Motivational story of Shailesh Kumar: भारत के पहले पैरालंपिक गोल्ड मेडलिस्ट मुरलीकांत पेटकर की बॉयोपिक चंदू चैंपियन में अभिनेता कार्तिक आर्यन ने मुख्य किरदार निभाया था. जैसे मुरलीकांत ने चोट और संघर्षों के बावजूद विश्व मंच पर जीत हासिल की, उसी तरह बिहार के साधारण किसान परिवार के बेटे शैलेश कुमार ने भी कठिन परिस्थितियों से निकलकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण पदक पाया. शैलेश कुमार ने नई दिल्ली में चल रही विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में पुरुषों की ऊंची कूद में गोल्ड जीता.शैलेश कुमार की सफलता यह संदेश देती है कि अगर हौसला और मेहनत हो तो परिस्थितियां कभी बाधा नहीं बनतीं. उनकी कहानी सिर्फ एक खिलाड़ी की जीत नहीं बल्कि लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा है—बिलकुल चंदू चैंपियन के असली नायक की तरह..
पीएम मोदी भी शैलेश को दे चुके हैं बधाई
दो साल पहले चीन में हुए एशियन पैरा गेम्स में गोल्ड जीतकर पीएम मोदी की बधाई का पात्र बने शैलेश कुमार ने अब वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में गोल्ड जीता. शैलेश कुमार बिहार में जमुई के साधारण किसान परिवार के बेटे हैं. इससे पहले पैरिस में हुए विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भी शैलेश ने रजत पदक जीता था. अब नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में चल रहे विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में पुरुषों की ऊंची कूद में बिहार के दिव्यांग बेटे शैलेश ने गोल्ड जीता. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ट्वीट कर शैलेश को बधाई दी और सरकार की ओर से 75 लाख रुपये देने का ऐलान किया.
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कौन हैं शैलेश कुमार, जो जमुई से पैरिस तक चमके
बिहार के जमुई जिले के रहने वाले पैरा एथलीट शैलेश कुमार के दाहिने पैर में बचपन से पोलियो था. शैलेश ने नंगे पैर दौड़कर और साधारण जूतों का उपयोग करके कई रिकॉर्ड बनाए हैं और अपनी कड़ी मेहनत, दृढ़ संकल्प और आर्थिक चुनौतियों पर जीत हासिल कर देश का नाम बढ़ाया.
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बचपन संघर्षों से भरा रहा
किसान पिता शिवनंदन यादव के घर जन्मे शैलेश का बचपन संघर्षों से भरा रहा. घर में संसाधनों की कमी के बावजूद उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से अपनी पहचान बनाई. उनकी उपलब्धियों के कारण उन्हें बिहार सरकार ने सम्मानित भी किया है और 'मेडल लाओ नौकरी पाओ' योजना के तहत क्लास वन की नौकरी दी है, जिससे वे समाज कल्याण विभाग में बाल विकास प्रोजेक्ट ऑफिसर के रूप में कार्यरत हैं.