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छत्तीसगढ़ की इन 9 सीटों पर भाजपा ने कभी नहीं जीता चुनाव, वजह भी बेहद खास

Chhattisgarh Assembly Election 2023: छत्तीसगढ़ गठन के बाद से बीजेपी ने प्रदेश में 15 वर्षों तक शासन किया, लेकिन पार्टी कभी भी प्रदेश की नौ सीटों पर जीत दर्ज नहीं कर पाई और इस बार भाजपा ने इन नौ में से छह सीटों पर नए चेहरों को मैदान में उतारा है।

Chhattisgarh Assembly Election 2023: वर्ष 2000 में मध्य प्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ का गठन हुआ। छत्तीसगढ़ गठन के बाद से बीजेपी ने प्रदेश में 15 वर्षों तक शासन किया, लेकिन पार्टी कभी भी प्रदेश की नौ सीटों पर जीत दर्ज नहीं कर पाई और इस बार भाजपा ने इन नौ में से छह सीटों पर नए चेहरों को मैदान में उतारा है। हालांकि, 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 68 सीटें जीतकर भाजपा को मात दी थी और उस चुनाव में बीजेपी 90 में से मात्र 15 सीटें जीतने में ही सफल हो पाई थी। बकौल एजेंसी, बीजेपी सांसद संतोष पांडे ने बताया कि भाजपा ने उन सीटों पर प्रत्याशियों के चयन पर विशेष ध्यान दिया है, जिन पर वह कभी नहीं जीती है। सभी उम्मीदवार अपने-अपने क्षेत्रों में पूरे उत्साह के साथ प्रचार-प्रसार कर रहे हैं तथा उन्हें लोगों का समर्थन मिल रहा है। जिन 9 सीटों पर बीजेपी ने अब तक जीत दर्ज नहीं की है, उनमें सीतापुर, पाली-तानाखार, मरवाही, मोहला-मानपुर, कोंटा, खरसिया, कोरबा, कोंटा और जैजैपुर हैं।

कोंटा विधानसभा सीट

छत्तीसगढ़ सरकार में उद्योग मंत्री और पांच बार से विधायक कवासी लखमा नक्सल प्रभावित कोंटा सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं और वह 1998 से इस सीट पर अजेय हैं। भाजपा ने नए चेहरे सोयम मुक्का पर दांव लगाया है। इस सीट पर कांग्रेस, भाजपा और भाकपा के बीच त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिलता रहा है।

सीतापुर विधानसभा सीट

भूपेश सरकार में मंत्री अमरजीत भगत सीतापुर से अजेय रहे हैं। भगत कांग्रेस के प्रभावशाली आदिवासी नेता हैं और वे छत्तीसगढ़ के गठन के बाद से कभी भी सीतापुर सीट से चुनाव नहीं हारे। भाजपा ने हाल ही में सीआरपीएफ से इस्तीफा देकर पार्टी में शामिल हुए राम कुमार टोप्पो को चुनावी मैदान में उनके खिलाफ उतारा है। यह भी पढ़ें- Chhattisgarh विधानसभा चुनाव के लिए कड़े सुरक्षा इंतजाम, 10 हजार जवान संभालेंगे कमान, 25 कंपनियां पहुंचीं

खरसिया विधानसभा सीट

खरसिया विधानसभा सीट से लगातार तीसरी बार बघेल सरकार में मंत्री उमेश पटेल चुनावी मैदान में हैं। यह सीट कांग्रेस के किले के समान है। छत्तीसगढ़ के गठन से काफी पहले से यहां पर कांग्रेस का कब्जा रहा है। खरसिया सीट से बीजेपी ने नए चेहरे महेश साहू को मैदान में उतारा है।

मरवाही और कोंटा विधानसभा सीट

मरवाही और कोंटा विधानसभा सीट भी कांग्रेस का गढ़ रही है। हालांकि, 2018 में जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) ने दोनों सीटों पर कब्जा किया था। वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ के गठन के बाद अजीत जोगी के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार का गठन हुआ था। इसके बाद अजीत जोगी 2001 में मरवाही सीट से उपचुनाव जीते थे और बाद में 2003 और 2008 के चुनाव में भी उन्हें जीत मिली थी। भाजपा ने क्रमश: मरवाही और कोंटा से नए चेहरों प्रणव कुमार मरपच्ची और प्रबल प्रताप सिंह जूदेव को प्रत्याशी बनाया है, वहीं कांग्रेस ने क्रमश: केके ध्रुव और अटल श्रीवास्तव को मैदान में उतारा है।

मोहला-मानपुर विधानसभा सीट

प्रदेश की मोहला-मानपुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने मौजूदा विधायक इंद्रशाह मंडावी पर दांव लगाया है, जबकि भाजपा ने पूर्व विधायक संजीव शाह को मैदान में उतारा है।  


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