अमिताभ ओझाBig Twist in Bihar Politics: बिहार के सीवान से एक बड़ी खबर सामने आई है। यहां जिले की राजनीति में एक बड़ा ट्विस्ट आ गया है। आरजेडी के पूर्व बाहुबली सांसद दिवंगत शहाबुद्दीन को चुनौती देने वाले बाहुबली खान ब्रदर्स अब चिराग पासवान के रथ पर सवार हो गए हैं। बाहुबली खान ब्रदर्स अयूब खान और रईस खान ने बुधवार को सीवान के हुसैनगंज के सहुली स्कूल मैदान में चिराग पासवान की मौजूदगी में लोजपा (आर) में शामिल हो गए। इनके साथ अयूब खान के बेटे सैफ खान भी लोजपा में शामिल हो गए हैं।
क्या बोले चिराग पासवान?
चिराग पासवान ने कहा कि खान भाइयों के शामिल होने से पार्टी को मजबूती मिलेगी, बल्कि आने वाले चुनाव में एनडीए को फायदा मिलेगा। उन्होंने विश्वास जताया कि पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों के प्रयास से विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करेगी। चिराग पासवान ने यह भी कहा कि उनके पिता रामविलास पासवान का सपना था कि समाज के सभी तबकों के लोगों को एक साथ जोड़कर बिहार का विकास किया जाए। बिहार के विकास ही हमारी पहली प्राथमिकता है।
आरजेडी और जेडीयू में भी की थी कोशिश
कई आपराधिक मामलों के आरोपी रहे अयूब और रईस खान एक समय सीवान के आतंक के लिए माने जाते थे। सीवान में खान ब्रदर्स और शाहबुद्दीन के बीच वर्चस्व की लड़ाई में कई लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था। हालांकि लोजपा में शामिल होने के पहले इन दोनों खान भाइयों ने आरजेडी और जेडीयू में भी जमीन तलाशने की कोशिश की थी।
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सीवान के खान ब्रदर्स की पचहान
वैसे देखा जाए तो सीवान में खान भाई अपने आतंक और रसूख के लिए जाने जाते हैं। अयूब खान पर जहां तिहरे हत्याकांड का आरोप है, वहीं रईस खान एक सिपाही की हत्या के मामले में जमानत पर हैं। हालांकि, अयूब खान के बेटे सैफ खान पर कोई भी आपराधिक मामला दर्ज नहीं है। साल 2020 में रईस खान सीवान से निर्दलीय एमएलसी के चुनाव में खड़े हुए थे। 5 अप्रैल 2020 को मतदान के बाद जब वे लौट रहे थे, उनके काफिले पर एके 47 से हमला हुआ था। इस हमले में एक व्यक्ति की जान चली गई थी। रईस खान ने इस हमले का आरोप शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा पर लगाया था। इस मामले में ओसामा सहित आठ लोग नामजद बनाए गए थे। शहाबुद्दीन परिवार और खान भाइयों के बीच सालों से यह विवाद चला आ रहा है। बताया जाता है कि खान भाइयों के पिता कमरुल हक खान बिहार पुलिस में सिपाही थे, उसके बाद फिर राजनीति में आए थे। 2005 के चुनाव में रघुनाथपुर विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट पर खड़े हुए थे, लेकिन उनका अपहरण हो गया था और आरोप शहाबुद्दीन पर लगा था। इसके बाद से ही दोनों परिवारों के बीच अदावत शुरू हो गई थी।
आरजेडी और जेडीयू में नहीं बनी बात
शाहबुद्दीन के निधन के बाद अयूब और रईस खान सीवान की राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत बनाना चाहते थे। वहीं रईस ने आरजेडी के साथ शहाबुद्दीन परिवार की नाराजगी का फायदा उठाने की कोशिश भी की थी। तेजप्रताप यादव के साथ रईस खान की नजदीकियां भी बढ़ीं। लेकिन इसका उन्हें कोई फायदा नहीं हुआ और न ही उन्हें राजनीति में एंट्री मिली। इसके बाद अयूब और रईस खान जेडीयू की तरफ भी गए। पार्टी के कई बड़े नेताओं के साथ मीटिंग हुई, तस्वीरें भी सामने आईं। लेकिन यहां भी बात नहीं बनी, आखिर में दोनों भाइयों को लोजपा आर में एंट्री मिली। बिहार में होने वाले विधानसभा चुनावों में खान ब्रदर्स अपना दांव खेल सकते हैं। वहीं शहाबुद्दीन परिवार की वापसी भी आरजेडी में हो चुकी है। ऐसे में आगामी विधानसभा चुनाव में सीवान की राजनीति में ट्विस्ट तो आ ही गया है।