Peter Lever: इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ECB) ने इंग्लैंड के पूर्व खिलाड़ी पीटर लीवर के 84 साल की उम्र में निधन पर शोक जताया है। पीटर लीवर दाएं हाथ के तेज-मध्यम गेंदबाज थे और अपनीबेहतरीन गेंदबाजी के लिए जाने जाते थे। उन्होंने इंग्लिश और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में अपनी खास पहचान बनाई। अपने घरेलू करियर में उन्होंने लंकाशायर के लिए 301 प्रथम श्रेणी मैच खेले, जिसमें 796 विकेट लिए और 3,534 रन भी बनाए। हालांकि, 1970 से 1975 के बीच इंग्लैंड के लिए उनका प्रदर्शन बेहद यादगार रहा था।
रेस्ट ऑफ द वर्ल्ड XI के खिलाफ किया था शानदार प्रदर्शन
1970 में रेस्ट ऑफ़ द वर्ल्ड XI के खिलाफ 7 विकेट लेकर वो प्रसिद्ध हुए। उन्होंने जिन बल्लेबाजों को आउट किया, उनमें एडी बार्लो, ग्रीम पोलक, मुश्ताक मोहम्मद, गैरी सोबर्स, क्लाइव लॉयड, माइक प्रॉक्टर और इंतिखाब आलम शामिल थे। उन्होंने बाद में कहा, "उन सात विकेटों को लेने के बाद मैं एशेज की टीम में शामिल किया गया था।"
एशेज सीरीज में किया था डेब्यू
लीवर ने 1970-71 के एशेज दौरे के दौरान टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया, जहां इंग्लैंड ने जीत दर्ज की। अपने अगले एशेज दौरे में भी वे शानदार फॉर्म में रहे। 1974-75 में छठे टेस्ट में उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 6 विकेट लिए। उनके इस बेहतरीन प्रदर्शन की बदौलत इंग्लैंड ने मेलबर्न में पारी और चार रन से जीत हासिल की।
हालांकि लीवर अपनी बल्लेबाजी के लिए ज्यादा मशहूर नहीं थे। हालांकि 1971 में उन्होंने रे इलिंगवर्थ के साथ मिलकर भारत के खिलाफ आठवें विकेट के लिए 168 रनों की अहम साझेदारी की। उस मैच में लीवर ने 88 रनों की शानदार पारी खेली, जो उनके टेस्ट करियर की सबसे बेहतरीन पारियों में से एक थी। यह खास पल उनके लिए और भी यादगार था क्योंकि उन्होंने यह प्रदर्शन अपने घरेलू मैदान ओल्ड ट्रैफर्ड में किया था।
17 टेस्ट और 10 वनडे मैच खेले
जब लीवर ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लिया, तब तक उन्होंने 17 टेस्ट और 10 एकदिवसीय मैचों में इंग्लैंड का प्रतिनिधित्व किया था। उन्होंने 1971 में अपना पहला वनडे मैच खेला था। अपने करियर में उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में 41 विकेट और वनडे में 11 विकेट हासिल किए।
संन्यास के बाद भी लीवर ने क्रिकेट से अपना जुड़ाव बनाए रखा। उन्होंने लंकाशायर टीम के साथ काम किया और बाद में इंग्लैंड के चयनकर्ताओं के अध्यक्ष रे इलिंगवर्थ की मदद की। इसके अलावा, उन्होंने डेवन में स्थानीय क्लबों में कोचिंग देकर युवा खिलाड़ियों को निखारने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनका क्रिकेट के प्रति यह समर्पण उनके संन्यास के बाद भी जारी रहा।