TrendingMCD ElectionSanchar Saathiparliament winter session

---विज्ञापन---

भारत में इन जगहों पर हैं गंगा मइया के प्रसिद्ध मंदिर, देवी स्वरूप में होती है पूजा

Ganga Maiya Temple: गंगा मइया के मंदिर भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत का अभिन्न हिस्सा हैं। ये मंदिर न केवल आस्था के केंद्र हैं, बल्कि इनकी स्थापत्य कला, ऐतिहासिक कहानियां और अनूठी परंपराएं इन्हें विशेष बनाती हैं। 5 जून को गंगा दशहरा है। गंगा दशहरा जैसे अवसरों पर इन मंदिरों में भक्तों की भीड़ लगती है। आइए जानते हैं कि भारत में कहां-कहां माता गंगा के मंदिर स्थापित हैं?

गंगा मइया Pic Credit- Unsplash
Ganga Maiya Temple: हिंदू धर्म में नदियों को देवी के रूप में पूजा जाता है। इसका मुख्य कारण है कि इन नदियों को मोक्षदायिनी माना जाता है। गंगा नदी भारत की प्रमुख नदियों में से एक है। गंगा नदी की पूजा देवी स्वरूप में की जाती है। इसी कारण भारत के कुछ राज्यों में माता गंगा के मंदिर भी स्थापित हैं। शास्त्रों की मानें तो गंगा सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा के कमंडल से निकली हैं और भगवान शिव की जटाओं से होते हुए धरती पर पहुंचती हैं और प्राणियों को जीवन और मृत्यु के के बाद मोक्ष प्रदान करती हैं। 5 जून 2025 को गंगादशहरा का पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन माता गंगा का पूजन बेहद शुभ माना जाता है। देशभर में गंगा मइया को समर्पित कई मंदिर हैं, जहां उनकी मूर्ति स्थापित है और भक्त श्रद्धा के साथ दर्शन करने आते हैं। ये मंदिर धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं। आइए जानते हैं माता गंगा के ये मंदिर भारत में किन स्थानों पर हैं?

गंगा मइया मंदिर, भरतपुर, राजस्थान

भरतपुर, राजस्थान में स्थित गंगा मइया मंदिर उत्तर भारत का एक अनूठा तीर्थस्थल है, जो विशेष रूप से गंगा माता को समर्पित है। इस मंदिर की नींव 1845 में महाराजा बलवंत सिंह ने रखी थी। मान्यता है कि संतान प्राप्ति की मन्नत पूरी होने पर उन्होंने इस मंदिर का निर्माण शुरू करवाया। पांच पीढ़ियों तक चले निर्माण कार्य के बाद, 1937 में महाराजा सवाई वृजेन्द्र सिंह के शासनकाल में गंगा माता की मूर्ति स्थापित की गई। इस मूर्ति की खासियत यह है कि इसे एक मुस्लिम कारीगर ने बनाया, जो इसकी शिल्पकला को और भी विशेष बनाता है। मंदिर की विशेषताएं इसकी भव्यता और आध्यात्मिकता में निहित हैं। यहां गंगा माता की मूर्ति को प्रतिदिन गंगा जल से स्नान कराया जाता है, जिसे बाद में भक्तों में प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। मंदिर परिसर में 15,000 लीटर गंगा जल संग्रहित करने के लिए एक विशाल हौज बनाया गया है, जिसमें हर साल गंगा नदी से जल लाया जाता है। गंगा दशहरा के अवसर पर यहां भक्तों का सैलाब उमड़ता है और विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन होता है। मंदिर का राजस्थानी स्थापत्य, नक्काशीदार मेहराबों और भव्य गुम्बदों के साथ, इसे एक दर्शनीय स्थल बनाता है, जो भक्तों को आध्यात्मिक शांति के साथ-साथ सौंदर्य का अनुभव भी प्रदान करता है।

गंगा मंदिर, झलमला, बालोद, छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के झलमला गांव में स्थित गंगा मइया मंदिर एक प्राचीन और चमत्कारिक तीर्थस्थल है। इस मंदिर की कहानी बेहद रोचक है। कथा के अनुसार एक मछुआरे को तांदुला नदी के पास एक तालाब में मछली पकड़ते समय गंगा माता की मूर्ति मिली थी। उसने इसे पत्थर समझकर तालाब में फेंक दिया, लेकिन उसी रात गंगा मइया ने एक ग्रामीण के सपने में आकर मूर्ति को स्थापित करने का आदेश दिया। इसके बाद मछुआरे ने मूर्ति को निकाला और भीकम चंद तिवारी ने मंदिर का निर्माण करवाया। समय-समय पर मंदिर का जीर्णोद्धार होता रहा है, जिससे मंदिर देखने में काफी आकर्षक है। इस मंदिर की विशेषताएं इसकी सादगी और आध्यात्मिक शक्ति में हैं। नवरात्रि के दौरान यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है, और गंगा माता के साथ माता दुर्गा की विशेष पूजा होती है। मंदिर का ऐतिहासिक महत्व भी उल्लेखनीय है, क्योंकि अंग्रेजों ने मूर्ति को हटाने की कोशिश की थी, लेकिन वे असफल रहे। स्थानीय लोगों के बीच यह मंदिर चमत्कारों के लिए प्रसिद्ध है, और दूर-दूर से श्रद्धालु यहां अपनी मन्नतें लेकर आते हैं।

गंगा माता मंदिर, जयपुर, राजस्थान

जयपुर के जयनिवास उद्यान में गोविंद देवजी मंदिर के पीछे स्थित गंगा माता मंदिर एक शाही धरोहर है। 19वीं सदी में महाराजा सवाई माधोसिंह द्वितीय द्वारा निर्मित यह मंदिर अपनी भव्यता और ऐतिहासिकता के लिए जाना जाता है। महाराजा गंगा माता के अनन्य भक्त थे और उनकी दिनचर्या में गंगा जल का उपयोग प्रमुख था। मंदिर में गंगा माता की मूर्ति के साथ एक 11 किलोग्राम का स्वर्ण कलश रखा गया है, जिसमें गंगा जल संग्रहित किया जाता है। इस मंदिर की विशेषताएं इसकी शाही शैली और अनूठी परंपराओं में नजर आती हैं। मंदिर का निर्माण संगमरमर और लाल पत्थरों से किया गया है, जो जयपुर की स्थापत्य कला की मिसाल है। स्वर्ण कलश, जिसमें 10 किलो 812 ग्राम सोना है, मंदिर की सबसे अनूठी विशेषता है। गंगा दशहरा और अन्य धार्मिक अवसरों पर यहां विशेष पूजा और आरती का आयोजन होता है, जो भक्तों को आकर्षित करता है।

गंगोत्री मंदिर, उत्तरकाशी, उत्तराखंड

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री में स्थित गंगोत्री मंदिर गंगा नदी के उद्गम स्थल के निकट है। 18वीं सदी में गोरखा सेनापति अमर सिंह थापा द्वारा निर्मित यह मंदिर हिंदुओं के लिए चार धाम यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। गंगा नदी का उद्गम गंगोत्री हिमनद के गोमुख से होता है, और मंदिर में गंगा माता की मूर्ति स्थापित है। मंदिर की विशेषताएं इसकी प्राकृतिक सुंदरता और आध्यात्मिक महत्व में हैं। समुद्र तल से 3,100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर हिमालय की गोद में बसा है। मंदिर केवल मई से नवंबर तक खुलता है, क्योंकि सर्दियों में भारी बर्फबारी के कारण इसे बंद कर दिया जाता है। इस दौरान मूर्ति को मुखबा गांव में स्थानांतरित कर दिया जाता है। गंगा दशहरा और अक्षय तृतीया जैसे अवसरों पर यहां विशेष पूजा होती है, जो हजारों भक्तों को आकर्षित करती है। डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। ये भी पढ़ें- राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में सीएम योगी होंगे मुख्य अतिथि, जानें कौन सी मूर्तियां होंगी स्थापित?


Topics:

---विज्ञापन---