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राजधानी सहित मुंबई में हुए धमाकों में भी हुआ था अमोनिया नाइट्रेट का इस्तेमाल, कितना खतरनाक है फरीदाबाद से मिला 2900 किलो केमिकल?

Delhi Lal quila blast: राजधानी दिल्ली सहित एनसीआर में बड़ी आतंकी साजिश को पुलिस ने नाकाम किया है. पुलिस टीम ने एनसीआर के फरीदाबाद से लगभग 2900 किलो से अधिक अमोनियम नाइट्रेट बरामद किया है. पुलिस द्वारा बरामद किए गए इस अमोनिया नाइट्रेट से सैकड़ों की संख्या में बम बनाए जा सकते थे.

दिल्ली में धमाका

Delhi Lal quila blast: राजधानी दिल्ली सहित एनसीआर में बड़ी आतंकी साजिश को पुलिस ने नाकाम किया है. पुलिस टीम ने एनसीआर के फरीदाबाद से लगभग 2900 किलो से अधिक अमोनियम नाइट्रेट बरामद किया है. पुलिस द्वारा बरामद किए गए इस अमोनिया नाइट्रेट से सैकड़ों की संख्या में बम बनाए जा सकते थे. अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल पहले भी भारत में कई बम धमाकों में इस्तेमाल किया जा चुका है. हम आपको बताते है कि अमोनिया नाइट्रेट कितना खतरनाक है.

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फतेहपुर टैगा से 2900 किलो से अधिक अमोनियम नाइट्रेट बरामद

दिल्ली-एनसीआर में बड़ी आतंकी साजिश को पुलिस ने नाकाम किया गया है. पुलिस टीम ने एनसीआर के फरीदाबाद जिला स्थित फतेहपुर टैगा इलाके से लगभग 2900 किलो से अधिक मात्रा में अमोनियम नाइट्रेट बरामद किया है. ये वही केमिकल है जिससे अब तक भारत में कई बड़े धमाके किए जा चुके हैं. अधिकारियों के अनुसार, अमोनियम नाइट्रेट एक तरह का सफेद पाउडर जैसा दिखने वाला एक केमिकल होता है. इसका इस्तेमाल आमतौर पर खेती के लिए खाद बनाने में होता है. मगर जब यही केमिकल गलत हाथों में चला जाए तो इसे खतरनाक विस्फोटक में बदला जा सकता है. इसके साथ डेटोनेटर, बैटरी और टाइमर जोड़कर एक घातक बम बनया जाता है. यही तरीका कुकर बम या लोकल IED बनाने में भी अपनाया जाता है. लोकल टेररिस्ट मॉड्यूल अक्सर अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल करते हैं, क्योंकि इसे हासिल करना आसान होता है. ये खाद के तौर पर खुले में मिलता है और ज्यादा महंगा भी नहीं है. बस सही मिक्सिंग और टाइमिंग के साथ ये केमिकल बहुत बड़ा धमाका कर सकता है. इसको लेकर पुलिस और एजेंशी हमेशा सतर्क रहती हैं.

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पहले भारत में किन बड़े धमाकों में हुआ इसका इस्तेमाल?

पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, 2008 में दिल्ली में हुए सीरियल ब्लास्ट में आतंकियों ने इसी केमिकल अमोनियम नाइट्रेट का इस्तेमाल किया था. इसके बाद 2010 में कॉमनवेल्थ गेम्स से पहले हुए धमाकों में भी इसी केमिकल का इस्तेमाल किया गया था. इसके बाद साल 2011 में मुंबई के मार्केट में हुए धमाके के दौरान भी इसी केमिकल इस्तेमाल किया गया था. 13 सितंबर 2008 को दिल्ली में हुए सीरियल धमाके के दौरान लगभग 25 लोगों की मौत हो गई थी और इस घटना में लगभग 100 से अधिक लोग घायल हुए थे. इसके बाद कॉमनवेल्थ गेम्स से पहले जामा मस्जिद हमला में दो लोग घायल हुए थे और 2011 में मुंबई मार्केट में हुए धमाके में भी 23 लोगों की मौत हो गई थी.

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