Former ISRO Chief On Chandrayaan-3 Soft Landing: चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर भारत का झंडा बुलंद कर रहा है। वहीं, रोवर प्रज्ञान ने मून वॉक शुरू कर दिया है। वह चांद पर अशोक स्तंभ का निशान छोड़ते हुए रसायन, खनिज समेत अन्य वैज्ञानिक जांच में जुट गया है। गुरुवार को इसरो के पूर्व चीफ के सिवन का बड़ा बयान आया है। उन्होंने कहा, 'आखिरकार हमारी प्रार्थनाएं सच हुईं। लैंडिंग के बाद मैं काफी देर तक कमांड सेंटर में बैठा रहा। जब रोवर प्रज्ञान लैंडर विक्रम के भीतर से रोल करते हुए बाहर आया और चंद्रमा की सतह पर चलने लगा तो मुझे सुकून मिला। इसके बाद घर वापस आ गया।'
वैज्ञानिक के सिवन ने चंद्रयान-2 मून मिशन की भी चर्चा की। उन्होंने कहा, 'मैंने चंद्रयान-2 की लैंडिंग और कल के चंद्रयान-3 के लैंडिंग की तुलना की। निश्चित रूप से चंद्रमा पर जाने और दक्षिणी ध्रुव के पास उतरने का मेरा सपना सच हो गया। इसलिए, मैं बेहद खुश हूं कि कल यह सॉफ्ट लैंडिंग सफलतापूर्वक हुई। आखिरकार हमारी प्रार्थनाएं सच हुईं।'
छोटी सी गलतियों से नहीं मिली थी कामयाबी
इसरो के पूर्व अध्यक्ष ने बताया कि चंद्रयान-2 में हुई एक छोटी सी गलती के कारण हम सफलता हासिल नहीं कर सके। अन्यथा, हम ये सभी चीजें चार साल पहले ही हासिल कर सकते थे। अब, हम बहुत खुश हैं कि हमने गलती से सीखा और उसे सुधारा। 2019 में ही हमने चंद्रयान-3 को कॉन्फिगर किया और उन गलतियों को सुधारा। 23 अगस्त को उस प्रयास का फल हम सभी ने देखा।
चंद्रयान-2 के साथ क्या गलती हुई थी?
चंद्रमा पर किसी अंतरिक्ष यान को लैंड कराने के लिए चार प्रक्रियाएं अपनाई जाती हैं। जब चंद्रयान-2 की लैंडिंग हो रही थी तब लैंडर अपने रास्ते से टर्मिनल डिसेंट फेज से करीब तीन मिनट पहले भटक गया। लैंडर को 55 डिग्री के अक्षांश पर घूमना था, लेकिन यह 410 डिग्री से अधिक घूम गया और अंत में हार्ड लैंडिंग हुई और चंद्रमा की सतह से टकराकर टूट गया। इस बात इस गलती को दुरुस्त किया गया। साथ ही वेग और दिशा को नियंत्रित करने के लिए लगाए गए इंजनों का टाइम के हिसाब से इस्तेमाल किया गया।
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