Controversy on Stand Up Comedians : हंसी-मजाक और फूहड़ता के बीच एक महीन लाइन होती है। यह लाइन लक्ष्मण रेखा की तरह है, जो व्यक्ति की सोच, मानसिक दशा और उसके दृष्टिकोण को उजागर करती है। हंसी-मजाक के नाम पर फूहड़ता और अश्लीलता परोसना कहां तक जायज है और ऐसा करने वालों के खिलाफ क्या कार्रवाई होनी चाहिए? यह आज के समय में सबसे बड़ा सवाल है। रणवीर इलाहाबादिया प्रकरण के बाद इन सवालों की प्रासंगिकता और भी ज्यादा बढ़ गई है। रणवीर इलाहाबादिया के आपत्तिजनक बयान के बाद पुलिस ने उन पर केस तो दर्ज कर दिया है, पर क्या उनके खिलाफ कोई सख्त एक्शन लिया जाएगा?
हमारे देश में काका हाथरसी और शैल चतुर्वेदी जैसे व्यंग्यकर रहे हैं, जिन्होंने अपने शब्दों से लोगों को खूब हंसाया। इतना लोटपोट किया कि पेट में दर्द होने लगा, लेकिन उनके शब्दों में फूहड़ता और अश्लीलता का अहसास नहीं हुआ। आज व्यंग्य की उसी समृद्ध विरासत को आगे बढ़ाने वालों में रणवीर इलाहाबादिया, समय रैना जैसे लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, लेकिन इनके लिए कॉमेडी का मतलब, केवल गाली-गलौज, अश्लीलता और ऐसे शब्दों का सार्वजनिक इस्तेमाल है, जिनके इस्तेमाल पर बच्चे अपने माता-पिता से डांट खाते हैं।
समय रैना के शो में आए थे रणवीर इलाहाबादिया
स्टैंडअप कॉमेडी के नाम पर आजकल क्या, कुछ परोसा जा रहा है, जगजाहिर है। कॉमेडी के इस नए रूप में महिला और पुरुष का कोई भेद नहीं है। मेल कॉमेडियन जितनी अश्लीलता फैला रहे हैं, लगभग उतना ही योगदान फीमेल कॉमेडियन का भी है। ऐसा लगने लगा है कि जैसे समाज और सभ्यता की मर्यादा को तार-तार करने की होड़ चल रही है। अफसोस है कि हंसी-मजाक, व्यंग्य, ठिठोली वाले समाज में फूहड़ता और अश्लीलता को ही कॉमेडी समझा जाने लगा है।
रणवीर इलाहाबादिया ने जो कुछ कहा और किया, वह सभ्य समाज के मुंह पर एक चांटा है। केवल इलाहाबादिया ही नहीं, कॉमेडियन समय रैना, यूट्यूबर आशीष चंचलानी, कंटेंट क्रिएटर अपूर्व मुखीजा और वह सभी लोग आलोचना के हकदार हैं, जो बेशर्म मजाक पर खिल-खिलाकर हंसते रहे और इस तरह की फूहड़ता को प्रमोट करते रहे। इलाहाबादिया समय रैना के 'इंडियाज गॉट लेटेंट' का हिस्सा था। इसलिए जवाबदेही तो रैना की भी बनती है।
'क्या आप अपने माता-पिता को पूरी जिंदगी सेक्स करते हुए देखना पसंद करेंगे या आप उन्हें जॉइन करना चाहेंगे?' इसमें क्या कॉमेडी है? यह सवाल रणवीर इलाहाबादिया और समय रैना जैसे लोगों से पूछा जाना चाहिए? साथ ही उनसे भी पूछा जाना चाहिए, जो दर्शक बनकर इस बकवास का आनंद लेते रहे, जिन्हें इसमें कुछ भी बुरा नहीं लगा और जो इसे आधुनिक समाज का अनिवार्य हिस्सा समझते हैं।
PM मोदी ने किया था रणवीर को सम्मानित
रणवीर इलाहाबादिया को साल 2024 में दिल्ली के भारत मंडपम में नेशनल क्रिएटर्स अवार्ड में सम्मानित किया गया था। खुद PM मोदी इस मौके पर मौजूद थे। इलाहाबादिया को कम से कम उस सम्मान का तो मान रखना चाहिए था। कोई भी सम्मान व्यक्ति की प्रतिष्ठा, प्रतिभा देखकर दिया जाता है और रणवीर इलाहाबादिया ने जो कुछ किया है, वह उन्हें इस सम्मान का हिदार तो कतई नहीं बनाता। इसलिए उनसे अवॉर्ड वापसी की मांग उठ रही है और इस मांग में कुछ गलत भी नहीं है।
समय रैना पिछले हफ्ते ही सदी के महानायक के साथ KBC के मंच पर नजर आए थे। अभिभावक अपने बच्चों को इस शो को देखने के लिए प्रेरित करते हैं, ऐसे में इस शो में बतौर मेहमान पधारे सेलिब्रिटीज को कहीं न कहीं युवा पीढ़ी द्वारा आदर्श के तौर पर देखा जाता है।
सेक्स कॉमेडी का दौर सिर्फ कुछ समय के लिए होता है। एक दौर था जब बॉलीवुड भी सेक्स कॉमेडी के घोड़े पर सवार हुआ था, पर उसे जल्द ही समझ आ गया कि भारत जैसे देश में जहां आज भी संस्कार जिंदा हैं, वहां बड़े पैमाने पर किया जाने वाला बेहूदापन और फूहड़ता स्वीकार्य नहीं हो सकता है। कथित स्टैंडअप कॉमेडियन्स को भी यह बात समझनी चाहिए। अब इस तरह की फूहड़ता और अश्लीलता पर लगाम लगाने का समय आ गया है। अगर इस पर अभी हथौड़ा न मारा गया तो यह समाज के लिए नासूर बन जाएगी।