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छ्त्तीसगढ़ में ‘राम’ नाम की लूट! क्या ‘हिन्दुत्व’ पर बीजेपी का वर्चस्व रहा है टूट?

Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में ज्यादा वक्त नहीं है। सत्तारुढ़ कांग्रेस ग्रामीण क्षेत्रों में किए गए अपने कामों को तुरुप का इक्का मानकर जीत के लिए आश्वस्त है तो वहीं बीजेपी मोदी के चेहरे और अपनी हिन्दुत्व की छवि के दम पर चुनावी मैदान में जा रही है, लेकिन सबसे ज्यादा कन्फ्यूजन हिंदुत्व के […]

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Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में ज्यादा वक्त नहीं है। सत्तारुढ़ कांग्रेस ग्रामीण क्षेत्रों में किए गए अपने कामों को तुरुप का इक्का मानकर जीत के लिए आश्वस्त है तो वहीं बीजेपी मोदी के चेहरे और अपनी हिन्दुत्व की छवि के दम पर चुनावी मैदान में जा रही है, लेकिन सबसे ज्यादा कन्फ्यूजन हिंदुत्व के मुद्दे को लेकर है। बीजेपी के इस ट्रेड-मार्क मुद्दे की काट भूपेश बघेल ने सत्ता में आते ही शुरू कर दी थी। चुनाव नजदीक आते-आते अब बीजेपी को ये एहसास होने लगा है कि बघेल ने इस बड़े मुद्दे को काफी हद तक काउंटर कर लिया है। ऐसे में अब पार्टी नई रणनीति बनाने की तैयारी है।

एंटी हिंदू छवि को सॉफ्ट हिंदुत्व की छवि में बदला

सीएम बघेल ने सत्ता में आते ही छत्तीसगढ़ के भावनात्मक मुद्दों को परखा और उन पर काम शुरू किया...बघेल का विजन बहुत क्लियर था- धीरे-धीरे हिन्दुत्व के बड़े मुद्दे पर काम करन और चुनाव आते-आते इन कामों की लम्बी फेहरिस्त के जरिए बीजेपी को स्तब्ध कर कांग्रेस की एंटी हिंदू छवि को सॉफ्ट हिंदुत्व की छवि में बदल देना..इस रणनीति में वो काफी हद तक कामायाब भी होते दिख रहे हैं।

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अब कांग्रेस सरकार रायगढ़ में अंतरराष्ट्रीय रामायण महोत्सव कराने जा रही है। एक से 3 जून तक चलने वाले इस महोत्सव का निमंत्रण देशभर के मुख्यमंत्रियों को भेजा जाएगा। बीजेपी शासित सीएम आते हैं तो कांग्रेस के कार्यक्रम में चार चांद लगेंगे, नहीं आते हैं तो कांग्रेस जनता को बीच ये कहने में गुरेज नहीं करेगी कि बीजेपी नेताओं की राम भक्ति की असलियत यह है कि उनके पास हमारे कार्यक्रम में आने का वक्त तक नहीं।

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छत्तीसगढ़ में रामायण महोत्सव

  • छत्तीसगढ़ में कौशल्या महोत्सव के बाद अब रामायण महोत्सव
  • रायगढ़ में 1 जून से 3 दिवसीय रामायण महोत्सव
  • रायगढ़ में प्रसिद्ध रामलीला मैदान में होगा आयोजन
  • आयोजन में अरण्य कांड के प्रसंगो पर विशेष प्रस्तुति होंगी
  • आयोजन में देश-विदेश के कलाकार शामिल होंगे
  • CM भूपेश बघेल ने देश के सभी मुख्यमंत्रियों को पत्र भी लिखा है
  • बीजेपी शासित राज्यों के सीएम को भी निमंत्रण
  • राजा चक्रधर सिंह करवाते थे भव्य रामायण का आयोजन
  • राजा चक्रधर सिंह की परंपरा के संरक्षण के नाम पर आयोजन

अंतरराष्ट्रीय रामायण महोत्सव को लेकर बीजेपी कांग्रेस पर हमलावर है, बीजेपी ने अपने पुराने अंदाज में कांग्रेस पर चुनावी हिंदू होने का आरोप लगा दिया है...सीएम बघेल ने भी मोर्चा संभाल लिया है

रामायण महोत्सव पर सियासत

नेता प्रतिपक्ष धर्मलाल कौशिक का कहना है कि सरकार चुनाव को देखते हुए रामायण करवा रही है। ये चुनाव में लाभ के लिए आयोजन है। जिसने राम को छोड़ दिया उसे कोई नहीं बचा सकता। वहीं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहना है कि हम लोक संस्कृति और कला को बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ को लेकर अब लोगों का नजरिया बदला है। इससे रामायण के प्रसंगों की सुंदर व्याख्या होगी।

यहां ये भी समझना जरूरी है कि कांग्रेस कैसे अपने सॉफ्ट हिंदुत्व के मुद्दे पर खामोशी के साथ आगे बढ़ती रही। बीजेपी जहां धर्मांतरण जैसे मुद्दे को गर्माने में लगी रही..वहीं बघेल ने छोटी छोटी कई योजनाओं के जरिए ग्रामीण स्तर तक ये संदेश पहुंचाया कि उनकी सरकार हिन्दुत्व से जरा भी दूर नहीं है।

कांग्रेस का ‘हाथ’ कैसे आया हिन्दुत्व के साथ ?

बघेल ने ग्रामीण विकास की अवधारणा को लेकर किसान न्याय योजना को लॉन्च किया...और इसे एक कदम आगे बढ़ाते हुए इस योजना को गौ-माता की सेवा से जोड़कर इसमें हिन्दुत्व का तड़का लगा दिया..गौधन न्याय योजना से ग्रामीण विकास, किसानों की फिक्र और हिंदुत्व के मुद्दे के तीनों एजेंडे सेट हो गए ।कौशल्या माता मंदिर की नवनिर्माण के जरिए बीजेपी को राम मंदिर के संभावित फायदा लेने से  रोकने की रणनीति बनाई ...रान वन गमन पथ के निर्माण के साथ 15 साल की रमन सरकार के दौरान इन कामों को ना कर पाने की तोहमत जुड़ने का मौका बनाया ।इसके अलावा रामायण प्रतियोगिता के जरिए गांव गांव तक संदेश दिया कि वो राम और राम भक्तों के लिए काम कर रहे हैं...भजन मंडलियों को आर्थिक मदद देकर भावनात्मक मुद्दे के साथ आर्थिक मदद का बिंदु भी जोड़ा।

बीजेपी को उम्मीद है कोर हिन्दू वोटर उसके साथ आएंगे... लेकिन संशय इस बात का है कि क्या इस बार चुनाव में वोट हिंदुत्व के मुद्दे पर पड़ेंगे,हां कुछ इलाके जरुर ऐसे हैं जहां धर्मांतरण और मजहबी उन्माद की वजह से बीजेपी को फायदा मिल सकता है। लेकिन अब तक बीजेपी को मिलता रहा ‘सनातन’ का साथ क्या इस बार उसे सत्ता का ‘प्रसाद’ दिला पाएगा...ये सबसे बड़ा सवाल है।


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