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पप्पू यादव-जीतनराम मांझी और… बिहार में दूसरे चरण के चुनाव में दांव पर लगी है 4 दिग्गजों की साख

Bihar Second Phase Voting: बिहार में 243 विधानसभा सीटों पर 2 चरणों में वोटिंग हो रही है और दूसरे चरण में 4 दिग्गजों पप्पू यादव, उपेंद्र कुशवाहा, जीतनराम मांझी और असदुद्दीन ओवैसी की किस्मत का फैसला होगा. इन चारों की अपने-अपने इलाके में वोटर्स पर पकड़ की मजबूती और ढील का पता चलेगा.

बिहार में 243 सीटों पर 2 चरणों में वोटिंग हो रही है.

Bihar Second Phase Voting: बिहार में आज 11 नवंबर को दूसरे चरण के विधानसभा चुनाव मतदान हो रहे हैं. 20 जिलों की 122 विधानसभा सीटों पर वोटिंग जारी है और इतनी सीटों पर 1302 उम्मीदवारों की साख दांव पर लगी है, जिसका फैसला 3.70 करोड़ वोटर्स कर रहे हैं. इनके अलावा दूसरे चरण के चुनाव में बिहार के 4 दिग्गज नेताओं पप्पू यादव, उपेंद्र कुशवाहा, जीतनराम मांझी, असदुद्दीन ओवैसी की साख भी दांव पर लगी है. बेशक यह लोग चुनावी रण में सीधे तौर पर नहीं उतरे हैं, लेकिन चुनाव इन चारों दिग्गजों के राजनीतिक भविष्य को तय करेंगे.

असदुद्दीन ओवैसी के लिए अग्निपरीक्षा?

बिहार में दूसरे चरण के मतदान मुस्लिम बहुल सीमांचल इलाके में भी हो रहे हैं, जहां AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की अग्निपरीक्षा होनी है, क्योंकि साल 2020 के चुनाव में आवैसी की पार्टी ने 5 विधानसभा सीटें अमौर, बहादुरगंज, बायसी, जोकीहाट और कोचाधामन जीती थीं. हालांकि 4 विधायकों ने AIMIM छोड़कर तेजस्वी यादव की RJD जॉइन कर ली थी, लेकिन 5 मुस्लिम बहुत सीटें जीतकर ओवैसी ने महागठबंधन को बड़ा झटका दिया था.

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इस बार फिर ओवैसी ने सीमांचल की 15 सीटों पर अपनी पार्टी के उम्मीदवार उतारे हैं, जिन्हें जीतने के लिए उन्होंने जी तोड़ मेहनत की है, लेकिन अगर ओवैसी इन 15 सीटों में से एक भी सीट नहीं जीतते हैं तो ओवैसी की मुस्लिम राजनीति पर सवाल खड़े हो जाएंगे, जो उनकी राजनीतिक छवि के लिए ठीक नहीं होगा.

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पप्पू यादव की साख दांव पर लगी?

पूर्णिया लोकसभा सीट से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव विधानसभा चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, लेकिन वोटर्स पर इनकी पकड़ की परीक्षा होगी. सुपौल और अररिया जिले की विधानसभा सीटों पर पप्पू यादव के सियासी भविष्य का इम्तिहान होगा. क्योंकि इन सीटों पर उन्होंने कांग्रेस से अपने चहेतों को टिकट दिलाया हुआ है, ऐसे में इन सीटों के चुनाव परिणाम से उनका सियासी भविष्य तय होगा. अगर वे हारते हैं तो पार्टी में उनके कद और पहुंच पर असर पड़ेगा.

पप्पू यादव कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और पप्पू यादव के करीबी हैं. अगर वे कांग्रेस में अपनी सियासी पकड़ को मजबूत बनाए रखना चाहते हैं और कांग्रेस हाईकमान के करीबी बना रहना चाहते हैं तो उनके चहेतों का चुनाव जीतना जरूरी है. कांग्रेस के लिए भी दोनों जिलों की सीटों महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि साल 2020 में कांग्रेस इन सीटों से चुनाव हार गई थी, लेकिन इस बार कांग्रेस ने इस इलाके में पप्पू यादव के चहेतों पर दांव लगाया है, जिस पर पप्पू यादव की साख भी प्रभावित होगी.

उपेंद्र कुशवाहा भी देंगे परीक्षा?

राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा भी बिहार के दूसरे में अग्निपरीक्षा देंगे. क्योंकि उपेंद्र कुशवाहा को NDA गठबंधन से 6 विधानसभा सीटें मिली हैं और इन सीटों से उन्होंने अपने चहेतों को टिकट दिया है, लेकिन अगर छहों प्रत्याशी या कुछ प्रत्याशी चुनाव हार जाते हैं तो NDA में उपेंद्र कुशवाहार की इमेज को धक्का लगेगा. कुशवाहा की 6 में 4 सीटों सासाराम, दिनारा, मधुबनी, बाजपट्टी पर दूसरे चरण में मतदान हो रहे हैं.

सासाराम से उपेंद्र की पत्री स्नेहलता चुनाव लड़ रही हैं. इन चारों सीटों पर मौजूदा विधायक RJD के हैं, ऐसे में उपेंद्र कुशवाहा के लिए चारों सीटों जीतना महत्वपूर्ण है. अगर हर होती है तो RJD के सामने और गठबंधन में उनका राजनीतिक कद कम हो जाएगा. इसलिए दूसरे चरण में उपेंद्र कुशवाहा की बड़ी और असली परीक्षा हो रही है.

जीतनराम मांझी देगे सियासी परीक्षा?

बिहार में दूसरे चरण के विधानसभा चुनाव में NDA के सहयोगी दल HAM प्रमुख जीतनराम मांझी का राजनीतिक भविष्य भी तय होगा. गठबंधन के तहत मांझी की पार्टी को 6 विधानसभा सीटें मिली हैं, जिनमें से इमामगंज, सिकंदरा, बाराचट्टी और टिकारी सीट पर पहले से मांझी की पार्टी के विधायक हैं. वहीं इस बार इन सीटों पर मांझी के उम्मीदवारों का मुकाबला RJD से हैं. इन चारों सिटिंग सीट पर राजद से मुकाबला है.

कुटुंबा में मांझी के उम्मीदवार का मुकाबला कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम से हैं, वहीं अतरी में टक्कर RJD कैंडिडेट से है. इमामगंज सीट पर सबसे बड़ी और कांटे की टक्कर है. क्योंकि इस सीट से जीतन राम मांझी की बहू दीपा मांझी चुनाव लड़ रही हैं, वहीं बाराचट्टी सीट से उनकी समधन ज्योति देवी चुनावी रण में हैं. इन दोनों केा जिताने की जिम्मा मांझी पर है, इसलिए मांझी की सभी 6 सीटों पर कड़ी परीक्षा होगी.


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