Survivors Of East Delhi Fire: ईस्ट दिल्ली के शकरपुर में एक फ्लेट में लोग चैन की नींद सो रहे थे, इस बीच तेज धमाकों और आग की लपटों से उनकी नींद खुल गई। बता दें कि आग इतनी भयानक थी कि कुछ लोग घंटों तक अपने फ्लैटों में फंसे रहे, वहीं अन्य कई लोग जान बचाने के लिए अपनी बालकनियों से कूद गए। आग लगने पर दूसरी मंजिल पर रहने वाले कमल तिवारी अपने तीन साल के बेटे के लिए लोगों से हाथ जोड़कर मदद की गुहार लगा रहे थे, लेकिन मदद नहीं मिल सकी।
बच्चे को कंबल में लपेटकर नीचे फेंका
इसके बाद कमल ने अपनी पत्नी प्रियंका की मदद से तीन साल के बेटे शिवा को कंबल में लपेटा और नीचे फेंक दिया, लेकिन कम्बल बीच में ही तारों में अटक गया जिससे बच्चा बीच गली में मुंह के बल जा गिरा। इतने ही उनका 12 साल का बच्चा बालकनी से कूद गया। इसी तरह ही कमल और उनकी पत्नी भी बालकनी से कूद गए, जिससे चारों को गंभीर चोटें आई हैं। यह किस्सा बताते हुए सेवानिवृत्त सैनिक पीड़ित देव सिंह अधिकारी की आंखे नाम हो गईं।
एक महिला समेत 9 लोग घायल
इस हादसे में 55 वर्षीय एक महिला की मौत हो गई, जबकि एक फायरमैन समेत नौ लोग घायल हो गए। दिल्ली अग्निशमन सेवा (डीएफएस) ने उस इमारत से 25 लोगों को बचाया, जिसमें लगभग 40 लोग रहते थे।डीएफएस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जब बचाव अभियान के दौरान अग्निशमन कर्मी उनके घर पहुंचे तो घटना में मारी गईं अनीता सिंह मुख्य दरवाजे के पास सोफे पर बेहोश पड़ी थीं। अधिकारी ने कहा, जब हम चौथी मंजिल पर पहुंचे तो अनीता सोफे पर लेटी हुई थी। दो अन्य लोग भी घर में बेहोश पड़े थे, हम उन्हें तुरंत अस्पताल ले गए। अधिकारी ने कहा, अनीता भागने की कोशिश कर रही होगी या दरवाजे के पास बचाए जाने का इंतजार कर रही होगी। वहीं अधिकारियों ने रिश्तेदार पारुल ने बताया कि ग्रेटर कैलाश में एक बुटीक में काम करने वाली अनीता को भी कुछ चोटें आई हैं। अनीता की भाभी बीना और भतीजे पीयूष - जो भी घर में थे - को क्रमशः आरएमएल अस्पताल और जीटीबी अस्पताल में भर्ती कराया गया। पारुल ने कहा, 'वे पिछले 12 साल से घर में रह रहे थे।
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अग्निकांड की कई दर्दनाक कहानियां
अपने परिवार के साथ इमारत की पहली मंजिल पर रहने वाली सुप्रभा देवी कहती हैं कि जब आग लगी, तो हम बालकनी की ओर भागे क्योंकि मेन दरवाजे से घर से बाहर आने का कोई रास्ता नहीं था, मेरी बेटी शिवानी बालकनी से कूद गई और उसके हाथ में फ्रैक्चर हो गया। चौथी मंजिल के निवासी देव सिंह अधिकारी ने कहा कि वे लगभग चार से पांच घंटे तक बालकनी में फंसे रहे और सुबह जल्दी इमारत से बाहर आ गए। उन्होंने बताया कि मेरा बेटा अपने लैपटॉप पर काम कर रहा था जब उसे आग लगने के बारे में पता चला तो उसने हमें सचेत किया और छत पर भाग गया। अधिकारी ने बताया कि मैंने भी छत पर जाने की कोशिश की, लेकिन मेरी पत्नी और बेटी घर में थीं और वे जाने की स्थिति में नहीं थीं, और घर के मुख्य दरवाजे पर बहुत धुआं और आग फैल गई थी। उन्होंने आगे बताया कि हम लगभग चार से पांच घंटे तक बालकनी पर थे, इलाके में दहशत का माहौल हो गया और हमने देखा कि कुछ लोग खुद को बचाने के लिए अपने घरों से कूद गये। बाद में दमकलकर्मी हमारे घर आये और हमें बचाया।