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kaal Bhairav Jayanti 2024: 21 या 22 नवंबर, कब है काल भैरव जयंती? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

kaal Bhairav Jayanti 2024: काल भैरव जयंती का पर्व हर साल मार्गशीर्ष माह में आने वाली कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन मनाया जाता है। हालांकि इस साल अष्टमी तिथि को लेकर थोड़ा कन्फ्यूजन बना हुआ है। चलिए जानते हैं वर्ष 2024 में 21 नवंबर या 22 नवंबर, किस दिन काल भैरव जयंती का पर्व मनाया जाएगा।

kaal Bhairav Jayanti 2024: सनातन धर्म के लोगों के लिए काल भैरव की पूजा का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो लोग नियमित रूप से काल भैरव की पूजा करते हैं, उनके घर में सदा सुख, शांति और खुशहाली बनी रहती है। इसके अलावा उन्हें भय, क्रोध, लालसा और नकारात्मक ऊर्जा आदि से भी छुटकारा मिलता है। साथ ही शत्रुओं से मुक्ति मिलती है। काल भैरव को भगवान शिव का रौद्र रूप माना जाता है। वैसे तो रोजाना काल भैरव की पूजा की जा सकती है। लेकिन काल भैरव जयंती के दिन बाबा की पूजा करने से साधक को विशेष फल की प्राप्ति होती है। चलिए जानते हैं साल 2024 में किस दिन काल भैरव जयंती का पर्व मनाया जाएगा। साथ ही आपको काल भैरव की पूजा के शुभ मुहूर्त और विधि के बारे में भी पता चलेगा।

काल भैरव जयंती कब है?

वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार अष्टमी तिथि का आरंभ 22 नवम्बर 2024 को शाम 06 बजकर 07 मिनट से हो रहा है, जिसका समापन अगले दिन 23 नवम्बर 2024 को प्रात: काल 07 बजकर 56 मिनट पर होगा। उदयातिथि के आधार पर इस बार 22 नवंबर 2024, दिन शुक्रवार को काल भैरव जयंती का पर्व मनाया जाएगा। काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए कुछ लोग काल भैरव जयंती के दिन व्रत भी रखते हैं। 22 नवम्बर 2024 को प्रात: काल 6 बजकर 50 मिनट से लेकर सुबह 10 बजकर 48 मिनट तक काल भैरव की पूजा का शुभ मुहूर्त है।

22 नवंबर 2024 के शुभ मुहूर्त

  • सूर्योदय- सुबह 6:53
  • चन्द्रोदय- देर रात 11:41
  • राहुकाल- सुबह 10:48 से लेकर दोपहर 12:07 तक
  • अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11:46 से लेकर दोपहर 12:28 तक
  • अमृत काल- दोपहर 03:26 से लेकर शाम 05:08 तक
  • ब्रह्म मुहूर्त- प्रात: काल 05:18 से लेकर सुबह 06:06 तक

काल भैरव की पूजा विधि

  • काल भैरव जयंती के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें। स्नान आदि कार्य करने के बाद शुद्ध वस्त्र धारण करें।
  • व्रत का संकल्प लें।
  • भगवान शिव के साथ-साथ काल भैरव की पूजा करें।
  • काल भैरव को काले तिल, उड़द की दाल और सरसों का तेल अर्पित करें।
  • भैरव बाबा की प्रतिमा के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
  • अंत में आरती करके पूजा का समापन करें।
  • व्रत के पूरा होने के बाद काले कुत्ते को 3 से 5 मीठी रोटी जरूर खिलाएं।
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