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Delhi AQI: दिल्ली वासियों को ‘जहरीली हवा’ से नहीं राहत, एक्यूआई पहुंचा 396; नोएडा-गाजियाबाद का भी बुरा हाल

देश की राजधानी दिल्ली मेंलंबे समय से हवा जहरीली है. यहां लोगों का सांस लेना भी दूभर हो गया है. वहीं, दिल्ली में प्रदूषण का कारण दिवाली की आतिशबाजी को भी माना जा रहा था. लेकिन अब दिवाली को बीते भी समय हो चुका है और पराली जलाने की घटनाएं भी कम हो चुकी हैं लेकिन फिर भी दिल्ली का प्रदूषण कम होने का नाम नहीं ले रहा है. आखिर इसके पीछे क्या कारण है?

Delhi AQI Level: देश की राजधानी दिल्ली मेंलंबे समय से हवा जहरीली है. यहां लोगों का सांस लेना भी दूभर हो गया है. वहीं, दिल्ली में प्रदूषण का कारण दिवाली की आतिशबाजी को भी माना जा रहा था. लेकिन अब दिवाली को बीते भी समय हो चुका है और पराली जलाने की घटनाएं भी कम हो चुकी हैं लेकिन फिर भी दिल्ली का प्रदूषण कम होने का नाम नहीं ले रहा है. आखिर इसके पीछे क्या कारण है?

वहीं, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के मुताबिक रविवार 23 नवंबर को यहां वायु गुणवत्ता 'बहुत खराब' में रही और एक्यूआई 396 दर्ज किया गया. AQI.in के अनुसार, इस जगह की हवा में सांस लेना एक दिन में 11.8 सिगरेट पीने जितना ही नुकसानदायक है.

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दिवाली के बाद भी कम क्यों नहीं हो रहा प्रदूषण?

भारतीय मौसम विभाग (IMD) और SAFAR के वैज्ञानिकों का कहना है कि इस समय प्रदूषण बढ़ाने में सबसे बड़ी भूमिका मौसम की है. IMD से जुड़े वैज्ञानिकों के मुताबिक नवंबर में हवा की रफ्तार सामान्यतः काफी कम हो जाती है. उन्होंने कहा कि रात के समय में हवा की गति केवल 4-6 किलोमीटर प्रति घंटा रह रही है. इतनी धीमी हवा में प्रदूषण ऊपर नहीं उठ पाता और जमीन के आस-पास फंसकर रह जाता है.

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IMD की वैज्ञानिक के मुताबिक दिल्ली की भौगोलिक स्थिति कटोरी जैसी है. उत्तर में अरावली पहाड़ियां और दक्षिण में यमुना का रुख प्रदूषण को सीमित दायरे में रोक देते हैं. ठंड पड़ते ही यह प्रभाव और ज्यादा बढ़ जाता है. विशेषज्ञों का मानना है कि यदि हवा की गति 12-15 किलोमीटर प्रति घंटा तक बढ़ जाए, तो प्रदूषण में 30-40% तक गिरावट आ सकती है.

नोएडा-गाजियाबाद में हालात और खराब

राजधानी दिल्ली के ज्यादातर मॉनिटरिंग स्टेशनों में सोमवार सुबह 7 बजे एक्यूआई 400 के पार दर्ज किया गया है, जो वायु गुणवत्ता की गंभीर श्रेणी में आता है. वहीं, दिल्ली से सटे नोएडा में हालात और ज्यादा खराब हैं. यहां सुबह पांच बजे एक्यूआई 413 तक पहुंच गया था जो गंभीर श्रेणी में आता है.

कहां कितना है एक्यूआई?

स्थान एक्यूआई
आनंद विहार 441
अलीपुर 412
बवाना 437
बुराड़ी क्रॉसिंग 432
द्वारका सेक्टर-8 401
आईटीओ 410
नरेला 433
वजीरपुर 450
जहांगीरपुरी 452
चांदनी चौक 390
आर.के. पुरम 397
पंजाबी बाग 411
पटपड़गंज 401
पूसा 360
रोहिणी 458
द्वारका सेक्टर-8 386
गाजियाबाद, वसुंधरा 432
गाजियाबाद, इंदिरापुरम 438
नोएडा सेक्टर-62 404
गुरुग्राम सेक्टर-51 264

बता दें कि सीपीसीबी के मानदंडों के अनुसार, एक्यूआई 0 से 50 के बीच ‘अच्छा’, 51 से 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 से 200 के बीच ‘मध्यम’, 201 से 300 के बीच ‘खराब’, 301 से 400 के बीच ‘बेहद खराब’ और 401 से 500 के बीच ‘गंभीर’ माना जाता है.

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पराली जलाने की घटनाओं में गिरावट

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के आंकड़ों के अनुसार, रविवार को पराली जलाने की घटनाओं में भारी गिरावट दर्ज की गई, हरियाणा में केवल एक और पजांब में तीन मामले सामने आए हैं. इसके विपरीत, उत्तर प्रदेश में 522, मध्य प्रदेश में 607 और राजस्थान में 21 घटनाएं सामने आई. 15 सितंबर से 23 नवंबर के बीच 6 राज्यों में कुल 27,720 पराली जलाने की घटनाएं सामने आई हैं.

सोमवार को PM2.5 का लेवल 331

सोमवार को PM2.5 का लेवल 331 µg/m³ मापा गया, जो वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) की 15 µg/m³ की लिमिट से कहीं ज़्यादा है. नई दिल्ली में अभी PM2.5 का लेवल बताई गई गाइडलाइन से 22.06 गुना ज़्यादा है. WHO के मुताबिक, 'PM2.5 के संपर्क में आने से दिल और सांस दोनों पर असर डालने वाली बीमारियां हो सकती हैं, जिनमें स्ट्रोक, फेफड़ों का कैंसर और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) भी शामिल हैं.'

सबसे ज़्यादा प्रदूषित इलाकों में अशोक विहार (702), मैदान गढ़ी (734), सूर्य नगर (595), वसंत कुंज (497) वसंत विहार (519), और वेस्ट संत नगर बुराड़ी (629) शामिल थे — सभी में प्रदूषण का लेवल खतरनाक था.

वहीं, पड़ोसी शहरों में भी प्रदूषण का लेवल लगभग उतना ही खराब था, गाजियाबाद (536), नोएडा (529), ग्रेटर नोएडा (607), और गुरुग्राम (406) में भी हवा की क्वालिटी खराब थी.


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