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बीजेपी का ‘स्ट्राइक रेट जादू’, गुजरात के गढ़ से बिहार की मिट्टी तक 85% से 88% की छलांग का राज क्या?

BJP Bihar Political Strategy: बिहार विधानसभा चुनाव में NDA गठबंधन को बहुमत के साथ जीत मिली है. ये ऐसी जीत है, जो गुजरात में भी BJP को नहीं पाई. यानी गुजरात में भी BJP का स्ट्राइक रेट 85 फीसदी रहा, जबकि यहां पर ये 88% तक पहुंच गया. आखिर इसके पीछे क्या कारण हैं? BJP ने ये जादू कैसे चलाया?

Photo Credit- News24GFX

BJP Bihar Political Strategy: बिहार की राजनीति में कई बार विपक्ष ने गुजरात के विकास को अपना मुद्दा बनाया. कई बार विपक्षी नेताओं के भाषणों में गुजरात में किए जा रहे विकास को लेकर सवाल उठाए गए कि बिहार में ये सब क्यों नहीं करते? गुजरात बीजेपी का परंपरागत गढ़ माना जाता है. गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 में बीजेपी ने कुल 182 सीटों पर चुनाव लड़ा और 156 सीटें जीती थीं. उस दौरान उनका स्ट्राइक रेट 85.71% फीसदी. लेकिन अब बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में ये स्ट्राइक रेट 88.12% तक पहुंच गया. सवाल ये उठता है कि क्या बिहार में विकास और हिंदुत्व का फॉर्मूला काम आया? आखिर बिहार जैसी चुनौतीपूर्ण जगह को BJP के लिए जीतना कैसे आसान बन गया?

गुजरात में कितना रहा स्ट्राइक रेट?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गुजरात का पुराना नाता है. उन्होंने गुजरात में अपनी मजबूत पकड़ बनाई, उसके बाद वह केंद्र में आए. गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 में BJP को बहुमत से जीत मिली थी, लेकिन वो नतीजे बिहार के नतीजों से कुछ कम थे. जी हां, गुजरात चुनाव 2022 में बीजेपी ने कुल 182 सीटों पर चुनाव लड़ा और 156 सीटों पर जीत हासिल की. उस दौरान उनका स्ट्राइक रेट 85.71% रहा था.

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बिहार में गुजरात से ज्यादा स्ट्राइक रेट

अब बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की बात करें तो यहां पर बीजेपी ने NDA के हिस्से के रूप में कुल 101 सीटों पर चुनाव लड़ा. इसमें 89 सीटें जीती हैं. जिससे उनका स्ट्राइक रेट 88.12% रहा. यहां पर NDA ने कुल 202 सीटें हासिल की हैं, जिसमें JDU को 85, LJP(RV) को 19 और बाकी की अन्य सहयोगियों को बाकी मिली हैं. इसमें साफ देखा जा सकता है कि गुजरात जैसे 'होम ग्राउंड' के मुकाबले में इस बार BJP का बिहार में ज्यादा स्ट्राइक रेट रहा है.

गुजरात में क्या थी BJP की स्ट्रेटजी?

देखा जाए तो BJP केवल हिंदुत्व पर नहीं टिकी है और इसका उदाहरण गुजरात है. दरअसल, BJP का हिंदुत्व और राष्ट्रवाद एक मुद्दा रहा है, लेकिन पीएम मोदी के भाषणों में विकास और संस्कृति का बहुत प्रभाव देखने को मिला है. उन्हें पता है कि किसी के साथ भावनात्मक रूप से जुड़ने के बाद ही लोग उन पर भरोसा कर पाएंगे. गुजरात में जब पीएम मोदी मुख्यमंत्री थे, तब भी उन्होंने विकास और गुजराती अस्मिता पर काफी जोर दिया था. उन्होंने BJP को ही गुजरात की अस्मिता और गर्व के साथ जोड़ा.

बिहार में कौन सी बातों पर किया फोकस?

बिहार की राजनीति में इस बार महिलाओं का बहुत ज्यादा योगदान देखने को मिला. बिहार में जब पीएम मोदी की मां को अपशब्द कहे गए तब उन्होंने इसे राज्य की सभी महिलाओं के अपमान से जोड़ा. विपक्षी नेताओं के बयानों को पीएम ने बिहारी अस्मिता, बिहारी संस्कृति और छठी मैया से जोड़ा. इसका सीधा असर ये पड़ा कि पार्टी ने भावनात्मक तौर पर वहां पर अपनी जगह बनाई. इसके साथ ही महिलाओं को साधने में भी काफी हद तक सफल रहे.

हिंदुत्व फैक्टर के अलावा, BJP के संकल्प पत्र में विकास का मॉडल गुजरात के मॉडल से काफी मिलता-जुलता रहा. उन्होंने नए एक्सप्रेसवे और रेलवे प्रोजेक्ट के अलावा कई वादे किए. इसके साथ ही बिहार चुनाव में मोदी और नीतीश की जोड़ी को विकास करने वाली जोड़ी के तौर पर देखा गया.

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