Chess World Cup 2023: प्रज्ञानानंदा के पिता ने बताया बेटे की जीत का राज, कहा-जीतने के लिए ऐसा करना पड़ता है
Praggnanandhaa In Final
Chess World Cup 2023:: विश्वकप चेस टूर्नामेंट में भारतीय ग्रैंडमास्टर आर प्रज्ञानानंदा ने शानदार खेल दिखाते हुए फाइनल में अपनी जगह पक्की कर ली है। वह अजरबैजान में चल रहे FIDE विश्व कप 2023 के फाइनल में पहुंचने वाले सबसे कम उम्र के शतरंज खिलाड़ी बन गए हैं। जबकि लीजेंड विश्वनाथन आनंद के बाद वह इस टूर्नामेंट में पहुंचने वाले दूसरे भारतीय भी बन गए हैं। फाइनल में उनका मुकाबला दुनिया के नंबर-1 प्लेयर मैग्नस कार्लसन से होगा। वहीं इस जीत पर प्रज्ञानानंदा के पिता ने बड़ी बात कही है।
जीतने के लिए बाधाओं को पार करना पड़ता है
दरअसल, प्रज्ञानानंदा के पिता रमेशबाबू और मां नागलक्ष्मी भी उनकी इस उपलब्धि पर बेहद खुश नजर आ रहे हैं। क्योंकि कम उम्र में ही उनके बेटे ने विश्वनाथन आनंद के कारनामों को एक बार फिर दोहराया है। प्रज्ञानानंदा के पिता ने बेटे की जीत पर एक मीडिया हाउस से बातचीत में कहा 'इस जीत से वह उत्साहित हैं, क्योंकि ऊपर पहुंचने के लिए आपको बाधाओं को पार करना पड़ता है। आगे के सफर के लिए भी हम पूरी तरह से उत्साहित हैं और प्रज्ञानानंदा के इस प्रदर्शन से बेहद खुश हैं।'
हर दिन बेटे से फोन पर बात करता था
प्रज्ञानानंदा के पिता रमेशबाबू ने कहा 'वह हर दिन अपने बेटे से फोन पर बात करते थे, जबकि प्रज्ञानानंदा भी उन्हें हर दिन कॉल करता था। यह अच्छी बात है कि उनकी मां इस दौरान उनके साथ है, लेकिन मैं चेन्नई में हूं। इसलिए मैं ज्यादा उसके खेल में दखल नहीं देना चाहता हूं। केवल फोन पर उसकी दिनचर्या और खाने के बारे में ही पूछता हूं। मैंने उसको सलाह दी है कि वह खेल में अपने कोच की राय जरूर माने। क्योंकि उनके कोच ही उन्हें इस मुकाम तक पहुंचा रहे हैं। इसलिए सबसे ज्यादा विश्वास उन्ही पर होना चाहिए।'
वह घबराता नहीं है
वहीं जब रमेशबाबू से पूछा गया कि प्रज्ञानानंदा प्रेशर को कैसे हेंडल करता है, इस पर उन्होंने कहा 'वह केवल 18 साल का है, इसलिए वह ज्यादा डरता या घबराता नहीं है। क्योंकि वह अपने खेल को पूरी तरह से समझता है। इसलिए वह कम उम्र में ही अपने खेल को बिना दवाब के खेलता है। क्योंकि बड़े टूर्नामेटों में शांत रहना बहुत जरूरी होता है। इसलिए मुझे उसके शांत रहने पर भी बहुत गर्व होता है।'
किसी पर दवाब नहीं बनाना चाहिए
प्रज्ञानानंदा के पिता का कहना है कि इस तरह के खेलों को किसी पर थोपा नहीं जा सकता है, क्योंकि इसके लिए अंदर से रुचि आती है। इसलिए किसी पर भी दवाब नहीं बनाना चाहिए। जो खेलना चाहता हैं उसे दिल से खेलने दीजिए।' बता दें कि अपने बेटे की उपलब्धि पर रमेशबाबू भी बेहद खुश नजर आ रहे हैं।
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