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Gupt Navratri 2026 Date: माघ गुप्त नवरात्रि कब से कब तक है? जानें कलश स्थापना की सही डेट और महत्व

Gupt Navratri 2026 Date: माघ गुप्त नवरात्रि 2026 एक विशेष साधना पर्व है, जो तंत्र, सिद्धि और आत्मिक उन्नति से जुड़ा है. यह नवरात्रि कब से कब तक है, कलश स्थापना की सही तिथि क्या है और किन गुप्त देवी स्वरूपों की पूजा फलदायी मानी जाती है? जानिए इसका महत्व और रहस्य.

Gupt Navratri 2026 Date: हिन्दू धर्म में पूरे साल में 4 नवरात्रि होते हैं, जिसमें 2 प्रत्यक्ष और 2 गुप्त नवरात्रि होते हैं. माघ गुप्त नवरात्रि हिंदू धर्म का एक अत्यंत फलदायीऔर प्रभावशाली पर्व है. गुप्त नवरात्रि होने के कारण यह नवरात्रि आम नवरात्रियों की तरह सार्वजनिक रूप से नहीं मनाई जाती, बल्कि साधना, तंत्र और आत्मिक उन्नति से जुड़ी होती है. इस दौरान देवी शक्ति के गुप्त स्वरूपों की आराधना की जाती है, जिससे साधक को विशेष सिद्धि और मानसिक बल प्राप्त होता है. माघ गुप्त नवरात्रि कब से कब तक है, इसकी कलश स्थापना कब होगी, इस दौरान किन देवियों की विशेष पूजा की जाती है और क्या महत्व है?

माघ गुप्त नवरात्रि 2026 की तिथि

द्रिक पंचांग के अनुसार, वर्ष 2026 में माघ गुप्त नवरात्रि की शुरुआत 19 जनवरी 2026, सोमवार से होगी. यह पर्व माघ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से आरंभ होकर नवमी तिथि तक चलता है. नवरात्रि का समापन 28 जनवरी 2026, बुधवार को होगा. पूरे नौ दिन देवी दुर्गा के गुप्त स्वरूपों और दस महाविद्याओं की साधना का विशेष महत्व रहता है.

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घटस्थापना की सही डेट

नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना या कलश स्थापना की जाती है. यह देवी आवाहन की सबसे पहली और महत्वपूर्ण प्रक्रिया मानी जाती है. माघ गुप्त नवरात्रि 2026 में कलश स्थापना 19 जनवरी 2026, सोमवार को की जाएगी. शुभ मुहूर्त में की गई घटस्थापना से साधना सफल मानी जाती है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.

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कलश स्थापना की विधि: घटस्थापना के लिए एक स्वच्छ कलश लिया जाता है. उसमें शुद्ध जल भरा जाता है. कलश में आम के पत्ते, सुपारी, सिक्का और नारियल रखा जाता है. इसके बाद देवी दुर्गा का ध्यान करते हुए मंत्रोच्चार किया जाता है. कलश के पास जौ या गेहूं बोने की परंपरा भी कई स्थानों पर निभाई जाती है, जो समृद्धि और उन्नति का प्रतीक है.

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माघ गुप्त नवरात्रि का विशेष महत्व

यह नवरात्रि गुप्त साधना और तांत्रिक उपासना के लिए जानी जाती है. इस समय की गई साधना शीघ्र फल देने वाली मानी जाती है. खास तौर पर वे साधक जो महाविद्याओं की पूजा करते है, उनके लिए यह काल अत्यंत प्रभावी होता है. साधारण भक्त भी इस दौरान जप, ध्यान और व्रत रखकर मनोकामना पूर्ति कर सकते है.

दस महाविद्याओं की पूजा

माघ गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की साधना का विशेष महत्व है. इनमें काली, तारा, त्रिपुरसुंदरी, भुवनेश्वरी, भैरवी, छिन्नमस्ता, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला शामिल है.

तारा: ज्ञान, करुणा और मोक्ष का मार्ग दिखाने वाली देवी. संकट में रक्षा करने वाली शक्ति.
त्रिपुरसुंदरी (षोडशी): सौंदर्य, प्रेम और आनंद की देवी. सृष्टि की पूर्णता और संतुलन का प्रतीक.
भुवनेश्वरी: पूरे ब्रह्मांड की स्वामिनी. सभी लोकों और शक्तियों को धारण करने वाली देवी.
भैरवी: उग्र और तेजस्वी स्वरूप वाली देवी. भय का नाश कर आत्मज्ञान की ओर ले जाने वाली शक्ति.
छिन्नमस्ता: त्याग, आत्मबल और जागृत चेतना की प्रतीक. आंतरिक शक्ति को जागृत करने वाली देवी.
धूमावती: विरक्ति, त्याग और जीवन के कठोर सत्य का बोध कराने वाली देवी.
बगलामुखी: शत्रु बाधाओं को शांत करने और विजय दिलाने वाली देवी. वाणी और शक्ति पर नियंत्रण की अधिष्ठात्री.
मातंगी: कला, संगीत, वाणी और ज्ञान की देवी. रचनात्मकता और अभिव्यक्ति की शक्ति.
कमला: धन, ऐश्वर्य और समृद्धि की देवी. लक्ष्मी स्वरूप में सुख और वैभव प्रदान करने वाली.

साधना से मिलने वाले लाभ

इस नवरात्रि में की गई पूजा से मानसिक शांति, आत्मविश्वास और नकारात्मक शक्तियों से रक्षा मिलती है. साधक को जीवन की बाधाओं से मुक्ति, आर्थिक स्थिरता और आध्यात्मिक जागरूकता का अनुभव होता है. नियमित जप और संयम से किया गया व्रत व्यक्ति के जीवन में संतुलन और ऊर्जा को बढ़ाता है. दरअसल, माघ गुप्त नवरात्रि 2026 साधना और आत्मिक विकास का एक दुर्लभ अवसर है, जिसे श्रद्धा और नियम के साथ मनाने से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन महसूस किए जा सकते है.

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।


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