Azadi ka Amrit Mahotsav: आजादी के 75 वर्षों से भारत का नाज हूं, मैं ‘ताज’ हूं
Azadi ka Amrit Mahotsav: मैं ताज महल हूं। एक बादशाह और उनकी बेगम की मोहब्बत की निशानी, दुनिया के अजूबों में से एक और भारत की शान जैसे न जाने कितने ही नाम हैं मेरे। मैंने आजादी के 75 वर्षों को करीब से देखा है। मैंने इस देश में मुश्किल दौर के काले बादलों को मंडराते हुए भी देखा है, तो भारतीयों की उनसे पार पाने की काबिलियत का भी मैं साक्षी रहा हूं। एक समय ऐसा भी था जब 71 के भारत-पाक युद्ध में मैं ढंका भी गया, परवेज मुशर्रफ के आने पर सजाया भी गया।
मुफ्त रहेगी ताज में एंट्री
विवाद के चलते मेरा नाम कोर्ट-कचहरी में भी आया। न जाने कितने राष्ट्रों के अध्यक्षों ने मेरे साथ इतराते हुए तस्वीरें भी लीं। आजादी के इस अमृत महोत्सव में जानिए मैं किन-किन मौकों का साक्षी बना हूं। और हैं, इस बार 15 अगस्त तक के लिए भारतीय और विदेशी मुझे मुफ्त में निहार सकते हैं। आजादी के इस अमृत महोत्सव के मौके पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की ओर से ताज समेत अन्य स्मारकों पर कोई भी शुल्क नहीं लिया जाएगा।
सफेद संगमरमर संग रत्न जड़ित नक्काशी से हुआ मेरा श्रंगार
शुरुआत करते हैं मेरे इतिहास से। लोग अपनी मोहब्बत के लिए न जाने क्या-क्या कर जाते हैं। सदियों तक उनकी कहानियां बताई जाएं, इसलिए कुछ खास करते हैं। ऐसा ही कुछ किया था मुगल बादशाह शाहजहां ने। शाहजहां अपनी बेगम मुमताज की याद में मुझे अस्तित्व में लेकर आए। इतिहासकारों की मानें तो मैं इस दुनिया में साल 1632 में आया। मोहब्बत की नायाब निशानी के तौर पर मेरा नूर देश में ही नहीं, बल्कि दुनिया में बिखर गया। सफेद संगमरमर का लिबास ओढ़े और रत्न जड़ित नक्काशी मेरी खूबसूरती को चार चांद लगाती है। आजादी के इन 75 वर्षों में मैंने जाने कितने ही यादगार पलों को अपने दामन में संजोकर रखा है।
आपको पता है, कौन-कौन मुझे देखने आया?
मीडियो रिपोर्ट्स के मुताबित साल 1959 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डी. आइजनहावर ने अपने भारत दौरे के समय विशेष रूप से आगरा जाने का कार्यक्रम बनाया और मुझे यानि ताजमहल का दीदार करने के लिए पहुंचे। मेरी खूबसूरती से इतने प्रभावित हुए कि देखते ही उनके मुहं से निकला, वाह ताज। इसके बाद बात करते हैं उन लोगों की जो मेरे साए में आकर देश दुनिया के लिए शुर्खियां बन गए। साल 1995 में अमेरिका के राष्ट्रपति बिल क्लिंटन अपनी पत्नी हिरेली क्लिंटन के साथ पहुंचे। उनके बाद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री परवेज मुशर्रफ का भी आता है। साल 2000 के मार्च की 22 तारीख वो दिन दिन था जब वायपेयी सरकार में परवेज मुशर्रफ अपनी बेगम के साथ मुझे देखने के लिए आए। इस दिन मुझे सजाया गया। इनके बाद दूसरे सबसे चर्चित चेहरे रहे अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप। ट्रंप अपनी पत्नी मेलानिया, बेटी और दामाद के साथ आगरा पहुंचे थे।
बराक ओबामा को रहा आने का मलाल
दुनिया के कई राष्ट्राध्यक्षों ने अपने भारत दौरे के दौरान मेरे साथ अपना समय बिताया। लेकिन एक ऐसे भी राष्ट्राध्यक्ष रहे हैं, जिन्हें मेरे पास न जा पाने का मलाल भी रहा। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बाराक ओबामा दो बार भारत दौरे पर आए। दोनों बार ताजमहल देखने का कार्यक्रम तय हुआ, लेकिन किन्ही कारणों से कार्यक्रमों को रद्द करने पड़े। रिपोर्ट्स के मुताबिक वर्ष 2010 और वर्ष 2015 में बराक ओबामा दो बार भारत आए। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी अक्टूबर 2000 को अपनी पत्नी से साथ ताज को देख चुके हैं। ब्राजील और फ्रांस के राष्ट्रपति भी मेरी खूबसूरती से प्रभावित होकर आ चुके हैं। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और इजराइल के पूर्व प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू भी आगरा पहुंच चुके हैं।
71 के युद्ध में काले कपड़े से ढका गया था
एक समय ऐसा भी आया जब दुश्मनों से मुझे बचाने के लिए जद्दोजहद की गई। साल 1971 में भारत और पाकिस्तान में युद्ध छिड़ गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तान के लड़ाकू विमानों ने आगरा पर हमला कर दिया। पाकिस्तानी हमलों में ताजमहल को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई। बताया जाता है कि पाकिस्तानी वायु सेना ने दिसंबर माह की एक रात को आगरा में बमबारी कर दी। 16 बम आगरा में गिराए गए थे। पाक के हमले के दौरान आगरा समेत पूरे इलाके में ब्लैक आउट किया गया। काले कपड़े से मेरे मुख्य गुम्मद और चारों मीनारों को ढका गया। इसके अलावा सफेद संगमरमर के फर्श को पेड़ों की पत्तियों से पाट दिया गया। ताकि पाकिस्तान के लड़ाकू विमान मुझे अपना निशाना न बना लें।
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