Timeout Controversy: बांग्लादेश बनाम श्रीलंका के बीच मैच के बाद से टाइम आउट लगातार विवादों में रहा है। इस मुकाबले में बांग्लादेश के कप्तान शाकिब अल हसन की अपील पर अंपायर ने श्रीलंका के खिलाड़ी एंजेलो मैथ्यूज को टाइम आउट रूल के तहत आउट करार दे दिया था। इसके बाद मैथ्यूज ने कहा कि मेरे पास वीडियो सबूत है कि मैं आउट नहीं था। मैथ्यूज ने यह वीडियो सबूत के तौर पर पेश भी किया था। अब एमसीसी ने खुद एंजेलो मैथ्यूज के वीडियो सबूत का जवाब दे दिया है। पढ़ें एमसीसी ने क्या कहा।
सिर्फ मैदान पर रहने भर से नहीं होता है- MCC
आईसीसी एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय खेल का नियम कहता है कि आउट होने के बाद आने वाले बल्लेबाज को दो मिनट के भीतर गेंद का सामना करने के लिए तैयार होना चाहिए। अब एमसीसी ने दिल्ली में उस मैच के पांच दिन बाद शनिवार को जारी एक बयान में नियम 40.1.1 के मुख्य भाग पर प्रकाश डाला है। यह भाग समय सीमा से संबंधित है। एमसीसी ने इस रूल के समझाते हुए कहा कि मैदान पर एक बल्लेबाज का सिर्फ रहना बर्खास्तगी से बचने के लिए काफी नहीं है। बल्लेबाज को गेंदबाज का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा, न कि सिर्फ मैदान पर रहे।
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अंपायर ने सही तरीके से आउट दिया-MCC
एमसीसी ने कहा कि यदि अंपायरों को दो मिनट के भीतर उपकरण-संबंधी देरी के बारे में सूचित किया गया होता, तो वे इसे नए प्रकार की देरी के रूप में मान सकते थे। उदाहरण के लिए अगर किसी खिलाड़ी का बल्ला टूट जाता है, ऐसी स्थिति में अंपायर की कॉल पर बल्लेबाज को टाइम आउट होने के जोखिम के बिना उस देरी के समाधान की अनुमति देता है। यह भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि दोनों अंपायरों के मुताबिक देरी दो मिनट बीत जाने के बाद हुई है। इससे साफ है कि एमसीसी ने अपने फैसले में खुलासा किया कि अंपायरों ने मैथ्यूज को सही तरीके से आउट दिया।
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अपंयार से पूछ कर बदलना था हेलमेट
एमसीसी ने आगे कहा कि जब हेलमेट टूटा, तो ऐसा प्रतीत हुआ कि मैथ्यूज ने अंपायरों से परामर्श नहीं किया, जो एक खिलाड़ी से नए उपकरण मांगते समय करने की अपेक्षा की जाती है। अंपायर से पूछे बिना ही उन्होंने ड्रेसिंग रूम को रिप्लेसमेंट के लिए सिर्फ इशारा किया। अगर मैथ्यूज ने अंपायरों को समझाया होता कि क्या हुआ था और इसे सुलझाने के लिए समय मांगा होता, तो शायद उन्होंने उसे हेलमेट बदलने की इजाजत दे दी होती।