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Yassine Bounou: इस दीवार को तोड़ पाना नामुमकिन, जानिए कौन हैं मोरक्को के हीरो यासीन बोनो

नई दिल्ली: यासिने बोनो! मोरक्को के लिए इतिहास रचने वाला वो गोलकीपर, जो चीते की रफ्तार और बाज की नजर रख फुटबॉलर को चकमा दे देता है। वो लड़ाका जो गोलपोस्ट के चारों ओर ऐसा घेरा बनाता है जिसे तोड़ पाना हर किसी के बस की बात नहीं। ये हैं मोरक्को को फीफा वर्ल्ड कप […]

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नई दिल्ली: यासिने बोनो! मोरक्को के लिए इतिहास रचने वाला वो गोलकीपर, जो चीते की रफ्तार और बाज की नजर रख फुटबॉलर को चकमा दे देता है। वो लड़ाका जो गोलपोस्ट के चारों ओर ऐसा घेरा बनाता है जिसे तोड़ पाना हर किसी के बस की बात नहीं। ये हैं मोरक्को को फीफा वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में पहली बार पहुंचाने वाले गोलकीपर यासीन बोनो। इस वर्ल्ड कप में वह अपने प्रदर्शन से हैरान कर रहे हैं। कनाडा के खिलाफ मुकाबले में अपने खिलाफ एक गोल को छोड़ दिया जाए तो किसी भी टीम को मोरक्को की इस दीवार को तोड़ पाना मुमकिन नहीं हो पाया है। 15 दिसंबर को फ्रांस से होने वाले मुकाबले से पहले एक बार फिर यासिने बोनो पर नजरें टिकी हैं।. और पढ़िए - FIFA World Cup 2022: मेसी का मुकाबला लुका मोड्रिक से…ये हैं सेमीफाइनल की चार टीमें, देखें शेड्यूल

कौन हैं यासीन बोनो

बोनो का जन्म मॉन्ट्रियल, क्यूबेक में मोरक्को के माता-पिता के घर हुआ था। उनके पिता मूल रूप से ताउनेट के क्षेत्र से हैं। तीन साल की उम्र में वह कैसाब्लांका चला गया, जहां वह 1999 में एक बच्चे के रूप में वायडैड कैसाब्लांका फुटबॉल टीम में शामिल हो गए। शुरू में बोनो को हर फुटबॉलर की तरह अपने पैरों का उपयोग करना पसंद था, लेकिन उनकी लंबाई के कारण सुझाव दिया गया कि वह गोलकीपर बन जाएं। उनके गोलकीपिंग आइडल जियानलुइगी बफन और एडविन वैन डेर सर थे। पहली टीम में प्रमोट होने के बाद 2011 में उन्होंने क्लब करियर की शुरुआत की।
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पिता नहीं चाहते थे कि फुटबॉल खेलें

हालांकि उनके पिता नहीं चाहते थे कि यासीन फुटबॉल खेलें, लेकिन वह अपना सपना पालते रहे। बोनो ने अपने करियर का अधिकांश समय स्पेन में बिताया है। गिरोना और सेविला के लिए 100 से अधिक ला लीगा, ज़रागोज़ा और गिरोना के लिए सेगुंडा डिवीजन में 56 से अधिक प्रदर्शन किए हैं। उन्होंने 2020 में सेविला के साथ यूईएफए यूरोपा लीग भी जीती। वह 2013 से मोरक्को टीम के साथ खेल रहे हैं। बोनो ने दो फीफा विश्व कप और तीन अफ्रीका कप ऑफ नेशंस टूर्नामेंट में अपने देश का प्रतिनिधित्व किया है। वह पहले 2012 ओलंपिक में अंडर -23 टीम के लिए खेले थे।

बोनो का इंडियन कनेक्शन

यासीन बोनो ने पुर्तगाल की हराकर उसका सपना चकनाचूर कर दिया था। इस हार के बाद स्टार फुटबॉलर रोनाल्डो भी रोते नजर आए। बोनो का इंडियन कनेक्शन भी है। कभी वह केरल में भी खेलने आए थे। रिपोर्ट्स की मानें तो बोनो 2018 में फ्रैंडली मैच खेलने इंडिया आए थे। इस मैच के लिए वह स्पेनिश ला लीगा क्लब गिरोना की जर्सी पहनकर केरल आए थे, जिसमें केरल ब्लास्टर्स और ऑस्ट्रेलिया की मेलबर्न सिटी एफसी जैसी टीमें भी शामिल थीं। इसकी मेजबानी ब्लास्टर्स ने की थी। कोच्चि के जवाहरलाल नेहरू अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम में पहले मैच में मेलबर्न के खिलाफ गिरोना की क्लीन शीट बोनो थे। बोनो ने मैदान पर जबर्दस्त प्रदर्शन किया, इसकी बदौलत गिरोना ने छह गोल से मैच जीत लिया।

ब्लास्टर्स के खिलाफ दिया गया था आराम

हालांकि, वह ब्लास्टर्स के खिलाफ नहीं खेले। जिस मैच में बोनो को आराम दिया गया था उसमें भी गिरोना को बड़ी जीत मिली थी। जब गिरोना ने ब्लास्टर्स पोस्ट पर पांच बार फायरिंग की तो मलयाली टीम के पास कोई जवाब नहीं था। केरल में आने-जाने के बाद बोनो लोन पर सेविला आ गए। क्लब में उनके अच्छे प्रदर्शन के बाद सेविला ने इस खिलाड़ी को एक बड़े अनुबंध में हासिल कर लिया। बोनो वर्तमान में सेविला के मुख्य गोलकीपर हैं। और पढ़िए - खेल से जुड़ी खबरें यहाँ पढ़ें


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