हिन्दू धर्म में ज्येष्ठ पूर्णिमा का महत्व
बता दें, ज्येष्ठ पूर्णिमा के जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा होती है। मान्यता है कि इस दिन पूजा-पाठ और स्नान-दान करने से व्यक्ति के अटके हुए काम पूरे होते है और अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है। घर-परिवार में बरकत होती है। समाज में मान-प्रतिष्ठा बढ़ती है। साथ ही, इस रात को चांद पूर्ण विकसित अवस्था होते हैं, जिसे हिन्दू धर्म में बेहद शुभ माना गया है।21 या 22 जून, कब है ज्येष्ठ पूर्णिमा
सनातन पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ पूर्णिमा की तिथि 21 तारीख शुक्रवार को सूर्योदय के बाद 07 बजकर 31 मिनट से शुरू होगी और यह 22 तारीख शनिवार को 06 बजकर 37 मिनट खत्म होगी। हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार, पर्व, त्योहार और व्रत उस तिथि में मनाया जाता है, जिस तिथि में सूर्योदय होता है। चूंकि ज्येष्ठ पूर्णिमा की तिथि 21 जून को सूर्योदय के बाद शुरू हो रही है, इसलिए पूर्णिमा की पूजा और स्नान-दान 22 जून को किए जाएंगे, जबकि इसका व्रत 21 जून को रखा जाएगा।ज्येष्ठ पूर्णिमा 2024 स्नान-दान का समय
| क्र.सं. | मुहूर्त | समय |
| 1 | ब्रह्म मुहूर्त | 04 बजकर 04 मिनट से 04 बजकर 44 मिनट तक |
| 2 | अभिजित मुहूर्त | 11:55 ए एम से 12:51 पी एम |
| 3 | अमृत काल | सुबह 11 बजकर 37 मिनट से दोपहर 01 बजकर 11 मिनट तक |
| 4 | विजय मुहूर्त | दोपहर 02 बजकर 43 मिनट से 03 बजकर 39 मिनट तक |