Hindu Mythological Weapons: पुराणों और हिन्दू धर्म ग्रंथों में ऐसे कई अस्त्र-शस्त्र का वर्णन है, जो यदि उपयोग कर लिया जाता तो पूरी पृथ्वी एक झटके में खत्म हो सकती थी. केवल मनुष्य और पशु-पक्षी ही नहीं बल्कि गंधर्व, नाग, यक्ष अन्य प्राणी कुछ पलों में नष्ट हो सकते थे. कहते ऐसी विध्वंसक क्षमता आज के एटम और हाइड्रोजन बम में भी नहीं है. ऐसे अस्त्रों और शस्त्रों में केवल ब्रह्मास्त्र या पाशुपातास्त्र ही नहीं थे, बल्कि ये दिव्यास्त्र लगभग 1000 थे. आइए विस्तार जानते हैं, इनमें से 20 सबसे घातक और महाशक्तिशाली हथियार के बारे में.
1. ब्रह्मास्त्र (Brahmastra)
यह त्रिमूर्ति के एक देव, ब्रह्मा से जुड़ा हुआ अस्त्र है. इसे एटम बम के समान संहारक शक्ति वाला माना जाता है. इसके प्रयोग से न केवल संपूर्ण स्थान का विनाश होता है, बल्कि वहां के निवासी पीढ़ियों तक दूषित और पीड़ित रहते हैं. महाभारत के अनुसार, एक बार कर्णने अर्जुन के विरुद्ध इसका प्रयोग करने का निर्णय लिया था, लेकिन अपने गुरु के श्राप के कारण वह ऐसा नहीं कर सके थे.
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2. ब्रह्मशिरा (Brahmashira)
इसे ब्रह्मास्त्र से 4 गुना अधिक शक्तिशाली माना जाता है. इसके प्रहार से स्थान दशकों तक बंजर और निर्जन हो जाता है. महाभारत में अश्वत्थामा ने इसे पांडवों के विरुद्ध उपयोग किया था, जिसके जवाब में अर्जुन ने भी इसका प्रयोग किया. रामायण में इंद्रजीत ने इसका प्रयोग कर लाखों वानरों का वध किया था.
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3. नारायणास्त्र (Narayanastra)
यह भगवान नारायण यानी विष्णु का निजी अस्त्र है, जिसमें लाखों स्व-निर्देशित लक्ष्यों में विभाजित होने की क्षमता थी. कहते हैं, इसका प्रभाव प्रतिरोध के अनुपात में बढ़ता जाता था. केवल अश्वत्थामा और श्रीकृष्ण ही इस अस्त्र के बारे में जानते थे. जब अश्वत्थामा ने इसे पांडव सेना पर उपयोग किया, तो कृष्ण ने इसके रहस्य को जानकर इसे निष्क्रिय कर दिया.
4. पाशुपतास्त्र (Pashupatastra)
यह भगवान शिव) का व्यक्तिगत अस्त्र है, जिसमें किसी भी प्रकार की सृष्टि को नष्ट करने की क्षमता है. यह सभी अस्त्रों में सबसे विनाशकारी माना जाता है. अर्जुन ने एक बार स्वयं भगवान शिव से यह अस्त्र प्राप्त किया था, लेकिन उन्होंने कभी इसका उपयोग नहीं किया.
5. ब्रह्माण्ड अस्त्र (Brahmandastra)
यह एक ऐसा अस्त्र है जो परम संहारक माना जाता है और इसे सभी अस्त्रों का प्रतिकार करने के लिए बनाया गया था. माना जाता है कि इसमें ब्रह्मा के चार मुख प्रकट होते हैं. यह सबसे शक्तिशाली अस्त्रों को भी निष्क्रिय करने की क्षमता रखता है. यह ब्रह्मास्त्र को भी निगलकर बेअसर कर सकता है. कहते हैं, ब्रह्मर्षि वशिष्ठ ने विश्वामित्र के सभी दिव्य अस्त्रों के हमले के खिलाफ अपनी रक्षा में इसका उपयोग किया था.
6. वासुदेव शक्ति (Vasavi Shakti)
यह इंद्र का व्यक्तिगत और सबसे अचूक अस्त्र था. इसमें ऐसी निश्चितता और शक्ति थी कि इसका प्रयोग जिस पर भी किया जाता था, उसकी मृत्यु अवश्यंभावी थी. इंद्र ने यह अस्त्र कर्ण को केवल एक बार प्रयोग करने के लिए दिया था. कर्ण ने इसे अर्जुन के वध के लिए सहेज कर रखा था. लेकिन, एक चाल के कारण, कर्ण को इसे अर्जुन के बजाय घटोत्कच के विरुद्ध उपयोग करने के लिए मजबूर होना पड़ा.
7. वज्र (Vajra)
यह इंद्र का सबसे शक्तिशाली और प्रतिष्ठित शस्त्र है. यह महर्षि दधीचि की रीढ़ की हड्डी से बनाया गया था. इंद्र ने इस हथियार का उपयोग वृत्रासुर नामक राक्षस को मारने के लिए किया था.भगवद् गीता में, भगवान कृष्ण स्वयं को 'वज्र' कहते हैं.
8. त्रिशूल (Trishul)
यह भगवान शिव का तीन शूलों वाला हथियार है. इसे स्वयं शिव धारण करते हैं. इसे सबसे शक्तिशाली शस्त्र माना जाता है. जब इसे छोड़ा जाता है, तो यह अत्यंत विनाशकारी होता है. स्वयं शिव को छोड़कर किसी भी तरह से रोका या नियंत्रित नहीं किया जा सकता है. कहते हैं, त्रिशूल में मौजूदा किसी भी अलौकिक अस्त्र को बेअसर करने की क्षमता है.
9. सुदर्शन चक्र (Sudarshan Chakra)
यह भगवान विष्णु की तर्जनी पर स्थित एक घूमता हुआ चक्र है, जिसमें 108 दांतेदार किनारे हैं. इसे देव शिल्पी विश्वकर्मा ने बनाया था. यह महादेव द्वारा भगवान विष्णु को भेंट किया गया था और इसे सूर्य की धूल और शिव के त्रिशूल के अंश से बनाया गया था.
10. तीन बाण (Teen Baan)
यह महाभारत में बर्बरीक का हथियार था, जो उन्हें देवी सिद्धिदात्री से वरदान के रूप में प्राप्त हुआ था. माना जाता है कि यदि बर्बरीक महाभारत युद्ध में भाग लेते, तो वे 30 सेकंड में ही युद्ध को समाप्त कर सकते थे.
11. गांडीव (Gandiv)
यह अर्जुन का दिव्य धनुष है. यह एक अविनाशी तरकश के साथ आता है, जिसका अर्थ है कि इसमें कभी बाण समाप्त नहीं होते. यह अग्निदेव द्वारा अर्जुन को दिया गया था. महाभारत युद्ध में इस धनुष ने पांडवों की विजय में अहम भूमिका निभाई थी. कहते हैं, यह आज भी धरती पर कहीं रखा है.
12. सारंगधर (Sarangdhar)
यह भगवान कृष्ण का धनुष है. यह धनुष भगवान विष्णु के सारंग धनुष का अवतारी रूप माना जाता है. श्रीकृष्ण ने इससे असंख्य दुष्टों का संहार किया और धर्म की रक्षा की.
13. कौमुदी (Kaumudi)
यह भगवान विष्णु की गदा है. कौमुदी गदा अपार बल का प्रतीक है, जो असुरों का संहार करने के लिए जानी जाती है. यह भगवान विष्णु की चार आयुधों में से एक मानी जाती है: शंख, चक्र, गदा और पद्म. यह गदा धर्म और शक्ति के संतुलन का प्रतीक मानी जाती है.
14. पिनाक (Pinaka)
यह भगवान शिव का धनुष है, जिसे रुद्र धनुष भी कहा जाता है. इस धनुष से छोड़ा गया एक तीर तीनों लोकों को नष्ट करने की क्षमता रखता था. भगवान शिव ने इसी धनुष से त्रिपुरासुर का विनाश किया था. यही वह धनुष है जिसे राजा जनक के दरबार में भगवान राम ने तोड़ा था.
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15. चंद्रहास (Chandrahas)
यह भगवान शिव की तलवार है, जिसे उन्होंने रावण को भेंट किया था. इसका नाम ‘चंद्रहास’ इसलिए पड़ा क्योंकि यह चाँद की तरह चमकती थी और उसकी धार हंसते चंद्रमा जैसी प्रतीत होती थी. कहा जाता है कि इस तलवार से युद्ध करने पर धारक को दिव्य बल और आत्मविश्वास प्राप्त होता था.
16. परशु (Parashu)
यह भगवान परशुराम का शस्त्र है, जो उन्हें स्वयं भगवान शिव ने भेंट किया था. परशु को धर्म की स्थापना और अधर्म के विनाश का प्रतीक माना जाता है. इस अस्त्र से परशुराम ने दुष्ट क्षत्रियों का 21 बार संहार किया था.
17. वेल (Vel or Lance)
यह देवी पार्वती द्वारा उनके पुत्र कार्तिकेय को उनके सातवें दिन दिया गया एक भाला था. इस भाले को 'वेल (Vel) कहा जाता है और यह कार्तिकेय का प्रमुख शस्त्र है. यह भाला असुर तारकासुर के वध के लिए दिया गया था.
18. यम का दण्ड (Rod of Yam)
यह मृत्यु के देवता यम का शस्त्र है. यह दण्ड पापियों की आत्मा को मृत्यु लोक से यमलोक ले जाने की शक्ति रखता है. यमराज का यह दण्ड न्याय और कर्म के सिद्धांत का प्रतीक है. इसे देखकर देवता और असुर दोनों भयभीत हो जाते थे.
19. माहेश्वर चाप (Maheswara Chap)
यह वह धनुष है जिसका उपयोग भगवान शिव ने भगवान विष्णु के विरुद्ध किया था. इसका उल्लेख शिव-विष्णु युद्ध की कथाओं में मिलता है. यह धनुष इतनी अपार शक्ति वाला था कि उसके एक तीर से ब्रह्मांड के तत्व भी विचलित हो जाते थे.
20. रुद्र धनुष (Rudra Dhanush)
यह भगवान रुद्र का धनुष है, जो शिव के विनाशकारी रूप का प्रतीक है. कहा जाता है कि जब यह धनुष तना जाता है, तो ब्रह्मांड में हलचल मच जाती है. यह शक्ति, नियंत्रण और संहार का प्रतीक अस्त्र है.
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