नेत्र उत्सव का महत्व
जिस दिन भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के दर्शन भक्तों को पुनः होते हैं, उस दिन होने वाले आयोजन को नेत्र दर्शन कहा जाता है। नेत्र दर्शन को नवयुवन दर्शन और नेत्र उत्सव के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन महाप्रभु जगन्नाथ को सजाया जाता है और उनके नेत्रों को फिर से चित्रित किया जाता है, जिससे वो भक्तों को देख सकें। लेकिन इसका आयोजन भगवान जगन्नाथ से रथ यात्रा की आज्ञा लेने के बाद ही होता है। ये भी पढ़ें- Rath Yatra 2025: महाप्रभु जगन्नाथ को दी जा रहीं हैं दिव्य काढ़ा-औषधियां, जानें रथ यात्रा से पहले क्यों बीमार होते हैं भगवाननेत्र दर्शन किसका प्रतीक है?
नेत्र दर्शन को देवताओं की पुनः उपस्थिति और पूर्ण स्वास्थ्य लाभ का प्रतीक माना जाता है। ये दिन भक्तों को नई शुरुआत और आध्यात्मिक जागरण का अवसर प्रदान करता है। इसके अलावा इस दिन को भक्तों के लिए आशीर्वाद और दिव्य कृपा का संकेत भी माना जाता है। इस बार 26 जून 2025 को महाप्रभु जगन्नाथ के नेत्र दर्शन होंगे। जबकि रथ यात्रा 27 जून 2025 को निकाली जाएगी। ये भी पढ़ें- Rath Yatra 2025: क्या है महाप्रभु जगन्नाथ की ज्वरलीला? बुखार में उन्हें किस चीज का लगता है भोग, जानें सबकुछ
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