Bihar elections NDA seat sharing battle latest update: बिहार चुनाव का अभी एलान तो नहीं हुआ हैं लेकिन एनडीए और इंडिया दोनों गठबंधन की राजनीतिक हलचल तेज हो गई है । राहुल वोटर अधिकार यात्रा कर चुके है तो तेजस्वी बिहार अधिकार यात्रा पर निकले हुए हैं । बीजेपी के टिप ब्रास भी लगातार बिहार की यात्रा पर है पीएम नड्डा शाह और बिहार के तमाम नेता जमीन पर एनडीए की सभा कर रहे हैं वहीं प्रचार प्रसार के लिए हर ज़िले में 6-6 रथ एनडीए का घूम रहा है, लेकिन चुनाव की सबसे अहम कड़ी सीट बंटवारा उम्मीदवारों का चुनाव और सीट शेयरिंग दोनों गठबंधन के लिए मुसीबत बनी हुई है।
जेडीयू और बीजेपी के बीच बराबरी की खींचतान
जेडीयू और बीजेपी के बीच भी बराबरी की खींचतान है। 2020 में जेडीयू 115 और बीजेपी 110 सीटों पर लड़ी थी, लेकिन नतीजों में बीजेपी जेडीयू से कहीं आगे निकली। अब बीजेपी अपने प्रदर्शन और मौजूदा सियासी हालात को देखते हुए ज्यादा सीटें चाहती है। सूत्र बताते हैं कि बीजेपी 110 से 115 सीटों पर लड़ने की तैयारी में है, जबकि जेडीयू 100 से ऊपर जाने को तैयार नहीं। हालांकि दावा किया का रहा ही ऑल इस वेल !
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पासवान एनडीए में अपनी ताक़त दिखाने के मूड में
लोजपा सुप्रीमो चिराग पासवान इस बार एनडीए में अपनी ताक़त दिखाने के मूड में हैं। 2015 में उनकी पार्टी 47 सीटों पर लड़ी थी, जबकि 2020 में अलग होकर 137 सीटों पर उतरे थे। अब लोजपा की मांग है कि सीट बंटवारा सम्मानजनक होना चाहिए। सूत्रों के मुताबिक, लोजपा 40 सीटें चाहती है, लेकिन एनडीए उन्हें 25 से 28 सीटें देने के मूड में है।
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सीट शेयरिंग को लेकर दो फार्मूले पर चर्चा है।
फार्मूला 1
- जेडीयू : 105
- बीजेपी : 100
- बाकी दल : 38
- लोजपा को अधिकतम 22 सीटें मिल सकती हैं।
फार्मूला 2
- जेडीयू : 102
- बीजेपी : 101
- बाकी दल : 40
- लोजपा को 25 से ज्यादा सीटें नहीं मिलेंगी।
15–18 सीटें मांझी और कुशवाहा जैसे सहयोगियों को
सीट शेयरिंग पर पेंच इसलिए भी है क्योंकि मांझी और कुशवाहा भी 16 से 18 सीटों की मांग कर रहे हैं। इसी को सुलझाने के लिए तीन सितंबर को दिल्ली में अमित शाह ने बिहार बीजेपी नेताओं की बैठक की थी। और आज पटना में शाह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाक़ात की। माना जा रहा है कि इसी बातचीत से सीट बंटवारे का आख़िरी फ़ॉर्मूला निकलेगा। उधर, इंडिया गठबंधन लगातार बिहार में एक्टिव है। ऐसे में अगर एनडीए के भीतर सीटों की खींचतान लंबी खिंचती है तो इसका सीधा असर चुनावी नतीजों पर पड़ सकता है। लेकिन अभी भी बड़ा सवाल ये है जेडीयू बड़े भाई की भूमिका चाहती है,बीजेपी बराबरी से कम पर राज़ी नहीं और चिराग पासवान अपनी पार्टी की हिस्सेदारी को लेकर अड़े हैं। ऐसे में यह संग्राम सुलझेगा या और उलझेगा?