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कांग्रेस नेताओं पर कोर्ट का फैसला, सोशल मीडिया से मोदी-अडाणी के डीप फेक वीडियो हटाने का आदेश

गुजरात कोर्ट में डीप मामले में सुनवाई हुई। केस में कोर्ट ने कांग्रेस और उनके नेताओं पर सख्त रुख अपनाया। कोर्ट ने कांग्रेस और उसके 4 नेताओं को सोशल मीडिया से पीएम मोदी और अडाणी के डीप फेक वीडियो हटाने का आदेश दिया है। पढ़िए पूरी रिपोर्ट।

गुजरात में कोर्ट में पीएम मोदी और अडाणी को राहत दी है। कोर्ट ने कांग्रेस और उसके चार नेताओं को सोशल मीडिया से पीएम मोदी और बिजनेसमैन गौतम अडाणी के डीप फेक वीडियो हटाने का आदेश दिया है। मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने आदेश दिया कि वीडियो को आदेश की तारीख से 48 घंटों के भीतर और अगली सुनवाई की तारीख 29 दिसंबर तक हटा दिया जाए।

बता दें कि अडाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड कंपनी ने मानहानि के एक दीवानी मुकदमे दायर किया था। मामले में सुनवाई करते हुए अतिरिक्त दीवानी न्यायाधीश श्रीकांत शर्मा की अदालत ने कांग्रेस और उसके नेताओं जयराम रमेश, सुप्रिया श्रीनाते, पवन खेड़ा और उदय भानु चिब को सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से डीप फेक वीडियो हटाने का निर्देश दिया।

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दरअसल, बवाल तब शुरू हुआ जब 17 दिसंबर को कांग्रेस के X हैंडल पर एक इस वीडियो पोस्ट किया। इसमें पीएम मोदी और अडानी के बीच बातचीत दिखाई गई। इसका कैप्शन था 'मोदी-अडानी भाई भाई, देश बेचकर खाई मलाई'। मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने आदेश दिया कि वीडियो को आदेश की तारीख से 48 घंटों के भीतर और अगली सुनवाई की तारीख 29 दिसंबर तक हटा दिया जाए।

साथ ही कोर्ट ने कहा कि अगर वे (कांग्रेस और नेता) वीडियो हटाने में विफल रहते हैं, तो X कंपनी और गूगल को 72 घंटों के भीतर वीडियो हटाएं। आदेश में कहा गया कि प्रतिवादियों द्वारा नियमों का पालन न करने की स्थिति में, वादी को सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम 2021 के अनुसार उचित कार्रवाई के लिए संबंधित मध्यस्थ से संपर्क करने की स्वतंत्रता दी जाती है। न्यायालय ने प्रतिवादियों को तत्काल कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है, जिसका जवाब 29 दिसंबर को देना होगा।

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अडाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड की याचिका में कहा गया कि कांग्रेस और उसके चार नेताओं ने मानहानिकारक आरोपों से युक्त एक डीप फेक वीडियो विभिन्न सोशल मीडिया चैनलों, ऑनलाइन प्लेटफॉर्मों और डिजिटल संचार माध्यमों पर अपलोड और प्रसारित किया। याचिका में कोर्ट से अनुरोध किया गया कि प्रतिवादियों की वेबसाइटों, चैनलों, प्लेटफॉर्मों और सोशल मीडिया हैंडल से मानहानिकारक वीडियो, पोस्ट और डिजिटल सामग्री को तत्काल हटाया जाए और याचिका की सुनवाई लंबित रहने तक उन्हें इसी तरह की किसी भी मानहानिकारक सामग्री के आगे प्रसार, प्रकाशन या रिपोस्ट से रोका जाए।

याचिकाकर्ता ने कहा कि वीडियो और पोस्ट के माध्यम से प्रतिवादियों ने वादी पर आपराधिक गतिविधि, भ्रष्टाचार, भूमि हड़पने, राजनीतिक प्रभाव का दुरुपयोग, निजी नागरिकों का उत्पीड़न, कृषि भूमि का अवैध अधिग्रहण, सार्वजनिक अधिकारियों का हेरफेर और आपराधिक तत्वों के साथ मिलीभगत के आरोप लगाए हैं।


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