Ear Piercing Benefits: भारतीय संस्कृति में कान छिदवाने की परंपरा बहुत ही प्राचीन रही है. कान छिदवाने को हिंदू धर्म के 16 संस्कारों में से एक माना गया है. कान छिदवाने की इस परंपरा को कर्णवेध कहते हैं. हालांकि, आजकल के समय में कान छिदवाने को फैशन के तौर पर देखा जाता है. कान छिदवाने के पीछे कई मान्यताएं हैं. कान छिदवाने को लेकर धार्मिक और वैज्ञानिक तथ्य भी छिपे हैं. आयुर्वेद में कान छिदवाने के फायदों के बारे में बताया गया है. कान छिदवाने के बाद कानों में सोने के आभूषण पहने जाते हैं.
कर्णवेध संस्कार की धार्मिक परंपरा
कर्णवेध संस्कार यानी कान छिदवाने का खास धार्मिक महत्व है. कान छिदवाने के दौरान मंत्र का उच्चारण किया जाता है. 'भद्रं कर्णेभि: श्रृणुयाम देवा भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्रा:। स्थिरैरंगैस्तुष्टुवां सस्तनूभर्व्यशेमहि देवहितं यदायु:' इस मंत्र के उच्चारण के बाद कान को छेदा जाता है. लड़के के दाएं कान और फिर बाएं कान में छेद किया जाता है. वहीं लड़की के पहले बाएं और फिर दाएं कान में छेद किया जाता है. आजकल आपने देखा होगा कि, लड़के एक कान को छिदवाते हैं.
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कान छिदवाने के धार्मिक लाभ
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कान छिदवाने और कान में सोना पहनने से संतान सुख में वृद्धि होती है. करियर में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं. कुंडली में केतु ग्रह कमजोर होता है तो इससे जीवन में चल रही परेशानियां दूर होती हैं. इससे केतु ग्रह शांत होता है.
कान छिदवाने के वैज्ञानिक लाभ
कान छिदवाने के कई वैज्ञानिक लाभ भी होते हैं. इसको लेकर आयुर्वेद में फायदे बताए गए हैं. एक्यूपंक्चर के मुताबिक, कान के निचले हिस्से में आंखों की नसें होती है. कान छिदवाने से आंखों की रोशनी तेज होती है. कान छिदवाने पर केंद्र बिंदू पर दबाव पड़ने से चिंता और घबराहट की स्थिति को दूर करने में मदद मिलती है. लड़कियों के कान छिदवाने से मासिक धर्म नियमित रहता है. आयुर्वेद के मुताबिक, कान के निचले हिस्से में छेद करने से दिमाग एक्टिव रहता है और बीमारियों का खतरा कम होता है.
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है और केवल सूचना के लिए दी जा रही है. News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है.