तीसरे दिन ही विदर्भ ने अपने नाम कर लिया था मुकाबला
रणजी ट्रॉफी फाइनल में केरल की टीम ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी करने का फैसला किया था। विदर्भ की टीम ने पहली पारी में 379 रन बनाए थे। जिसमें दानिश मालेवार ने 153 रनों की पारी खेली थी. वहीं उनका साथ देते हुए नायर ने 86 रन बनाए थे। अंत में नचिकेत भूते ने 32 रन तो वहीं यश ठाकुर ने भी 23 रनों की पारी खेली थी। केरल के लिए ईडन एप्पल और नीधिश ने 3-3 विकेट अपने नाम किया था। जिसके जवाब में केरल की टीम पहली पारी में 342 रन ही बना सकी थी। मुकाबले के तीसरे दिन जब विदर्भ की टीम ने पहली पारी में 37 रनों की बढ़त हासिल की तो मैच उनकी तरफ मुड़ गया था। केरल के लिए कप्तान सचिन बेबी ने 98 रनों की पारी खेली। आदित्य सरवटे ने कप्तान का साथ देते हुए 79 रन बनाए थे।तीसरी बार चैंपियन बनी विदर्भ
पहली पारी में 37 रनों की बढ़त हासिल करने के बाद विदर्भ की टीम ने दूसरी पारी में 9 विकेट गंवाकर 375 रन बनाए। दूसरी पारी में विदर्भ के लिए दानिश मालेवार ने 73 रनों की पारी खेली। वहीं पहली पारी में शतक से चूकने वाले करुण नायर ने 135 रन बनाए। अंत में दर्शन नालकंडे ने नाबाद 51 रन बना डाले। मुकाबले के 5वें दिन तीसरे सेशन में दोनों कप्तानों ने ड्रॉ पर सहमति जता दी। जिसके कारण ही विदर्भ की टीम तीसरी बार रणजी ट्रॉफी चैंपियन बन गई। इससे पहले साल 2018 और 2019 में विदर्भ ने इस टूर्नामेंट को जीता था।
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