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एक पवित्र तो दूसरी अपवित्र, पढ़ें कैलाश मानसरोवर झील और राक्षस ताल से जुड़े अनसुने रहस्य

Kailash Mansarovar & Rakshas Tal Unknown Facts: कैलाश पर्व पर मानसरोवर झील और राक्षस ताल झील दोनों स्थित हैं। ये दोनों झील एक-दूसरे से पूरी तरह से अलग हैं, जिनसे जुड़े रहस्य आज हम आपको विस्तार से बताने जा रहे हैं।

Credit- Social Media

Kailash Mansarovar & Rakshas Tal Unknown Facts: हिंदू धर्म के लोगों के लिए कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील का खास महत्व है। कैलाश मानसरोवर समुद्र तल से करीब 6,657 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, जिसके दोनों ओर दो झीलें हैं। दरअसल, कैलाश पर्वत को भगवान शिव और देवी पार्वती का निवास स्थान माना जाता है। इसलिए सनातन धर्म के लोग इसे आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र मानते हैं।

कैलाश पर्वत के पास मानसरोवर झील और राक्षस ताल स्थित हैं। ये दोनों झील एक दूसरे से अलग हैं। मानसरोवर झील को बेहद पवित्र माना जाता है, जिसके दर्शन मात्र से व्यक्ति को लाभ होता है। वहीं, राक्षस ताल झील को अपवित्र माना गया है, जिसका संबंध रावण से भी है। चलिए इन दोनों झीलों से जुड़े रहस्यों के बारे में विस्तार से जानते हैं।

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मानसरोवर झील मीठा है पानी

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कैलाश पर्वत भगवान शिव और देवी पार्वती का निवास स्थान है। चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में कैलाश पर्वत के पास मानसरोवर झील स्थित है। इस झील के पानी को पवित्र और मीठा माना जाता है। माउंट एवरेस्ट की तुलना में कैलाश पर्वत काफी नीचा है, लेकिन तब भी कोई सामान्य व्यक्ति इसकी चोटी पर पहुंच नहीं पाया। 2001 में जापानी टीम ने इस पर्वत पर चढ़ने की कोशिश की थी, लेकिन अचानक बीमारी पड़ना, खराब मौसम और अजीब घटनाओं के कारण उन्हें वापस लौटना पड़ा। इससे पहले 1926 में ब्रिटिश टीम ने भी पर्वत पर चढ़ने की कोशिश की थी, लेकिन उन्हें भी सफलता नहीं मिली।

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मिलारेपा ने की है कैलाश पर्वत की सफल चढ़ाई

कहा जाता है कि 11वीं शताब्दी में सबसे पहले बौद्ध भिक्षु मिलारेपा ने कैलाश पर्वत पर चढ़ाई की थी, जो चढ़ाई के बाद जीवित वापस लौटे थे। कई धर्म विशेषज्ञों का मानना है कि कैलाश पर्वत पर एक अदृश्य शक्ति है, जो किसी भी व्यक्ति को उस पर चढ़ने नहीं देती है। कई यात्रियों ने महसूस किया है कि कैलाश के आसपास समय की गति तेज हो जाती है। साथ ही यहां कुछ घंटों में नाखून, बाल और आयु बढ़ने लगती है।

2020 में मानसरोवर यात्रा पर लगा था प्रतिबंध

हालांकि, भारत-चीन सीमा पर तनाव के कारण चीन सरकार ने साल 2020 में कैलाश मानसरोवर की यात्रा पर प्रतिबंध लगा दिया था, जो पांच साल बाद 2025 की गर्मियों में फिर से शुरू हुई है।

राक्षस ताल का पानी है खारा

मानसरोवर झील के पास ही राक्षस ताल है, जिसका पानी खारा है। माना जाता है कि राक्षस ताल का पानी न तो पिया जा सकता है और न ही इसमें स्नान करना चाहिए। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, रावण ने यहां तपस्या की थी, जिसके कारण ये अपवित्र हो गई। वैज्ञानिकों का मानना है कि एक समय था, जब मानसरोवर झील और राक्षस ताल जुड़े थे, लेकिन टेक्टोनिक हलचलों के कारण अलग हो गए।

अच्छाई-बुराई का माना जाता है प्रतीक

मानसरोवर झील और राक्षस ताल के पानी में इतना अंतर क्यों है, इसके पीछे का कोई कारण अभी तक स्पष्ट नहीं है। कई मान्यताओं के अनुसार, इन दोनों झीलों को अच्छाई और बुराई का प्रतीक माना जाता है।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।


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