बिहार के पूर्व मंत्री और आरजेडी के कद्दावर नेता विजय कृष्ण ने राजद को अलविदा कह दिया है. उन्होंने अपना त्याग-पत्र पार्टी के सुप्रीमो लालू प्रसाद को भेज दिया है और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता सहित सभी पदों से इस्तीफा दे दिया. विजय कृष्ण वही राजनेता हैं जिन्होंने साल 2004 के लोकसभा चुनाव में बाढ़ सीट से बिहार के मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को हराकर तहलका मचा दिया था. अब 75 वर्षीय विजय कृष्ण ने लालू यादव की पार्टी को अलविदा कह कर राजनीतिक गलियारों में चर्चा का नया दौर शुरू कर दिया है. हालांकि अभी तक उन्होंने ये स्पष्ट नहीं किया है कि वो किस पार्टी से अपनी नई शुरुआत करने जा रहे हैं.
जेडीयू में भी रहे विजय कृष्ण
कुछ समय के लिए विजय कृष्ण, नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू में भी रहे. साल 2009 में लोकसभा का टिकट ना मिलने से नाराज विजय कृष्ण ने एक साल के लिए जेडीयू के साथ रहे, लेकिन बाद में वो फिर से लालू यादव की आरजेडी में लौट आए. विजय कृष्ण के राजनीतिक करियर की बात करें तो उन्होंने 60 से दशक से अपने सफर की शुरुआत की. समाजवादी युवा सभा से राजनीति की सीढ़ियां चढ़ने वाले विजय कृष्ण 1977 में पहली बार जनता पार्टी से बिहार महासचिव बने, इसके बाद 1990 और 1995 में लगातार बाढ़ सीट से विधायक बने.
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विवादों से भी पुराना नाता
विजय कृष्ण का लालू यादव और आरजेडी से पुराना नाता है. वो लालू और राबड़ी सरकार में भी मंत्री बने. साल 2004 में लालू यादव ने उन्हें बाढ़ सीट से नीतीश कुमार के खिलाफ खड़ा किया और विजय कृष्ण ने बड़े अंतर से जीत दर्ज की. हालांकि इससे पहले 1999 में वो नीतीश कुमार से हार का स्वाद भी चख चुके हैं. इस हार को विजय कृष्ण पचा नहीं सके और कोर्ट चले गए. अदालत से भी उन्हें निराशा हाथ लगी, क्योंकि उनकी याचिका खारिज कर दी गई थी. विजय कृष्ण का विवादों से भी नाता रहा है. साल 2009 के एक मर्डर केस में बेटे के साथ उनका नाम भी आया, जिसमें कोर्ट ने पूर्व सांसद समेत चार लोगों को उम्र कैद की सजा सुनाई.