Trendingind vs saIPL 2025Maharashtra Assembly Election 2024Jharkhand Assembly Election 2024Kartik Purnima

---विज्ञापन---

एथेनॉल की एक बूंद से होगा चमत्कार, स्मार्टफोन, गैजेट्स और वैज्ञानिक इक्विपमेंट्स में आएगी क्रांति

मानव सभ्यता आधुनिक तकनीक के दम पर नित नए कारनामे कर रही है। नैनो सेंसर भी ऐसा ही एक करिश्मा है जो हमारे एक बाल की मोटाई से भी बहुत ज्यादा बारीक होता है लेकिन सूक्ष्म से सूक्ष्म चीजों को भी परख सकते हैं। हालांकि इन्हें बनाना अपने आप में बहुत अधिक जटिल कार्य है। […]

मानव सभ्यता आधुनिक तकनीक के दम पर नित नए कारनामे कर रही है। नैनो सेंसर भी ऐसा ही एक करिश्मा है जो हमारे एक बाल की मोटाई से भी बहुत ज्यादा बारीक होता है लेकिन सूक्ष्म से सूक्ष्म चीजों को भी परख सकते हैं। हालांकि इन्हें बनाना अपने आप में बहुत अधिक जटिल कार्य है। अब वैज्ञानिकों ने इस कार्य को सरल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण खोज की है। बहुत बार ऐसा होता है कि पहली बार बनाए गए नैनो सेंसर काम ही नहीं कर पाते हैं। ऐसा इसलिए होता है कि नैनो सेंसर में अरबों नैनोकण एक छोटे सेंसर सरफेस पर जमा होते हैं। सेंसर बनाते समय उनके बीच में सूक्ष्म लेकिन काफी अधिक अंतराल रह जाता है जिसकी वजह से उनमें इलेक्ट्रिसिटी और करेंट प्रवाहित नहीं हो पाता है। इस समस्या को दूर करने के लिए उन्हें फ्यूज करना होता है। फ्यूज करने के लिए या तो भट्टी में लगातार 12 घंटों तक तपाना होता है या हाई एनर्जी रेडिएशन में काफी लंबे समय तक रखना होता है। इस रिसर्च के मुख्य शोधकर्ता और मैक्वेरी यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग में नैनोटेक प्रयोगशाला के प्रमुख एसोसिएट प्रोफेसर नौशीन नासिरी कहते हैं, “भट्ठी अधिकांश पॉलिमर-आधारित सेंसर को नष्ट कर देती है, और नैनोइलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जैसे छोटे इलेक्ट्रोड वाले नैनोसेंसर पिघल सकते हैं। वर्तमान में कई सामग्रियों का उपयोग सेंसर बनाने के लिए नहीं किया जा सकता है क्योंकि वे गर्मी का सामना नहीं कर सकते हैं।'' भट्टी में रखने पर पॉलिमर आधारित सेंसर नष्ट हो जाते हैं जबकि हाई एनर्जी में रखने के दौरान वे नैनो सेंसर पिघल सकते है। परन्तु अब यूनिवर्सिटी की एक टीम द्वारा खोजे गए एक नए तरीके से अब इस कार्य को बिना कठिनाई के किया जा सकेगा। इसके लिए सेंसर पर इथेनॉल की एक बूंद छिड़कना काफी रहेगा। यह भी पढ़ें: धरती को सूरज की गर्मी से बचाएगी विशाल छतरी, पूरी धरती का मौसम भी कंट्रोल किया जा सकेगा प्रोफेसर नासिरी ने कहा, "सेंसिंग परत पर इथेनॉल की एक बूंद डालने से, इसे ओवन में डाले बिना, नैनोकणों की सतह पर परमाणुओं को घूमने में मदद मिलेगी, और कणों के एक-दूसरे से जुड़ने पर नैनोकणों के बीच का अंतराल गायब हो जाएगा। इथेनॉल ने हमारे सेंसर की दक्षता और प्रतिक्रियाशीलता में काफी सुधार किया है, जो आपको 12 घंटे तक गर्म करने के बाद प्राप्त होता है उससे कहीं अधिक है।"

अचानक हुई थी इस विधि की खोज

शोधकर्ता टीम के अनुसार इस नई विधि की खोज तब अचानक ही हुई जब एक छात्र जेडेन चेन ने एक क्रूसिबल को धोते समय गलती से सेंसर पर कुछ इथेनॉल छिड़क दिया, एक ऐसी घटना में जो आमतौर पर इन संवेदनशील उपकरणों को नष्ट कर देती थी। चेन ने बताया कि मुझे लगा कि सेंसर नष्ट हो गया है, लेकिन बाद में एहसास हुआ कि नमूना हमारे द्वारा बनाए गए सभी अन्य नमूनों से बेहतर प्रदर्शन कर रहा था। इस तरह नैनो सेंसर को बिना गर्म किए ही बनाया जा सकेगा। लेकिन इस प्रयोग में सबसे बड़ी कठिनाई थी कि आखिर एथेनॉल की कितनी मात्रा पर्याप्त होगी। नासिरी के अनुसार यह गोल्डीलॉक्स की तरह था - तीन माइक्रोलीटर बहुत कम था और कुछ भी प्रभावी नहीं था, 10 माइक्रोलीटर बहुत अधिक था और संवेदी परत को मिटा दिया, पांच माइक्रोलीटर बिल्कुल सही था! टीम के पास उस खोज के लिए पेटेंट लंबित हैं, जिसमें नैनोसेंसर की दुनिया में बहुत बड़ी धूम मचाने की क्षमता है। नासिरी कहते हैं “इथेनॉल की एक सही ढंग से मापी गई बूंद के बाद, सेंसर लगभग एक मिनट में सक्रिय हो जाता है। यह एक धीमी, अत्यधिक ऊर्जा-गहन प्रक्रिया को कहीं अधिक कुशल में बदल देता है।" अपनी इस खोज के लिए नासिरी 2023 यूरेका पुरस्कार फाइनलिस्ट बन गए।


Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 and Download our - News24 Android App. Follow News24 on Facebook, Telegram, Google News.