सचिन तेंदुलकर ‘भाई’ से कैसे बन गए ‘पाजी’, आशीष नेहरा ने सुनाया दिलचस्प किस्सा
Sachin Tendulkar Ashish Nehra
नई दिल्ली: क्रिकेट के दिग्गज सचिन तेंदुलकर को उनके खेल के लिए दुनियाभर में सम्मान मिला है। चाहे वनडे हो या टेस्ट, सचिन की बराबरी आज तक कोई नहीं कर पाया है। तेंदुलकर को मैदान और उसके बाहर कई नामों से पुकारा जाता रहा है। उनके साथ खेले कई खिलाड़ी उन्हें 'पाजी' कहकर पुकारते थे, हालांकि उनका ये नाम क्यों पड़ा...इसका खुलासा आज तक नहीं हुआ था, लेकिन अब पूर्व दिग्गज गेंदबाज आशीष नेहरा ने इसके पीछे का दिलचस्प वाकया बताया है।
पाकिस्तान के खिलाफ मैच के बाद पड़ गया पाजी नाम
आशीष नेहरा ने खुलासा किया कि कैसे सेंचुरियन सुपरस्पोर्ट पार्क में पाकिस्तान के खिलाफ 2003 के विश्व कप मैच के बाद तेंदुलकर का नाम 'पाजी' पड़ गया। तेंदुलकर ने अपने करियर में कुछ बेहतरीन पारियां खेली, लेकिन 2003 में पाकिस्तान के खिलाफ सबसे प्रतिष्ठित पारियों में से एक है। नेहरा ने खुलासा किया कि वे पहले तेंदुलकर को 'भाई' कहते थे, लेकिन इस जीत के बाद हरभजन सिंह पीछे 'पाजी नंबर 1' गा रहे थे। इसके बाद सभी ने तेंदुलकर को 'पाजी' कहना शुरू कर दिया। उन्होंने यह भी जोर देकर कहा कि पहले पूर्व भारतीय ऑलराउंडर कपिल देव को ही पाजी कहकर बुलाया जाता था।
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सचिन 'भाई' कहते थे
उन्होंने कहा- "इससे पहले हम उन्हें सचिन या सचिन 'भाई' कहते थे। हमने पहली बार 'पाजी' शब्द का इस्तेमाल पाकिस्तान के खिलाफ 2003 विश्व कप मैच के बाद किया था।' होटल वापस जाने के रास्ते बस में हरभजन सिंह ने ‘पाजी नंबर 1’ गाना शुरू किया, तो इस तरह सभी सचिन तेंदुलकर को पाजी कहने लगे। उनसे पहले, केवल एक पाजी थे- कपिल देव।
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सचिन तेंदुलकर ने मचा दी थी तबाही
पाकिस्तान ने मैच में 273/7 का चुनौतीपूर्ण स्कोर बनाया। वसीम अकरम, शोएब अख्तर और वकार यूनुस के साथ उनके पास शानदार गेंदबाजी लाइनअप था। हालांकि, तेंदुलकर ने पाकिस्तानी गेंदबाजों की धुनाई करते हुए की केवल 75 गेंदों में 98 रनों की शानदार पारी खेली। भारतीय पारी के दूसरे ओवर में तेंदुलकर ने अख्तर को पॉइंट बाउंड्री के ऊपर से छक्का जड़ दिया। वह छक्का आज भी याद किया जाता है। पारी के दौरान उन्होंने 12,000 एकदिवसीय रन के आंकड़े को भी पार कर लिया था। हालांकि 2003 के विश्व कप में टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ फाइनल हार गई थी, लेकिन तेंदुलकर ने शानदार रन बनाए। तेंदुलकर 2003 के विश्व कप में 61.18 की औसत से 673 रन बनाकर सर्वाधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी थे, जबकि नेहरा ने टूर्नामेंट में 15 विकेट झटके थे।
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