Ranji Trophy: अर्जुन की बल्लेबाजी पर आया सचिन तेंदुलकर का रिएक्शन, सेंचुरी से पहले बातचीत का किया खुलासा
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नई दिल्ली: क्रिकेट के दिग्गज सचिन तेंदुलकर के बेटे अर्जुन तेंदुलकर चर्चा में हैं। रणजी ट्रॉफी में डेब्यू करते हुए अर्जुन ने गोवा की ओर से खेलते हुए सेंचुरी ठोक महफिल लूट ली है। उन्होंने इस मामले में पिता सचिन तेंदुलकर की बराबरी की, जिन्होंने रणजी डेब्यू में शतक ठोका था। पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए राजस्थान के खिलाफ शतक लगाकर चर्चा में आए अर्जुन गेंदबाजी में भी शानदार प्रदर्शन करते नजर आ रहे हैं। उन्होंने तीसरे दिन का खेल खत्म होने तक एक विकेट चटका डाला है। जाहिर है बेटे का प्रदर्शन देख सचिन तेंदुलकर खुशी से फूले नहीं समा रहे होंगे।
अर्जुन के शतक पर दिया ये बयान
मास्टर ब्लास्टर ने अपने पिता से जुड़ी एक याद को याद करते हुए अपने बेटे के शतक पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है। साथ ही रणजी शतक से एक दिन पहले अर्जुन के साथ अपनी बातचीत का भी खुलासा किया है। इंफोसिस द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में होस्ट गौरव कपूर से बात करते हुए सचिन ने कहा, "मुझे याद है कि जब मैंने भारत के लिए खेलना शुरू किया था तब मेरे पिता को किसी को 'सचिन का पिता' कहकर संबोधित किया था।" फिर पापा के दोस्त ने उनसे पूछा-आप कैसा महसूस कर रहे हैं?" तो आपका सवाल बिलकुल वैसा ही है।
अनावश्यक दबाव डाला गया
तेंदुलकर ने आगे खुलासा किया कि अर्जुन पर दुनिया की निगाहें होने के कारण उनका बेटा होने के नाते उन पर अनावश्यक दबाव डाला गया। सचिन ने कहा- जब वे खुद खेल रहे थे तब ऐसा दबाव नहीं होता था। मास्टर ब्लास्टर ने पहले दिन के अंत में अपने बेटे के साथ हुई बातचीत पर भी खुलकर बात की और अर्जुन को शतक लगाने के लिए कहा।
तुम्हें शतक बनाना चाहिए
सचिन ने कहा- "मैंने उसे शतक जमाने को कहा था। वह पहले दिन का खेल खत्म होने तक 4 रन पर बल्लेबाजी कर रहा था, उसे टीम ने नाइटवॉचमैन के रूप में भेजा था। उसने मुझसे पूछा, 'आपको क्या लगता है कि हम एक अच्छा टोटल कर पाएंगे ?" वे पांच विकेट खोकर 210 रन बना चुके थे। मैंने कहा- 'कम से कम 375 तक जाने की जरूरत है।' उसने कहा, 'क्या आप इस बारे में श्योर हैं?' मैंने जवाब दिया, 'हां, तुम्हें आगे जाकर शतक बनाने की जरूरत है।
उम्मीदों का दबाव नहीं था
सचिन ने आगे एक सवाल के जवाब में कहा- उसे क्रिकेट से प्यार करने दो। उसे वो मौका मिलना चाहिए। मैंने कभी अपने पेरेंट्स से प्रैशर नहीं झेला, तो ऐसे में उसे भी उस दबाव में नहीं रखना चाहिए। मेरे पेरेंट्स ने मुझे अपने आपको एक्सप्रेस करने की आजादी दी थी। मेरे ऊपर उम्मीदों का दबाव नहीं था। मैं भी अपने बेटे से यही चाहता हूं।
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