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कौन कहता है लोग ज्यादा पीते हैं, एक बार उनसे पूछकर तो देखो जो पीते हैं!

Supreme Court Hearing On Ban Liquor Sale: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा है कि वह हर मुद्दे पर राज्य सरकार को निर्देश दे, यह उसका काम नहीं है। सुप्रीम कोर्ट में शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने की मांग पर सुनवाई हुई। बेंच ने इस याचिका को सुनने से इन्कार कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट में शराब की बिक्री पर प्रतिबंध की मांग पर सुनवाई। फोटो क्रेडिट-एएनआई
Supreme Court Hearing On Ban Liquor Sale : देशभर में शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने की मांग के मामले में सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई। जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिका पर सुनवाई से इन्कार कर दिया। खंडपीठ ने कहा कि शराब बिक्री पर रोक का आदेश देना लोगों पर राज्य का अधिक नियंत्रण देना होगा। इसकी वजह से आगे और समस्याएं पैदा होंगी। वहीं, याचिकाकर्ता डॉक्टर की ओर से कहा गया कि युवा बहुत अधिक शराब पी रहे हैं। इस दुःख और अवसाद से भरी दुनिया में लोग खुश रहने के लिए तरह-तरह के उपाय करते हैं, लेकिन कुछ लोग ऐसे विघ्न संतोषी होते हैं, जिन्हें दूसरों की खुशी देखी नहीं जाती। सुप्रीम कोर्ट में ऐसे ही एक सज्जन, जो पेशे से डॉक्टर हैं, जनहित के नाम पर एक याचिका लेकर आये थे। याचिका में देशभर में शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी। गनीमत रही कि सुप्रीम कोर्ट के माई लॉर्ड्स ने याचिका पर सुनवाई से साफ इंकार कर दिया, नहीं तो गज्जब हो जाता। सोचकर देखिए कि एक दिन के लिए, गांधी जी के जन्मदिन पर जब ड्राई डे होता है या चुनाव के दौरान वोटिंग के दौरान शराब की दुकानें बंद होती हैं तो लोगों को कितनी मुश्किल हो जाती है! जब किसी एक राज्य में पाबंदी लगती है तो कितना कोहराम मचता है! वो भी तब, जब पड़ोसी राज्य से चोरी छिपे सप्लाई की संभावना रहती है। ऐसे में पूरे देश में हमेशा के लिए ड्राई डे, कल्पना करने से डर लगता है। यह भी पढ़ें-Manipur Violence: मणिपुर में फिर हिंसा, हमलावरों ने सुरक्षाबलों पर की फायरिंग; गोलीबारी में तीन घायल जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिका पर सुनवाई से इंकार करते हुए कहा कि शराब बिक्री पर रोक का आदेश देना ठीक नहीं है। इसकी वजह से आगे और समस्याएं पैदा होंगी।याचिकाकर्ता डॉक्टर की ओर से कहा गया कि एक अध्ययन के मुताबिक शराब की खपत लगातार बढ़ी है। देश के युवा बहुत अधिक शराब पी रहे हैं, तब जस्टिस कौल ने कहा कि आपके मुताबिक लोग बहुत ज्यादा शराब पी रहे हैं, जबकि लोगों की तरफ से यही दलील होगी कि यह बहुत ज्यादा नहीं है। आप चाहते हैं कि लोग शराब, एक लिमिट में पिएं और राज्य इसे नियंत्रित करे, ये सब नियंत्रित करना राज्य का काम नहीं है। शराब को बदनाम करने वाले सदियों से इसके पीछे पड़े हैं। सुप्रीम कोर्ट के सामने भी शराब को बदनाम करने की एक कोशिश इससे पहले भी हुई थी। सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि सिगरेट की डिब्बी पर डरावनी तस्वीर के साथ एक चेतावनी दी होती है, उसी तरह शराब के बोतलों पर भी 50 फीसदी हिस्से पर डरावने फोटो के साथ चेतावनी लिखने का प्रावधान किया जाए। तब तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश जस्टिस यू यू ललित ने कहा था कि शराब के बारे में कई लोग कहते हैं कि थोड़ी मात्रा में इसका सेवन स्वास्थ्य के लिए अच्छा है। यह भी पढ़ें - बंबई HC के चीफ के तौर पर जस्टिस देवेन्द्र उपाध्याय की फिर से शपथ लेने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट से खारिज अब डॉक्टर साहब को कौन समझाने जाए कि शराब कई बार दवा का काम भी करती है। दवा के साथ दारू का नाम यूं ही नहीं लिया जाता, मुझे याद है जब शराब की तुलना सिगरेट से हुई थी तब जस्टिस ललित ने कहा था कि ‘यह नीतिगत मामला है या तो आप याचिका वापस लीजिए नहीं तो हम इसे खारिज कर देंगे!’ सैकड़ों जनहित याचिका वाले वकील साहब ने अपनी याचिका वापस लेना ही बेहतर समझा था। उनको भी लगा होगा कि कहां फिजूल में इससे उलझ गए क्योंकि यह शराब तो वो शय है, होंठों से लगा लो तो जाम हो जाए। यूं तो पीने वाले किसी की नसीहत सुनते कब हैं, लेकिन जब नसीहत शराब अच्छाइयों के बारे में हो तो न केवल मानते हैं बल्कि सबको मनाते भी हैं। महँगाई के असर से कराह रहे मध्यम वर्ग के लिए पंकज उदास वर्षों से सलाह देते रहे कि ‘हुई महँगी बड़ी शराब की, थोड़ी थोड़ी पिया करो!’ किसने माना? मानता भी कैसे, शराब के सामने महँगाई की भला क्या विसात! ये शराब है जनाब कांदा बटाटा थोड़े है! कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना! आरोप लगाने वाले कहते रहे कि शराब सेहत की दुश्मन है। इसमें नशा होता है जो इंसान को सही और ग़लत में भेद नहीं करने देती! शराब की यह बेइज्जती ज़ौक़ साहब से देखी नहीं गयी। उन्होंने कह दिया ‘ज़ाहिद शराब पीने से काफ़िर हुआ मैं क्यूँ। क्या डेढ़ चुल्लू पानी में ईमान बह गया।’ बिग बी यानी अपने बच्चन साहब ने तो फ़िल्म शराबी में यहाँ तक कह दिया कि ‘नशा शराब में होता तो नाचती बोतल।’ सदी के महानायक से मिली इस क्लीनचिट से शराब चाहती तो बावली हो जाती! लेकिन ये शराब है जनाब, सरसों का तेल थोड़े है जो बेअन्दाज हो जाये! सुप्रीम कोर्ट से जब टिप्पणी आयी तो लगा कि मुझे भी शराब पर आज कुछ लिखना चाहिए। इसलिए बैठ गया कि कुछ गम्भीर बातों को हल्केफूलके अंदाज़ में लिखने। लेकिन यहाँ तो इस तीन अक्षर के शय का जादू अब समझ में आया कि‘आए थे हँसते खेलते मय-ख़ाने में ‘फ़िराक़’! जब पी चुके शराब तो संजीदा हो गए।’ ये तो फ़िराक साहब ने कहा था। मैं खामखा शायर बनने की नकल कर रहा हूँ। आखिर में वैधानिक चेतावनी हनी सिंह वाली। युवा शराबियों के हीरो यो यो हनी सिंह ने जोश जोश में कह तो दिया था कि ‘चार बोतल वोदका काम मेरा रोज का’, लेकिन जब वोदका का रिएक्शन हुआ तो उनके भी सुर बदल गए कि ‘छोटे छोटे पैग बना रे बेबी’ इसलिए आप भी अपनी अक्ल लगाइए। हम भी मानते हैं कि शराब और सिगरेट दोनों स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। थोड़ी थोड़ी पियेंगे तो थोड़ा थोड़ा ही नुकसान होगा।  


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