाग में वापसी
खेमका ने 1988 में IIT खड़गपुर से ग्रेजुएट करने के बाद टाटा मूलभूत अनुसंधान संस्थान मुंबई से कंप्यूटर साइंस में पीएचडी और एमबीए की डिग्री ली है। खेमका भले ही 2012 में चर्चित हुए, लेकिन बीजेपी की सरकार बनने के बाद भी उनके तबादले नहीं रुके। पिछले साल दिसंबर में 10 साल बाद उनका तबादला परिवहन विभाग में किया गया था। इससे पहले 2014 में भी उनको परिवहन आयुक्त की जिम्मेदारी दी गई थी। उस दौरान उन्होंने बड़े वाहनों को फिटनेस सर्टिफिकेट देने से इनकार कर दिया था, जिसके कारण ट्रक चालकों ने स्ट्राइक कर दी थी।
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पिछले साल की बात है, खेमका ने हरियाणा के सीएम को एक लेटर लिखा था, जिसमें अपनी तैनाती सतर्कता विभाग में करने की डिमांड की थी। उन्होंने लिखा था कि अपनी सर्विस में भ्रष्टाचार के खिलाफ असली लड़ाई लड़ना चाहता हूं। किसी को भी नहीं बख्शा जाएगा। हालांकि उनकी ये ख्वाहिश पूरी नहीं हो सकी। अपने सेवाकाल के दौरान खेमका ने औसतन हर 6 महीने में तबादला झेला और लो प्रोफाइल विभागों में काम किया।
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