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Rangbharai Ekadashi: रंगभरी एकादशी कब है, क्यों और कैसे मनाते हैं यह पर्व? जानें

Rangbharai Ekadashi: साल 2025 में आमलकी एकादशी मार्च में पड़ रही है और इसी के साथ रंगभरी एकादशी भी मनाई जाएगी, जिसका भगवान शिव से खास संबंध है। आइए जानते हैं, रंगभरी एकादशी कब है, क्यों और कैसे मनाते हैं यह पर्व?

Rangbharai Ekadashi: आमलकी एकादशी, जो कि फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है, एक विशेष दिन है। इसी तिथि को रंग एकादशी पर्व भी मनाया जाता है। रंगभरी एकादशी का पर्व काफी महत्व है। इस पर्व को काशी में धूमधाम से मनाया जाता है। इस तिथि को काशी में बाबा विश्वनाथ का विशेष शृंगार होता है। आइए जानते हैं, रंग एकादशी कब है, क्यों और कैसे मनाते हैं यह पर्व?

रंगभरी एकादशी कब है?

इस बार आमलकी एकादशी 10 मार्च, 2025 को है और इसी के साथ रंगभरी एकादशी भी मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 9 मार्च को रात में 7 बजकर 45 मिनट पर होगी और इसका समापन 10 मार्च को सुबह 7 बजकर 44 मिनट पर होगा। उदयातिथि नियम के अनुसार, रंगभरी एकादशी भी आमलकी एकादशी के साथ 10 मार्च को मनाई जाएगी। ये भी पढ़ें: Vastu Tips: होली से पहले करें ये 3 खास वास्तु उपाय, रंग और खुशियों के त्योहार से पहले बढ़ जाएगी इनकम

रंगभरी एकादशी क्यों मनाते हैं?

रंगभरी एकादशी फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। यह पर्व महाशिवरात्रि और होली के मध्य आता है और विशेष रूप से काशी यानी वाराणसी में भक्ति और उल्लास से मनाया जाता है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती से विवाह के पश्चात पहली बार काशी पधारे थे। इस शुभ अवसर पर शिवजी ने अपने गणों के साथ रंग-गुलाल उड़ाकर आनंदोत्सव मनाया। तभी से काशी में यह परंपरा चली आ रही है, जिसे भक्तजन आज भी पूरी श्रद्धा और उत्साह से निभाते हैं। इसे ही रंगभरी एकादशी कहते हैं। इस पर्व को खुशहाल वैवाहिक जीवन के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है। बता दें कि काशी को भगवान शिव की नगरी कहते हैं।

यह रस्म है विशेष

रंगभरी एकादशी के दिन आंवले के वृक्ष की पूजा करने की परंपरा है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, आंवले का सेवन और इसकी पूजा करने से उत्तम स्वास्थ्य, सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही आंवले का विशेष तरीके से प्रयोग किया जाता है, विशेष रूप से इस दिन आंवले से बने प्रसाद का सेवन करना स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है। रंगभरी एकादशी पर किसी मंदिर में आंवला वृक्ष लगाना शुभ होता है। ये भी पढ़ें:  Vidura Niti: महात्मा विदुर की इन 3 सलाह को अपनाने से सफलता तय, बढ़ता है बैंक बैलेंस! डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।


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