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Rath Yatra 2025: मौसी के घर से श्रीमंदिर पहुंचे महाप्रभु जगन्नाथ; सोने से होगा तीनों भाई-बहन का श्रृंगार

Rath Yatra 2025: बीती रात बहुड़ा यात्रा के अवसर पर महाप्रभु जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के रथ गुंडिचा मंदिर से प्रस्थान करके श्रीमंदिर पहुंच चुके हैं। उनके रथों के पहुंचने के बाद आज पुरी में देवताओं का सुनाबेश अवतार में पूजन होगा। आइए जानते हैं इस रस्म के बारे में।

Rath Yatra 2025: पुरी में रथयात्रा का उत्सव बस कुछ ही दिनों में समाप्त होने वाला है। कल यानी 5 जुलाई को बहुड़ा यात्रा हुई, जिसके बाद बड़े भाई बलभद्र, बहन सुभद्रा और महाप्रभु जगन्नाथ के रथ श्रीमंदिर के बाहर पहुंच चुके हैं। इसके बाद देवी महालक्षमी और प्रभु जगन्नाथ की भेंट की रस्म भी हो चुकी है। दरअसल, इस भेंट के माध्यम से जगन्नाथ और लक्षमी के बीच मनमुटाव होता है क्योंकि प्रभु अपनी प्रिय अरधांगिनी को बिना बताएं और अकेले छोड़ जाते हैं। हालांकि, अभी भी उन्हें नाराज माना जाता है और कहा जाता है कि मां लक्ष्मी उन्हें मंदिर के अंदर आने नहीं देती है। इसलिए, तीनों भाई-बहन रथों में ही रहते हैं और अंदर नहीं जा पाते हैं। आज भी यहां कुछ रस्में निभाई जाएंगी, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण सुनाबेश की रस्म होती है। इस रस्म में तीनों दारू मूर्तियों को सोने के श्रीपयार (पैर), श्रीभुजा (भुजाएं और हाथ), किरीटा (मुकुट), स्वर्ण चक्र, चांदी शंख, ओधियानी (मां सुभद्रा की विशेष ओढ़नी) और कई अन्य चीजों से सजाया जाता है।

क्या है सुनाबेश?

सुनाबेशा के भव्य दिन पर, महाप्रभु जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा अपने भव्य रथों पर सवार होकर दिव्य, चमकदारी स्वर्ण आभूषणों से सजाएं जाते हैं। माना जाता है कि यह परंपरा 15वीं शताब्दी में शुरू हुई थी जब गजपति राजा कपिलेंद्र देव ने दक्षिण भारत में एक विजयी अभियान के बाद भगवान जगन्नाथ को सोने का बड़ा उपहार भेंट किया था। इस उपहार में सोने से बने पोशाक दिए गए थे। ये सभी आभूषण समृद्धि, विजय और भगवान की कृपा का प्रतीक मानी जाती है। 6 जुलाई को दोपहर 2 बजे से प्रभु की इस रस्म की शुरुआत होगी और शाम 4 से 5 बजे के बीच तीनों-भाई भक्तों को अपने सुनाबेश अवतार में दर्शन देने के लिए तैयार हो जाएंगे। जैसे ही सूरज ढलने लगता है, जगमगाते देवताओं की मूर्तियां ऐसी दिखती है, जैसे प्रभु जगन्नाथ केवल ब्रह्मांड के भगवान नहीं हैं, बल्कि हम सभी मन में प्रकाश को जागृत करने वाले परमात्मा है।

मूर्तियों को पहनाएं जाएंगे ये आभूषण

देवी सुभद्रा देवी सुभद्रा को किरीटा, ओधियानी, चंद्रसूर्य, काना, घगदमाली, कदंबमाली, सेबतिमाली और दो तगाडि़यों से श्रृंगार किया जाएगा। ये भी आभूषण स्वर्ण और बहुमुल्य रत्नों की मदद से बनाए गए हैं। भगवान बलभद्र भगवान बलभद्र का श्रृंगार श्रीपयार, श्रीभुजा, किरीटा, हाला और मुसाका, ओधियानी, कुंडला, चंद्रसूर्य, त्रिखंडिका, कामरा पति, अदाकानी, घागड़ा माली, कदंबमाली, बहड़ा माली, बाघनखा माली, सेबती माली, तिलक, चंद्रिका, अलका, झोबकंठी से होगा। भगवान जगन्नाथ  महाप्रभु जगन्नाथ का आज के दिन श्रीपयार, श्रीभुजा, किरीटा, सोने के चक्र, चांदी के शंख, ओधियानी, कमरपट्टी,अदाकानी, घागड़ा माली, कदंबमाली, त्रिखंडिका, झोबकंठी, बहड़ा माली, तबीजा माली, सेबती माली, तिलक, चंद्रिका, कुंडल, चंदसूर्य पहनाकर श्रृंगार होता है। ये भी पढ़ें- Rath Yatra 2025: महाप्रभु जगन्नाथ की बाहुड़ा यात्रा आज, क्या आप जानते हैं दैत्यपतियों से जुड़ी ये बातें डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।


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