22 दिसंबर क्यों है सबसे छोटा दिन, क्या है विंटर सोल्सटिस? जानें
Why December 22 shortest day, what is winter solstice check all details
Why December 22 Shortest Day, Winter Solstice 2023: देशभर के कई राज्यों में सर्दी चरम पर पहुंच चुकी है। ठंडी हवाएं चलने से लोगोंं को गलन का भी अहसास हो रहा है। हालांकि इस ठंड के बावजूद सर्दी की आधिकारिक शुरुआत नहीं हुई है। जी हां, एक विशेष दिन से सर्दियों की आधिकारिक शुरुआत मानी जाती है और उसे वर्ष का सबसे छोटा दिन माना जाता है। यह दिन है- 22 दिसंबर। जिसे 'विंटर सोल्सटिस' या 'शीतकालीन संक्रांति' के रूप में भी जाना जाता है। विंटर सोल्सटिस क्या है? आइए जानते हैं...
दिसंबर की संक्रांति
शीतकालीन संक्रांति को दक्षिणी संक्रांति या दिसंबर की संक्रांति के तौर पर भी पहचाना जाता है। पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध में इसे सर्दियों के आधिकारिक शुरुआत के तौर पर भी देखा जाता है। दरअसल, पृथ्वी के अक्षीय झुकाव सूर्य से सबसे दूर होने के चलते इस दिन की रोशनी सबसे कम मानी जाती है। इससे साल की सबसे लंबी रात भी होती है।
इस खगोलीय घटना को हर साल 20-23 दिसंबर के बीच देखा जाता रहा है। विंटर सोल्सटिस को साल का सबसे छोटा दिन भी माना जाता है। लैटिन शब्द सोलस्टिटियम से निकले सोल्सटिस या संक्रांति का अर्थ सूर्य का स्थिर खड़ा होना होता है।
सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की कक्षा में मामूली बदलाव
शीतकालीन संक्रांति के दौरान सूर्य अपनी दिशा उलटने लगता है। इसके बाद यह धीरे-धीरे आसमान में ऊपर जाने से पहले थोड़े समय के लिए आकाश में स्थिर खड़ा दिखाई देता है। हालांकि यह कुछ क्षण के लिए ही होता है। इस खगोलीय घटना की वजह से सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की कक्षा में मामूली बदलाव भी देखने को मिलता है। इस वजह से शीतकालीन संक्रांति के समय में भी हर साल बदलाव देखने को मिलता है। हालांकि, 21 या 22 दिसंबर को ही दुनिया के अधिकांश हिस्सों में इसकी झलक देखने को मिलती है।
भारत की बात करें तो यहां इस साल शीतकालीन संक्रांति 22 दिसंबर को सुबह 8:57 बजे देखी जा सकती है। माना जा रहा है कि इस दौरान लगभग 7 घंटे 14 मिनट तक ही दिन की रोशनी दिखाई देगी। साल का सबसे छोटा दिन भी देखने को मिलेगा।
अन्य दिनों की तुलना में कम हो जाती है रोशनी
पृथ्वी के अक्षीय झुकाव के कारण इस दिन की रोशनी अन्य दिनों की तुलना में कम हो जाती है। साइंस की भाषा में बात करें तो विंटर सोल्सटिस के दौरान सूर्य से सबसे अधिक दूर झुका हुआ उत्तरी गोलार्ध होता है। इस कारण से दुनिया के इस हिस्से तक सीधी धूप बेहद कम मात्रा में पहुंच पाती है। इसका असर दिन छोटे और रातें लंबी होने से देखा जा सकता है।
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