देवी-देवताओं की पूजा में आरती का खास महत्व है। आरती के बिना पूजा को अधूरा माना जाता है। आपने देखा होगा कि ज्यादातर लोग आरती की थाली को पूरा गोल घुमाते हैं। लेकिन क्या आपके कभी इस बात पर गौर किया है कि क्यों सभी देवी-देवताओं के सामने आरती की थाली को गोल घुमाया जाता है? चलिए जानते हैं जब ये ही प्रश्न कथावाचक अनिरुद्धाचार्य से पूछा गया, तो उन्होंने इसका क्या जवाब दिया। इसी के साथ आपको आरती करने के नियमों के बारे में भी पता चलेगा।
आरती की थाली को गोल ही क्यों घुमाते हैं?
प्रसिद्ध कथावाचक अनिरुद्धाचार्य से एक भक्त ने सवाल किया कि, 'आरती गोल ही क्यों की जाती है?' इस सवाल का जवाब देते हुए अनिरुद्धाचार्य ने कहा, 'आरती गोल नहीं की जाती है। आरती हमेशा 'ऊँ' की आकृति की करनी चाहिए। देवी-देवताओं के सामने अपने हाथ को ऐसे घुमाएं जैसे कि आप 'ऊँ' बना रहे हैं। 'ऊँ' की आकृति बनाने के बाद उसके नीचे दो बार बाएं से दाएं तरफ आरती की थाली को और घुमाना चाहिए।'
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कितनी बार करनी चाहिए आरती?
इसी के आगे कथावाचक अनिरुद्धाचार्य ने कहा, 'देवी-देवताओं के चरणों की तीन बार, कमर की चार बार और मुंह की सात बार आरती करनी चाहिए। इसके बाद अंत में संपूर्ण शरीर की सात बार आरती करनी चाहिए।'