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Chandrayaan-3: लैंडर विक्रम के लिए आखिरी के 17 मिनट क्यों बेहद अहम? ISRO ने बनाया बैकअप प्लान

Chandrayaan-3: चंद्रयान-3 की लैंडिंग का काउंटडाउन शुरू हो चुका है। अब 24 घंटे से भी कम समय है, जब चंद्रमा की सतह पर लैंडर विक्रम सॉफ्ट लैंडिंग करने के लिए तैयार है। पूरे देश की निगाहें उस अंतिम क्षणों पर हैं, जब लैंडर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव को छूकर कीर्तिमान गढ़ेगा। इसरो ने बताया कि […]

Chandrayaan-3
Chandrayaan-3: चंद्रयान-3 की लैंडिंग का काउंटडाउन शुरू हो चुका है। अब 24 घंटे से भी कम समय है, जब चंद्रमा की सतह पर लैंडर विक्रम सॉफ्ट लैंडिंग करने के लिए तैयार है। पूरे देश की निगाहें उस अंतिम क्षणों पर हैं, जब लैंडर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव को छूकर कीर्तिमान गढ़ेगा। इसरो ने बताया कि मिशन तय पर समय होगा। सिस्टम की नियमित जांच चल रही है। ऑपरेशंस टीम उर्जा और उत्साह से भरी है। शाम 5:20 बजे से लाइव स्ट्रीमिंग शुरू होगी। इस बीच इसरो के एक वरिष्ठ निदेशक ने लैंडिंग से पहले के 17 मिनट को खौफ के क्षण बताया है। कहा कि गलती की कोई गुंजाइश नहीं है। पृथ्वी से चंद्रमा तक सफर तय करने वाले चंद्रयान-3 अब लैंडिंग के लिए अपनी गति से आगे बढ़ रहा है। बुधवार की शाम 6:04 बजे सॉफ्ट लैंडिंग होने की उम्मीद है।

30 किमी की ऊंचाई से लैंड करने का प्रयास करेगा लैंडर

इसरो के अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (एसएसी) के निदेशक नीलेश एम देसाई ने एएनआई से बात करते हुए उन 17 मिनटों के महत्व का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि 23 अगस्त को लैंडर 30 किलोमीटर की ऊंचाई से उतरने का प्रयास करेगा। इसकी अनुमानित गति लगभग 1.68 किलोमीटर प्रति सेकंड होगी, जो एक बेहतरीन गति मानी जाती है। चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण बल लैंडर को अपनी ओर खींच लेगा।

दो इंजन कर दिए जाएंगे बंद

देसाई ने कहा कि हमें थ्रस्टर इंजन को फिर से तैयार करना होगा, ताकि सॉफ्ट लैंडिंग करते समय लैंडर की गति शून्य हो जाए। हमने लैंडर मॉड्यूल में चार थ्रस्टर इंजन लगाए हैं। 30 किलोमीटर की ऊंचाई से, लैंडर 7.5 किलोमीटर और फिर 6.8 किलोमीटर तक नीचे आएगा। फिर हम चार में से दो इंजन बंद कर देंगे और बाकी इंजनों का इस्तेमाल लैंडिंग के लिए किया जाएगा। हम इंजन का रिवर्स थ्रस्ट लगाएंगे। 30 किलोमीटर से, 6.8 किलोमीटर की ऊंचाई पर लैंडर की गति चार गुना कम होकर 350 मीटर प्रति सेकंड हो जाएगी।

यदि थोड़ा भी भटका तो टल जाएंगी लैंडिंग डेट

देसाई ने कहा कि 6.8 किलोमीटर से यह 800 मीटर तक उतरेगा और फिर चंद्रमा की सतह की ओर लंबवत उतरेगा। कैमरों और सेंसर से प्राप्त संदर्भ डेटा का उपयोग करते हुए, लैंडर उस स्थान पर निर्णय लेने से पहले सतह पर मंडराएगा जहां उसे उतरना है। पूरी प्रक्रिया 17 मिनट और 21 सेकंड में होगी। यदि लैंडर उपयुक्त स्थल, अधिकतम स्थल, पर उतरने के लिए थोड़ा सा किनारे की ओर बढ़ता है, तो इसमें 17 मिनट और 32 सेकंड का समय लगेगा। यह 17 मिनट हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने बताया कि गलती की कोई गुंजाइश नहीं है। यह भी पढ़ें: डिफेंस की जासूसी कर रहा था कनाडा का कारोबारी, दिल्ली पहुंचते ही CBI ने धर दबोचा


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