विशेष काढ़े से हुआ उपचार
ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा के दिन भगवान जगन्नाथ सहित देवी सुभद्रा और भगवान बलभद्र को 108 घड़े के शीतल जल से स्नान करवाया गया था। जल की शीतलता से महाप्रभु बीमार होकर तेज बुखार से तप रहे थे, जिसका इलाज जड़ी-बूटियों से निर्मित विशेष काढ़े से किया गया। शरीर का तापमान करने लिए दिन में तीन बार औषधियां दी गईं। इतना ही नहीं बल्कि खास औषधियों से बने तेल से उनकी मालिश भी की गई।कब से कब तक है रथयात्रा?
53 सालों बाद बना महासंयोग
साल 2024 में रथयात्रा पूरे दो दिन आयोजित होंगी। हिन्दू पंचांग के अनुसार, इस साल आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की तिथियां घट गई हैं। इस कारण से महाप्रभु का नेत्र उत्सव और रथयात्रा एक ही दिन पड़ रहा है। तिथियों का ऐसा संयोग साल लगभग 53 साल पहले सन 1971 में बना था। बता दें, नेत्र उत्सव के दिन भगवान जगन्नाथ की आंखों में विशेष अंजन (काजल) लगाया जाता है, जो रथयात्रा शुरू होने से एक दिन पहले होता है। इस साल यह रस्म 7 जुलाई की सुबह में संपन्न होगी और शाम में रथयात्रा निकाली जाएगी। ये भी पढ़ें: हाथ की ये 3 रेखाएं बनाती हैं कुबेर की तरह धनवान, विदेश में होते हैं कई घर ये भी पढ़ें: Chaturmas 2024: इन 4 माह में किन देवी-देवताओं की पूजा से लाभ? सो रहे हैं भगवान विष्णु
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