TrendingAyodhya Ram MandirDharmendra & Hema MaliniBigg Boss 19Gold Price

---विज्ञापन---

छत्तीसगढ़ में लगी नेशनल लोक अदालत, हाईकोर्ट ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए 96 मामलों का किया समाधान

Chhattisgarh National Lok Adalat: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की तरफ से लगाई गई नेशनल लोक अदालत में हाई कोर्ट ने 96 मामलो का निराकरण किया है। इसके अलावा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए वर्चुअल कई मामलों का निरीक्षण किया गया।

छत्तीसगढ़ की नेशनल लोक अदालत
Chhattisgarh National Lok Adalat: छत्तीसगढ़ में बीते दिन (शनिवार) को नेशनल लोक अदालत आयोजित की गई, जिसमें छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट समेत प्रदेश के सभी जिला न्यायालयों ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए वर्चुअल कई मामलों का निरीक्षण किया। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा द्वारा आयोजित इस लोक अदालत में हाई कोर्ट ने 96 प्रकरणों का निराकरण किया गया। इस लोक अदालत में मामलों का निरीक्षण करते हुए संबंधित खंडपीठों के न्यायाधीश, न्यायाधिपति सचिन सिंह राजपूत, न्यायाधिपति अरविंद कुमार वर्मा और न्यायाधिपति रविन्द्र कुमार अग्रवाल शामिल थे।

चीफ जस्टिस का निर्देश 

इस दौरान में मामलों का वर्चुअल निरीक्षण करते हुए चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने संबंधित जिला और सत्र न्यायाधीशों से उनके जिले में लोक अदालतों में निराकृत मामलों और विचाराधीन मामलों के बारे में जानकारी ली। इसके साथ ही उन्होंने सभी जिला और सत्र न्यायाधीशों को निर्देश देते हुए कहा कि वे अधिक से अधिक प्रकरणों का निराकरण करें। यह भी पढ़े: छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से मिला मृतक साधराम यादव का परिवार, CM ने कहा- कार्रवाई करेंगे, इंसाफ दिलाएंगे

लोक अदालत में 5 साल पुराने मामले का निराकरण

इस दौरान धमतरी के जिला न्यायालय के जिला और सत्र न्यायाधीश केएल चरयाणी ने बताया कि उनके कोर्ट में बिजली चोरी का एक मामला पिछले साल से अटका हुआ था। इस केस में अभियुक्त को नोटिस तामिल नहीं हो पा रहा था। उन्होंने बताया कि यह मामले राजीनामा योग्य था, इस कारण से इस मामले को लेकर अभियुक्त के बारे में जानकारी प्राप्त की गई, जिसमें पता चला कि अभियुक्त किसी दूसरे अपराध के लिए रायपुर की केन्द्रीय जेल में सजा भुगत रही है, वहीं उसके परिवार में भी कोई जीवित सदस्य नहीं है। न्यायाधीश ने बताया कि रायपुर के केन्द्रीय जेल के मदद से अभियुक्त से सहमति लेकर जेल में मिलने वाले पारिश्रमिक से उससे अर्थदण्ड व राजीनामा शुल्क प्राप्त करते हुए प्रकरण का निराकरण किया गया।


Topics: