सेहत मंत्री के सामने नहीं गली सस्पेंडिड और टर्मिनेटिड हड़तालियों की दाल, अब CM से करेंगे मुलाकात
Chhattisgarh Suspended And Terminated Health Employees, रायपुर: छत्तीसगढ़ में सस्पेंड और टर्मिनेट कर दिए गए स्वास्थ्य विभाग के हड़ताली कर्मचारियों की प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के साथ हुई बैठक का कोई नतीजा नहीं निकला। अब इन प्रदर्शनकारियों ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मिलकर अपनी बात रखने का मन बनाया है। साथ ही सवाल उठ रहा है कि एसेंशियल सर्विस मैनेजमेंट एक्ट (ESMA) लगा होने के बावजूद कर्मचारियों ने हड़ताल कर दी और सरकार ने इन्हें घर भेजने का आदेश दे दिया, लेकिन प्रदेश की आम जनता को हो रही परेशानी के लिए कौन जिम्मेदार है।
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दस अलग-अलग संगठनों के नेतृत्व में 21 अगस्त से से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं छत्तीसगढ़ के 40 हजार से ज्यादा स्वास्थ्यकर्मी
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2 सितंबर को 4 हजार हड़तालियों को छत्तीसगढ़ सिविल सर्विस रेगुलेशन एक्ट 1965 के तहत सरकार ने सस्पेंड और टर्मिनेट कर दिया सरकार ने
दरअसल, छत्तीसगढ़ में प्रदेश सरकार से नाराज राज्य के 40 हजार से ज्यादा स्वास्थ्यकर्मी अस्पताल में सेवाओं का बहिष्कार कर दस अलग-अलग संगठनों के नेतृत्व में 21 अगस्त से से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। हालांकि, मरीजों को हो रही परेशानी पर ध्यान देते हुए प्रदेश की भूपेश बघेल सरकार ने एसेंशियल सर्विसेज मैनेजमेंट एक्ट (ESMA) भी लगा दिया। बावजूद इसके ये कर्मचारी काम पर नहीं लौट रहे थे तो 2 सितंबर को विभिन्न जिलों में धरने पर बैठे 4 हजार कर्मचारियों को छत्तीसगढ़ सिविल सर्विस रेगुलेशन एक्ट 1965 के तहत सरकार ने सस्पेंड और टर्मिनेट कर दिया।
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अब एक ओर 23 दिन से चल रही हड़ताल की वजह से प्रदेश में लोग खासे परेशान हो रहे हैं, वहीं नाराज कर्मचारी भी अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं। इनकी मांग है कि वेतन विसंगति को दूर किया जाए, कोरोना भत्ता और अन्य विभाग की तरह शनिवार-रविवार का अवकाश दिया जाए। भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानक (IPHS) सेटअप और हिंसक घटनाओं पर रोक लगाई जाए। अब इनकी मांगों में मौजूदा कार्रवाई को रद्द करवाना भी जुड़ गया है।
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छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य संयोजक संघ के अध्यक्ष टारजन गुप्ता ने बताया कि 5200 स्वास्थ्य उप केंद्रों, 650 पीएचसी 150 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों के 40 हजार स्वास्थ्य अधिकारी-कर्मचारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल के बाद से प्रदेश के सभी जिला अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में काम प्रभावित हुआ है। हम पिछले चार साल से चरणबद्ध तरीके से आंदोलन कर रहे हैं। ऐसा नहीं है कि हम हॉस्पिटल का बहिष्कार करके हड़ताल में आ गए हैं। आवेदन, निवेदन, ज्ञापन, सांकेतिक हड़ताल के जिला स्तरीय अनिश्चितकालीन हड़ताल उसके बाद यह फैसला लिया गया है। सरकार चाहती तो पहले ही हल निकल सकता था।
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