भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा के लिए मोहिनी एकादशी के दिन को बेहद खास माना जाता है। मान्यता है कि जो लोग मोहिनी एकादशी के दिन व्रत रखते हैं और विष्णु जी के मोहिनी अवतार की पूजा करते हैं, उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं। साथ ही खुशियां बढ़ती हैं। इसके अलावा इस दिन कुछ लोग पापों से मुक्ति पाने के लिए भी व्रत रखते हैं।
वैदिक पंचांग की गणना के अनुसार, हर साल वैशाख माह में आने वाली शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन मोहिनी एकादशी का व्रत रखा जाता है। चलिए जानते हैं मोहिनी एकादशी की तिथि और व्रत के पारण के सही समय के बारे में।
अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11:57 से लेकर दोपहर 12:49 मिनट तक
अमृत काल- दोपहर में 01:03 से लेकर 02:50 मिनट तक
ब्रह्म मुहूर्त- प्रात: काल में 04:16 से लेकर 05:04 मिनट तक
राहुकाल- दोपहर में 2 बजे से लेकर 3:38 मिनट तक
मोहिनी एकादशी व्रत के पारण का समय
धार्मिक मान्यता के अनुसार, एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद व द्वादशी तिथि के समाप्त होने से पहले पारण करना शुभ रहता है। द्वादशी तिथि में व्रत का पारण करने से पाप लगता है। ऐसे में मोहिनी एकादशी व्रत का पारण 9 मई 2025 को प्रात: काल 5 बजकर 34 मिनट से सुबह 8 बजकर 16 मिनट के बीच करना शुभ रहेगा।
मोहिनी एकादशी की पूजा विधि
व्रत वाले दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें। स्नान आदि कार्य करने के बाद पीले रंग के कपड़े धारण करें।
सूर्य देव को जल अर्पित करें।
भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करें।
हाथ जोड़कर व्रत का संकल्प लें।
देवी-देवताओं को फल, फूल, अक्षत, तुलसी, पंचामृत और मिठाई अर्पित करें। इस दौरान विष्णु मंत्रों का जाप करें।
मोहिनी एकादशी व्रत की कथा पढ़ें या सुनें।
अंत में आरती करके पूजा का समापन करें।
व्रत का पारण करने से पहले किसी जरूरतमंद को धन व वस्त्र का दान जरूर दें।