कब अशुभ फल देता है शनि?
- जिन लोगों की कुंडली के लग्न भाग में शनि विराजमान होते हैं, वो आलसी हो जाते हैं और उनके मन में लालच बढ़ता है।
- जन्म कुंडली के लग्न भाग में बैठा शनि सातवें भाव को देखता है तो व्यक्ति बात-बात पर झूठ बोलने लगता है। अपनी इस आदत के कारण वो कई बार संकट में भी फंस जाता है।
- जन्म कुंडली के पहले भाव में मौजूद शनि, तीसरे, 7वें और 10वें भाव को देखता है तो छोटे भाई-बहन से मतभेद होते हैं। व्यक्ति के साहस में कमी आती है और वो जोखिम भरे फैसले नहीं ले पाता है।
- जिन लोगों की कुंडली के दूसरे भाव में विराजमान शनि 11वें भाव को प्रभावित करता है, उनके खर्चों में वृद्धि होती है और बचत में गिरावट आती है।
- कुंडली के दूसरे भाव में मौजूद शनि की दृष्टि चौथे, 8वें या 11वें भाव पर पड़ती है तो व्यक्ति के सुख-सुविधाओं में कमी आती है। आए-दिन मां से जुड़े रिश्तों के कारण उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
कब शुभ फल देता है शनि?
जिन लोगों की कुंडली के लग्न भाव में शनि मजबूत स्थिति में होता है, वो अपनी मेहनत से सफलता हासिल करते हैं। साथ ही व्यक्ति अनुशासित प्रिय बनता है। वहीं जब लग्न भाव में बैठा शनि कुंडली के 10वें भाव को देखता है तो व्यक्ति ईमानदारी से अपना काम करता है, जिसमें उसे कामयाबी जरूर मिलती है। अगर आप जानना चाहते हैं कि और किन-किन परिस्थितियों में शनिदेव का व्यक्ति के जीवन पर शुभ व अशुभ प्रभाव पड़ता है तो इसके लिए ऊपर दिए गए वीडियो को देखें। ये भी पढ़ें- Longest Day 2025: 21 जून को 14 से 16 घंटे तक चमकेंगे सूर्य देव, इन 3 राशियों का शुरू होगा गोल्डन टाइम
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