RT की प्रधान संपादक बोलीं- बैन लगाने से सामने आई यूरोप-अमेरिका में प्रेस की आजादी की सच्चाई
Margarita Simonyan
RT Editor-In-Chief Margarita Simonyan Statement: पश्चिम देशों की आवाज अब वैश्विक जनमत पर ज्यादा हावी है, क्या विकासशील देशों को अपनी बात ठोस तरीके से रखने की जरूरत है। एक साक्षात्कार में RT की प्रधान संपादक मार्गरीटा सिमोनियन (सिमोनियन) ने ग्लोबल टाइम्स (GT) के सामने अपनी बात रखी। उन्होंने पत्रकार वांग वेनवेन और जिया वेनक्सिन से साक्षात्कार में कहा कि रूस और चीन के मीडिया हाउसेज ने पश्चिमी देशों की तानाशाही को चुनौती दी है। रूस-यूक्रेन वार के बाद उन्होंने अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा करके RT के विकास पर चर्चा की।
ग्लोबल टाइम्स: अमेरिकी मीडिया आपको क्रेमलिन का वफादार प्रचारक सोचता है। आप क्या कहेंगी?
सिमोनियन: अमेरिकी मीडिया के अलावा अमेरिकी के कई सामाजिक और राजनीतिक प्रतिष्ठान RT के और मेरे विरोध में रहे हैं। रूस के प्रभाव पर अमेरिका में 2017 में एक खुफिया रिपोर्ट आई थी, जिसने मुझे 27 बार हर्ट किया, लेकिन मुझे गर्व है कि मैं रूस की आवाज विदेश में उठा रही हूं। छोटी हो या बड़ी, यह आवाज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गूंजती है।
ग्लोबल टाइम्स: आपकी नई किताब व्हर्लपूल आई है, जो लघु कहानियों का संग्रह है। हाल में आई यह किताब किस विषय पर है? आप पाठकों को क्या मैसेज देना चाहती हैं?
सिमोनियन: मैंने नई किताब में ज्वलंत रेखाचित्रों पर प्रकाश डाला है। मेरी ओर से यह रूसी मनोवैज्ञानिक काव्य को श्रद्धांजलि भर है। यह व्यक्तिगत कहानियों के प्रति लोगों में आकर्षण पैदा करेगा। रूस के जीवन पर आधारित लेख की झलक अखबारों या टीवी स्क्रीन पर भी दिखती रही है।
ग्लोबल टाइम्स: हाल में आपकी हत्या की कोशिश की गई। क्या कोई मीडिया संस्थान आपको निशाना बना रहा है?
सिमोनियन: वास्तव में हमारे लिए पत्रकार के रूप में कई चुनौतियां हैं, जिनको हम स्वीकार करते हैं। हमारा काम है अपना कर्तव्य निभाना। दुनिया के बारे में सच्चाई को बताना, लेकिन अपनी मातृभूमि के लिए जान देना शर्मिंदगी भरी जिंदगी या किसी लाइलाज बीमारी से मरने से बेहतर है।
ग्लोबल टाइम्स: रूस-यूक्रेन संघर्ष की रिपोर्टिंग के दौरान रूस और वेस्टर्न मीडिया के प्रति अलग व्यू होता होगा। क्या पश्चिमी लोगों को अपनी रिपोर्टिंग के बारे में संतुष्ट कर सकते हैं?
सिमोनियन: मेरा मानना है कि हमेशा सच्चाई की जीत होती है। हम दुनियाभर के लोगों को दिखा रहे हैं कि यूक्रेन में वाकई जमीन स्तर पर क्या हो रहा है। अब लोगों ने मुख्यधारा के मीडिया की कहानियों पर भरोसा करना छोड़ दिया है। यही कारण है कि हमने RT पर ध्यान दिया है। वास्तविकता को सही से दिखाया है। हम टीवी, ऑनलाइन हर उस जगह जा रहे हैं, जहां पर RT को बैन किया गया है।
ग्लोबल टाइम्स: रूस-यूक्रेन की लड़ाई के कुछ समय बाद में अमेरिका में RT बंद हो गया। यूरोपीय संघ ने रूसी मीडिया में हेरफेर की बात कही, जिसके बाद RT और स्पूतनिक को भी बैन कर दिया गया। इस बारे में क्या सोचती हैं?
सिमोनियन: पश्चिमी देश यूक्रेन के बारे में पिछले 10 साल से गलत दिखा रहे हैं। सैन्य अभियान से पहले भी RT को चुप कराने के प्रयास किए गए। तथ्यों को तोड़ा गया, क्योंकि वे दर्शकों को यह तय नहीं करवाना चाहते थे कि रूस, यूक्रेन और दुनिया में जो घटनाएं हो रही हैं, उन पर विश्वास करें या नहीं। उन लोगों ने हमें बंद करने के लिए गैर-कानूनी तरीकों का प्रयोग किया। जहां कर सकते थे, वहां से बाहर भी किया। RT पर बैन तो लगा, लेकिन यूरोप और अमेरिका में प्रेस की आजादी का सबको पता लग गया। एक भी सबूत नहीं दिया कि RT गलत दिखा रहा है। सिर्फ यही कहा कि जो RT दिखाता है, वह हमारे यहां परमिट नहीं किया जा सकता। रूस की आवाज या उन लोगों के विपरित किसी की आवाज उठती है तो वे लोग सहन नहीं कर सकते।
ग्लोबल टाइम्स: चीनी और रूसी मीडिया के लिए बहुत चुनौतियां आ चुकी हैं। जब दोनों इंटरनेशनल लेवल पर विस्तार चाहते हैं तो हस्तक्षेप की कोशिश पश्चिम से होती है। ऐसी चुनौतियों से कैसे निपट सकते हैं?
सिमोनियन: अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता। रूसी और चीनी मीडिया का साथ काम करना कितना जरूरी है, कोई नहीं कह सकता।
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