Poonam Pandey I am Alive Opinion: कैंसर एक ऐसी जानलेवा बीमारी है जिसके बारे में कोई एक दूसरे को मजाक में भी कहने की कोशिश नहीं करता है, लेकिन एक अभिनेत्री और मॉडल पूनम पांडे ने अपनी मौत की झूठी खबर को सर्वाइकल कैंसर की बीमारी का न सिर्फ मजाक बना दिया बल्कि जो इससे पीड़ित हैं उनके लिए डर का माहौल बनाकर रख दिया। बहुत ही आसानी से अभिनेत्री पूनम पांडे ने पहले अपनी मौत की खबर फैलाई और फिर अगले दिन आकर I'm Alive कह दिया।
एक सस्ती पब्लिसिटी के लिए क्या कोई इस हद तक गिर सकता है? क्या किसी को बीमारी के लिए जागरूक करने का ऐसा तरीका सही हैं? इस तरह से अपनी मौत की खबर फैलाना वो भी एक ऐसी बीमारी को जोड़कर जो कहीं न कहीं महिलाओं के बीच डर पैदा कर सकती है, क्या ये तरीका सही है? सर्वाइकल कैंसर के लक्षण (Symptoms of Cervical Cancer) भी कहीं न कहीं इतने आम हैं कि जिस महिला ने इसके बारे में जाना होगा उसके मन में इसे लेकर डर पैदा हो गया होगा। वहीं, जो महिलाएं इससे पीड़ित हैं वो मरने वालों के आंकड़ों को देखकर ही रातभर सो नहीं पाई होंगी।
मगर, इन सबसे अभिनेत्री पूनम पांडे (Poonam Pandey) को क्या फर्क पड़ता है। उन्होंने तो मरने की खबर फैलाकर भी फायदा ही हुआ। मौत की खबर पोस्ट करने के दौरान पूनम के इंस्टाग्राम पर 1.2 Million फॉलोअर्स थे और शाम होने तक फॉलोअर्स की गिनती बढ़कर 1.3 Million हो गई है। बड़ी ही आसानी के साथ पूनम पांडे ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आकर "मैं जिंदा हूं" कह दिया और साथ में माफी भी मांग ली, लेकिन मुझे इनका ये तरीका सही नहीं लगा।
इस तरह का पब्लिसिटी स्टंट किसी की भलाई करने से पहले किसी को सदमे में भी डाल सकता है। न सिर्फ जानी मानी अभिनेत्री डॉली सोही सर्वाइकल कैंसर से जूझ रही हैं बल्कि और भी कई महिलाएं हैं जो इस बीमारी का सामना कर रही हैं। यहां तक कि सर्वे में ये जानकारी है कि सर्वाइकल कैंसर से हर रोज 900 से ज्यादा महिलाओं की मौत होती है। अब ऐसी स्थिति में अभिनेत्री का झूठी खबर देना वो भी तब जब एक दिन पहले ही बजट के दौरान सर्वाइकल कैंसर का जिक्र किया गया।
सर्वाइकल कैंसर के 80% मामले स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा के हैं, जो गर्भाशय ग्रीवा के निचले हिस्से के सेल्स में उत्पन्न होते हैं। इसके अलावा दो प्रकार मेटास्टेटिक सर्वाइकल कैंसर और एडेनोकार्सिनोमा सर्वाइकल कैंसर के हैं, जो ट्यूमर ग्रीवा के ऊपरी हिस्से में ग्लैंड्स की सेल्स में विकसित होता है।
सर्वाइकल कैंसर के बढ़ते मामले और गंभीरता को देखते हुए लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए आम तरीका अपनाया जाए, वो ज्यादा सही हो सकता है। न कि मरने की झूठी अफवाह को फैलाकर लोगों में डर पैदा करना। इसे लेकर आपकी क्या राय है हमें जरूर बताएं।