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Same Gender Marriage: समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता को लेकर सुनवाई पूरी, SC ने फैसला रखा सुरक्षित

Same Gender Marriage: समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दिए जाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो चुकी है। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने मामले में 10 दिन की सुनवाई के बाद गुरुवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। फैसला कब आएगा, […]

Same Gender Marriage
Same Gender Marriage: समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता दिए जाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो चुकी है। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने मामले में 10 दिन की सुनवाई के बाद गुरुवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। फैसला कब आएगा, इसका ऐलान अभी नहीं किया गया है। संविधान पीठ में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस एस के कौल, एसआर भट, हेमा कोहली और पीएस नरसिम्हा भी शामिल हैं। याचिकाकर्ताओं की तरफ से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी, राजू रामचंद्रन, केवी विश्वनाथन, आनंद ग्रोवर और सौरभ कृपाल आदि ने दलीलें रखीं। वहीं, केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पक्ष रखा। यह भी पढ़ें: Opposition fight against BJP: क्या शरद पवार होंगे विपक्षी गठबंधन का मुख्य चेहरा? नीतीश कुमार ने दिया ये जवाब

केंद्र ने याचिकाओं का किया विरोध

केंद्र ने याचिकाओं का विरोध किया है। सुप्रीम कोर्ट में तर्क दिया कि समलैंगिक विवाह न केवल देश की सांस्कृतिक और नैतिक परंपरा के खिलाफ है, बल्कि इसे मान्यता देने से पहले 28 कानूनों के 160 प्रावधानों में बदलाव करते हुए पर्सनल लॉ से भी छेड़छाड़ करनी पड़ेगी। केंद्र ने शीर्ष अदालत से यह भी कहा कि समलैंगिक विवाह के लिए कानूनी मान्यता की मांग करने वाली दलीलों पर उसके द्वारा की गई कोई भी संवैधानिक घोषणा कार्रवाई का सही तरीका नहीं हो सकती है।

राजस्थान समेत इन राज्यों ने भी किया विरोध

केंद्र ने अदालत को बताया था कि उसे समलैंगिक विवाह के मुद्दे पर सात राज्यों से प्रतिक्रिया मिली थी। राजस्थान, आंध्र प्रदेश और असम की सरकारों ने इस मुद्दे पर अपना विरोध जताया है। कहा कि इससे सामाजिक ताना-बाना बिगड़ जाएगा।
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क्या है मामला, पॉइंट में समझें

  • दरअसल, भारत में समलैंगिक संबंध क्राइम नहीं है। लेकिन समलैंगिक विवाह की अनुमति नहीं है।
  • ऐसे में स्पेशल मैरिज एक्ट, फॉरेन मैरिज एक्ट समेत विवाह से जुड़े कई कानूनी प्रावधानों को चुनौती देते हुए समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की मांग की गई थी।
  • इसके लिए दिल्ली हाईकोर्ट समेत अलग-अलग अदालतों में याचिकाएं दाखिल की गईं।
  • पिछले साल 14 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट में पेंडिंग दो याचिकाओं को ट्रांसफर करने की मांग पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा।
  • इस साल 6 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने इन सभी याचिकाओं को एक कर अपने पास ट्रांसफर कर लिया था।
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