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बिहार चुनाव में किसको सपोर्ट करेंगे मुस्लिम? इफ्तार पार्टी बहिष्कार के बाद गरमाई सियासत

बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले इफ्तार पार्टी को लेकर जमकर सियासत हो रही है। नीतीश कुमार से नाराज मुस्लिमों को आरजेडी अपने पाले में करना चाहती है। इसको लेकर आरजेडी ने आज इफ्तार पार्टी का आयोजन किया है।

CM Nitish Kumar And Lalu Yadav
बिहार में चुनाव से पहले जमकर सियासत हो रही है। आरजेडी राष्ट्रगान और क्राइम के मुद्दों पर नीतीश सरकार का जमकर घेराव कर रही है। इस बीच सीएम नीतीश को एक और झटका लगा है। सीएम ने रविवार को अपने सरकारी आवास 1 अणे मार्ग पटना में इफ्तार पार्टी का आयोजन किया था। इस दौरान कई मुस्लिम संगठनों ने इसमें हिस्सा नहीं लिया। जमीयत ने वक्फ बोर्ड बिल को लेकर सीएम नीतीश की इफ्तार पार्टी का बहिष्कार करने का ऐलान किया था। उधर आरजेडी प्रमुख लालू यादव ने आज इफ्तार पार्टी का आयोजन किया। इसमें सभी धार्मिक संगठनों को न्योता दिया गया है।

बिहार में 17 प्रतिशत मुस्लिम आबादी

बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं। बिहार की सियासत में मुस्लिमों की भूमिका बड़ी महत्वपूर्ण है। जातीय जनगणना के अनुसार बिहार में मुस्लिमों की आबादी 17 प्रतिशत के करीब है। मुस्लिम परंपरागत तौर पर पहले कांग्रेस इसके बाद आरजेडी और जेडीयू को वोट करते रहे हैं। बिहार में आरजेडी का एमवाई समीकरण मुस्लिम और यादव वोटर्स पर ही टिका है। 80 के बाद जब लालू यादव पहली बार सत्ता में आए तो उस समय सभी मुस्लिम एकतरफा लालू यादव को वोट करते थे, ऐसे में अब हालात बदल गए हैं। 2005 में जब नीतीश सत्ता में आए तो उन्होंने मुस्लिम वोटों में सेंधमारी की। नतीजा लालू यादव चुनाव हार गए।

नीतीश कुमार के लिए परीक्षा की घड़ी

बिहार में नीतीश कुमार की छवि सेक्युलर नेता की मानी जाती है। उन्हें सर्वधर्म समभाव वाला नेता माना जाता है। उन्होंने तिलक और टोपी की राजनीति साथ-साथ की। हालांकि जब बिहार में बीजेपी का उदय हुआ तो समय-समय पर उनके सेक्युलर नहीं होने को लेकर सवाल उठते रहे हैं। ऐसे में अब जब मुस्लिम संगठनों से इफ्तार पार्टी का विरोध किया है तो क्या इससे नीतीश कुमार को झटका लगेगा? ये भी पढ़ेंः पूर्व केंद्रीय मंत्री के विवादित बयान पर JDU का पलटवार, शराबबंदी पर दिया करारा जवाब

चुनावी लाभ उठाने की कोशिश में आरजेडी

मुस्लिम संगठनों के विरोध का चुनाव में क्या असर होगा? इसको लेकर न्यूज 24 पटना के वरिष्ठ पत्रकार अमिताभ ओझा ने कहा कि वक्फ बोर्ड बिल को लेकर दबाव बनाने की कोशिश है। मुस्लिम संगठन चाहते हैं कि नीतीश कुमार अपना फैसला बदल दें। वे सरकार को इस बिल पर लोकसभा और राज्यसभा में सपोर्ट नहीं करें। शुरुआत में नीतीश कुमार ने इस मुद्दे पर एक बैठक बुलाई थी। जिसमें सभी संगठन शामिल हुए। इसके बाद सीएम नीतीश कुमार ने इसको लेकर कोई बैठक नहीं की। ऐसे में मुस्लिम संगठन इससे नाराज थे। इसको लेकर 26 मार्च को पटना में मुस्लिम संगठनों ने विशाल प्रदर्शन करने की योजना बनाई है।

सभी लोग बेनकाब होंगे

वहीं आरजेडी और लालू यादव इस मौके का लाभ उठाना चाहते हैं। लालू यादव को शुरुआत से ही मुस्लिमों का समर्थन मिलता रहा है। ऐसे में मुस्लिम संगठनों की अपील और नीतीश कुमार की आलोचना को आरजेडी ने अपनी सोशल मीडिया के जरिए शेयर किया। ताकि चुनाव में आरजेडी को मुस्लिम वोट मिल सके। इस पूरे मामले पर बिहार में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जमा खां ने कहा कि ये सब एक साजिश के तहत हो रहा है, ये सभी लोग जल्द ही बेनकाब हो जाएंगे। ये भी पढ़ेंः सीएम नीतीश की इफ्तार पार्टी में नहीं दिखे मौलाना, बिहार में रामनवमी को लेकर बीजेपी की क्या तैयारी?


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